खूबसूरत वॉटरफॉल देखने का है इरादा तो चले आइए बिहार, कम पैसों में दोस्तों के साथ घूमने के लिए बेस्ट स्पॉट
ठंड के मौसम में अक्सर लोग घूमने के लिए हिमाचल और उत्तराखंड का रूख करते हैं। लेकिन यहां घूमने में बहुत ही पैसे खर्च हो जाते हैं। ऐसे में कम बजट में घूमने के लिए बिहार के टूरिस्ट स्पॉट बेस्ट हैं।

ठंड के मौसम में अक्सर लोग घूमने के लिए हिमाचल और उत्तराखंड का रूख करते हैं। लेकिन यहां घूमने में बहुत ही पैसे खर्च हो जाते हैं। ऐसे में कम बजट में घूमने के लिए बिहार के टूरिस्ट स्पॉट बेस्ट हैं। यहां के नजारे देखकर आप हिमाचल-उत्तराखंड आप भूल जाएंगे। दोस्तों के साथ वीकेंड पर घूमने के लिए ये बेहतरीन प्लेस हैं। प्रकृति की गोद में बसे ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से जब झरने का पानी नीचे गिरता है तो ये देखते ही बनता है। परिवार के साथ पिकनिक मनाने के लिए ये खास है। आज की स्टोरी में हम आपको बिहार के 5 खूबसूरत वॉटरफॉल के बारे में बताने जा रहे हैं।
तिलहर वॉटरफॉल
कैमूर के भभुआ-धौधोरा रोड पर स्थित तिलहर वॉटरफॉल बेहद खास है। दुर्गावती नदी के पास रोहतास पठार पर स्थित इस झरने को तेलहर कुंड भी कहा जाता है। इसके चारों तरफ हरे-भरे पेड़-पौधे और दुर्गम पहाड़ियां है। इस झरने की खास बात यह है कि इसका पानी हमेशा ठंडा रहता है। पंछियों की चिलचिलाहट, चारो तरफ की हरियाली 80 मीटर की ऊंचाई से गिरते झरने की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है। ये स्थान पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है।
ककोलत वॉटरफॉल
बिहार के अन्य वॉटरफॉल में काकोलत जलप्रपात भी है। यहां करीब 160 फीट की ऊंचाई से गिरते झरने का पानी पर्यटकों को मनमोहित कर देता है। यहां हर साल लाखों की संख्या में लोग घूमने आते हैं। यहां के आसपास का नजारा बेहद ही प्यारा है। इस स्थान को लेकर एक लोककथा भी जुड़ी है। जिसके मुताबिक त्रेतायुग में राजा को एक ऋषि अजगर बनने का श्राप दे दिया था। पांडवों के दर्शन के बाद ही राजा को श्राप से मुक्ति मिल सकती थी। जिसके बाद वह इसी जलप्रपात के भीतर आकर रहने लगा था.
करकटगढ़ वॉटरफॉल
कैमूर के अन्य टूरिस्ट स्पॉट की बात करें तो करकटगढ़ वॉटरफॉल भी है। ठंड की छुट्टियों में घूमने के लिए ये बेस्ट प्लेस है। इको पार्क के साथ यहां मगरमच्छों का संरक्षण केंद्र भी है। 500 की ऊंचाई से गिरता कर्मनाशा नदी का पानी देखते ही बनता है। यहां का दृष्य काफी मनोरम है। इसे देखने लोग दूर-दूर से आते हैं। वहीं इसका इतिहास ब्रिटिश काल से भी जुड़ा हुआ है।
मंझर कुंड
सासाराम से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर मझर और धुआं कुड है। कैमूर के पहाड़ियों से टकराते हुए झरने का पानी धुआं कुड में 130 फीट की ऊंचाई से नीचे गिरता है। इस झरने के आसपास भी खूबसूरत जंगल है।