नप के गठन के बाद 02 पंचायतों के 2560 मनरेगा मजदूर हो गए बेकार
गुठनी में नगर पंचायत के गठन के बाद 2560 मनरेगा मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। दो साल से उन्हें कोई रोजगार नहीं मिला, जिससे आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। मजदूरों का जॉब कार्ड रद्द कर दिया गया है और स्थानीय...

गुठनी,एक संवाददाता। नगर पंचायत के गठन के बाद दो पंचायतो के 2560 मनरेगा मजदूरों को रोजगार नहीं मिलने से वे पूरी तरह बेरोजगार हो गए हैं। हालांकि, नगर पंचायत के ढाई साल पहले हुए गठन के बाद भी उनको किसी तरह का काम न मिलने से उनके सामने आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गया है। वह अपने परिवार के भरण पोषण करने के लिए बाहर जाकर मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं। इनमें से अधिकतर मजदूर ग्रामीण क्षेत्रों में काम करते थे। जिन्हें मनरेगा के तहत रोजगार और अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जाती थी। मनरेगा पीओ रंजन रत्नाकर ने बताया कि राज्य सरकार और विभाग से आदेश मिलने के बाद उनकी सारी डाटा और जॉब कार्ड को निरस्त कर दिया गया है। और इसकी सारी जानकारी जिला प्रशासन और संबंधित विभाग को भेज दी गई है। नगर पंचायत में आने से मनरेगा मजदूरों का कार्ड रद्द हो जाता है। वहीं मनरेगा मजदूरों की माने तो ढाई सालों में उनके समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जबकि स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों द्वारा उनसे अभी तक कोई संपर्क नहीं किया गया है। कार्यपालक पदाधिकारी ललित कुमार झा का कहना है कि फिलहाल नगर पंचायत में मनरेगा मजदूरों से कोई काम नहीं कराया जा रहा है। और नहीं इससे संबंधित कोई आदेश ही कार्यालय को मिला है। नगर पंचायत में मनरेगा मजदूरों को काम करने पर संशय नगर पंचायत में मनरेगा मजदूरों को फिलहाल कोई काम नहीं मिलने से उनके सामने कई तरह की परेशानियां खड़ी है कार्यपालक पदाधिकारी ललित कुमार झा ने बताया कि इसकी अभी कोई लिखित और गाइडलाइन नहीं मिली है। मनरेगा मजदूर जहां सरकार की योजनाओं में काम करते थे। वही वह अपने परिवार का भरण पोषण भी इसी काम के सहारे कर लेते थे। लेकिन काम न मिलने की स्थिति में हुए बेकार हो गए हैं।
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