बोले औरंगाबाद : आम के भंडारण और अनुसंधान केंद्र की सुविधा चाहते हैं किसान
औरंगाबाद जिले में आम और अन्य फलों की खेती व्यावसायिक है, लेकिन किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। किसानों की मेहनत और फसल के बावजूद उन्हें बाजार में कम कीमत पर आम बेचना पड़ता है। सरकार की ओर से...
औरंगाबाद जिले में आम और अन्य फलों की खेती एक व्यावसायिक खेती है, जो पारंपरिक खेती से मुनाफा कमाने वाला है। इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। जिले में सैकड़ों किसान आम के बागीचे लगाए हुए हैं जिससे आम का उत्पादन होता है। इसके अलावा अमरूद, केला और अन्य फल का उत्पादन किसान करते हैं। बावजूद इसके उचित मूल्य नहीं मिल पाने के कारण ही आम उत्पादक किसानों के हाथ खाली ही रहते हैं। कड़ी मेहनत करके किसानों के बहाए पसीने से तैयार आम के पेड़ किसानों के जीवन में खुशहाली नहीं ला पा रही है। यह टीस उन किसानों के दिल में भी है और किसान व्यक्त भी करते रहे हैं। अब तो इसके प्रति भी जिले के किसानों की दिलचस्पी भी कम होने लगी है। सवाल यह है कि किसानों को इसका लाभ क्यों नहीं मिल पा रहा है। इसका एक वजह यह भी है कि जिले में आम प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना भी अब तक नहीं हो सकी है। किसानों को सरकारी समर्थन मूल्य से भी कम कीमत पर इसे बेचना पड़ता है। इससे किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य नहीं मिल पाता है। किसान पैदावार के बाद जब आम लेकर बाजार तक आते हैं तो उन्हें बिक्री के बाद वह खुशी नहीं मिल पाती है जिसकी आस में वह तीन माह मेहनत कर आम के उत्पादन करते हैं। जिले के विभिन्न प्रखंडों में किसान आम की खेती कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर आम के पेड़ हैं। यहां के किसानों की मेहनत का ही यह नतीजा है की प्रति पेड़ औसतन 20 से 30 क्विंटल आम का उत्पादन हो पाता है। उत्पादन के लिहाज से वह इसके प्रसंस्करण, भंडारण व बाहर भेजने के लिए पैकिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं है। जिले में कोई आम आधारित उद्योग नहीं होने से किसानों का अपेक्षित आर्थिक लाभ नहीं मिल पाता है। स्थिति ऐसी है कि किसानों को खुले बाजार में व्यापारियों से तीन से चार हजार रुपए प्रति क्विंटल तक आम को बेचने की मजबूरी होती है। सरकार द्वारा इसका कोई न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण नहीं होता है। मदनपुर प्रखंड के बेरी, नथू बीघा, नीमा ताड़ी, चौधरी बीघा, पीतांबरा, बारूण प्रखंड के दुधार समेत अन्य जगहों पर बड़े पैमाने पर आम की खेती होती है। यहां पर बड़े पैमाने पर आम के पेड़ लगाए गए हैं जिसमें मालदा, दशहरी और जर्दालू आम शामिल हैं। किसान राजेंद्र चौधरी, योगेंद्र भुइयां, राजेंद्र कुमार, राजकुमार सिंह भोक्ता, दिनेश कुमार सिंह, उपेंद्र कुमार आदि ने बताया कि यहां के उत्पादित आम स्थानीय बाजारों के अलावा जिले से बाहर भी भेजे जाते। यहां के उत्पादित आम के भंडारण पैकिंग यूनिट वापस संस्करण की आवश्यकता है। जिन क्षेत्रों में इसका उत्पादन होता है, वहां के फलों की सुरक्षा पर भी ध्यान देने की जरूरत है। बंदर और लंगूर की वजह से किसान परेशान हैं। किसानों के लिए उचित व सरकारी दर पर मंजर को बचाने के लिए दवा व उत्पादन के लिए सुझाव व पहल व्यवस्था भी की जानी चाहिए। गर्मी की तपिश के साथ ही आम के बागानों में रौनक बढ़ने लगती है। इस बार जिले के किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें हैं। इस बार आए आंधी तूफान से आम को काफी नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है कि आम के पेड़ इस बार भरपूर फसल से लदे हैं लेकिन आंधी से काफी नुकसान हुआ है। उनका कहना है कि इस बार मंडी का हालात और बाजार की गिरती कीमत उनकी खुशी को फिकी कर रही है। पिछले साल आम का अच्छा दाम मिला था लेकिन इस बार व्यापारी कम कीमत लगा रहे हैं। उनकी उम्मीदें आम की लंगड़ा और दशहरी किस्म पर टिकी थी लेकिन मंडी में प्रति क्विंटल कीमत इतनी कम है कि लागत भी नहीं निकल रही है। समस्या सिर्फ कीमत की नहीं है। जलवायु परिवर्तन के कारण इस साल बेमौसम बारिश और आंधी ने पहले ही उनके 20 फ़ीसदी फसल बर्बाद कर दी है।
भंडारण होने से किसानों को मिलेगा आम का सही दाम
किसानों द्वारा उत्पादित फलों के भंडारण कर बाहर भेजने के लिए जब तक संसाधन विकसित नहीं किया जाएगा तब तक किसानों को इसका न तो समुचित लाभ मिलेगा न ही विकास हो सकता है। सरकार की मंशा है कि किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो लेकिन उत्पादक व उपयोगकर्ता की बीच दूरी अधिक है। व्यवसाय की कमी के कारण बिचौलिए मालामाल हो रहे हैं। सीधे लाभ से किसान वंचित हो रहे हैं। बाजार में उत्पादकों के सीधे जुड़ाव से ही उन्हें सही कीमत मिल पाएगी। सरकारी स्तर पर आम के पेड़ के रखरखाव मंजर आने पर इसके बचाव के उपाय फल उत्पादन के बाद बाजार में उचित मूल्य मिले तब तक यहां के किसान पूर्ण रूपेण संपन्न होंगे। जिले में आम की फसल इस बार अच्छी है। जिले में आम भंडारण के लिए फिलहाल कोई योजना नहीं चलाई जा रही है। आम उत्पादक किसानों को लिए योजना चलाकर सरकारी लाभ की व्यवस्था होनी चाहिए। किसानों का कहना है कि आम के पटवन के लिए सरकारी स्तर पर सिंचाई की व्यवस्था होनी चाहिए। कीटनाशक का छिड़काव करने के लिए हम लोगों को मशीन उपलब्ध कराई जाए। सरकार की ओर से किसी प्रकार का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है। आम के बगीचा होने से यहां के कई लोगों को इसमें रोजगार भी प्राप्त होता है। इससे जुड़े बाजार व भंडारण से किसानों को फायदा होता है। इससे क्षेत्र की आर्थिक रूप से तरक्की भी होती है। बंदरों के आतंक से परेशान किसान बगिया को व्यापारियों से बेच देते हैं। बगीचे की रखवाली करना एक चुनौती है। बंदरों से आम की फसल को बचाना जरूरी है। अगर ऐसा हो तो किसान खुशहाल होंगे।
सुझाव
1. किसानों को सरकारी स्तर पर उचित सलाह व नए किस्म के पेड़ मुहैया कराने की आवश्यकता है।
2. आम उत्पादक किसानो के लिए भंडारण व प्रसंस्करण करने की जरूरत है।
3.भंडारण के लिए किसानों को कोल्ड स्टोरेज के निर्माण को लेकर पर्याप्त सहायता भी मिले।
4.मनरेगा योजना के तहत वृक्षारोपण कार्यक्रम में किसानों को आम और फलों के बीच लगाया जाए।
5.कीट प्रबंधन व फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए सरकारी पहल की जरूरत है।
शिकायतें
1. किसानों को आम की उचित कीमत नहीं मिलती
2. आम भंडारण की व्यवस्था नहीं होने से इसका रखरखाव भी सही तरीके से नहीं हो पा रहा है।
3. आम आधारित एक भी उद्योग धंधे यहां नहीं लगाए गए हैं
4. एमएसपी पर आम खरीद की कोई व्यवस्था नहीं है।
5. बंदर, लंगूर से फसल की सुरक्षा चिंता का विषय है
हमारी भी सुनिए
जिले में आम का उत्पादन अच्छी खासी किसान कर लेते हैं। आम उत्पादन करने वाले किसानों को सरकारी स्तर से सलाह या सुझाव नहीं दिया जाता है। इस वजह से किसान उदासीन हैं।
रिंकू दवी
आम के भंडारण के लिए किसानों को गोदाम बनाने के लिए सरकार को सहायता उपलब्ध करानी चाहिए। मूल्य वृद्धि होने के समय किसान इसे बाजार में बेचकर इसका सीधा लाभ प्राप्त कर सके।
दिलीप कुमार
मदनपुर प्रखंड क्षेत्र में बहुत से किसान आम की खेती कर रहे हैं। यह इलाका आम के उत्पादन के लिए योग्य है। किसानों को समय-समय पर प्रशिक्षण के साथ-साथ रासायनिक दवाओं की जानकारी मिलनी चाहिए।
मुखदेव महतो
बंदरों के आतंक से किसान परेशान हैं। बंदरों के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। स्थानीय प्रशासन को किसानों की इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए।
बुधनी देवी
आम के फसलों के बचाव के लिए सरकारी स्तर पर कोई सहायता नहीं मिलती। बागवानी मिशन द्वारा भी किसानों को कोई सलाह या प्रशिक्षण नहीं दिया जाता। इसकी जरूरत है ताकि किसान बेहतर उत्पादन कर सके।
संजय चौधरी
आम की फसल की खरीदारी भी सरकारी दर पर होती तो बेहतर होता। किसानों की अच्छी कीमत मिलने नए किस्म के पेड़ से पैदावार में वृद्धि होगी और किसानों को उचित लाभ मिलेगा।
उमेश चौधरी
मदनपुर प्रखंड के इलाके में आम की पैदावार अच्छी होती है लेकिन किसानों को समय पर उचित सलाह व दवा नहीं मिल पाती। इससे किसानों को इधर-उधर से ही कीटनाशक खरीद कर आम पर छिड़काव करते हैं।
कृष्णा चौधरी
आम में मंजर लगते ही किसान बगीचे को बेचना शुरू कर देते हैं जिससे किसानों के होने वाले फायदे बाहर से आए व्यापारी को होती है क्योंकि मंजर में कीट लगने से फसल नहीं बच पाता।
सोमर सिंह भोगता
आम में मधुआ किट के लगा किसानों के लिए चिंता का विषय बनते हैं। पिछले दो साल से इस बीमारी से किसान परेशान हैं। इसका समाधान कृषि वैज्ञानिकों को करके किसानों को बताना चाहिए।
मिथलेश सिंह
जिले के दक्षिणी इलाके की भूमि बहुत ही उर्वर है। सरकार आर्थिक लाभ मुहैया कराए तो किसान आम के पेड़ बड़े पैमाने पर लगा सकते हैं। मनरेगा के वृक्षारोपण योजना में आम व अन्य फलों की खेती को बढ़ावा मिले।
सत्यनारायण सिंह
जिले में भी एक आम अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र होना चाहिए जिससे समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षण दिया जा सके। कृषि विज्ञान केंद्र से किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
रामाश्रय सिंह
उचित समय पर सही सलाह से आम उत्पादन में वृद्धि होगी। यहां आम आधारित उद्योग लगाने से किसानों को सही कीमत मिल सकेगी। सहकारी समितियों को भी इसमें दिलचस्पी लेनी चाहिए।
सुदामा सिंह भोक्ता
आम की फसल को आंधी-पानी बंदरों से नुकसान होता है। झुंड के झुंड बंदर बगीचे में पहुंचकर आम को बर्बाद कर देते हैं। ऐसे में उन्हें पकड़ कर दूसरे जगह भेजने की जरूरत है।
गणेश मेहता
बड़े पैमाने पर अच्छे किस्म के आम का उत्पादन होता है। इसका अच्छा बाजार मिले। इस ओर प्रशासन की नजर जानी चाहिए ताकि यहां उत्पादित आमों को बाहर भेजा जाए और किसानों को अच्छा मुनाफा मिले।
उमेश महतो
आम सेहत के लिए बहुत ही गुणकारी है। आम से अचार, चटनी, अमावट सहित कई तरह के खाद्य पदार्थ इससे बनते हैं। इससे जुड़े उद्योग लगाने से युवाओं को रोजगार मिलेगा।
लवलेश सिंह
आम उत्पादक किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए क्रय केंद्र की स्थापना की जानी चाहिए। इससे किसानों का समय पर फसल का उचित मूल्य मिल सकेगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी।
पवन सिंह
आम के बगीचा होने से यहां के कई लोगों को इसमें रोजगार भी प्राप्त होता है। इससे जुड़े बाजार व भंडारण से किसानों को फायदा होता।7 इससे क्षेत्र की आर्थिक रूप से तरक्की भी होगी।
शंकर राम
बंदरों के आतंक से परेशान किसान बगिया को व्यापारियों से बेच देते हैं। बगीचे की रखवाली करना एक चुनौती है। बंदरों से आम की फसल को बचाना जरूरी है। अगर ऐसा हो तो किसान खुशहाल होंगे।
योगेंद्र भुइयां
इंसानों से आम स्थानीय व्यापारी लेकर जाते हैं। अगर किसानों को इसका सीधा लाभ मिलता तो किसानों को ज्यादा मुनाफा मिलता। भंडारण की सुविधा मिलनी चाहिए।
शिवनंदन साव
आम के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को उत्तम किस्म के पौधे, कीटनाशक और दवा की खरीद पर अनुदान की व्यवस्था होनी चाहिए तभी हम आम का अधिक से अधिक हिस्से में उत्पादन कर सकेंगे।
शिवनारायण यदव
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