पहले लहलहाती थी धान की फसलें अब होती है मखाना की खेती
कमलपुर पंचायत के हरजोती गांव में 75 एकड़ उपजाऊ भूमि पर जल जमाव के कारण किसान खेती करने में असमर्थ हैं। 2009 तक यह भूमि उपजाऊ थी, लेकिन 2010 में आई बाढ़ के बाद से लगातार जल जमाव बना हुआ है। अब किसान...

निर्मली, निज प्रतिनिधि। कमलपुर पंचायत के हरजोती गांव और वार्ड 8 और 9 में किसानों के 75 एकड़ उपजाऊ भूमि पर बारिश और सीपेज का पानी सालों भर जमा रहता है। इसके कारण अब यह ज़मीन बेकार हो गया है। लगभग 20 साल पहले यह जमीन उपजाऊ थी। इसमें धान, गेहूं और मक्का की उन्नत किस्म की खेती किसान करते थे , लेकिन अब किसान उक्त जमीन मखाना की खेती करने वाले ठीकेदार को ठेका पर दे दिया हैं। इस जल जमाव वाली जमीन पर अभी मखाना की खेती हो रही हैं। बताया जाता है कि नेपाल के हनुमाननगर से लेकर निर्मली प्रखंड के पश्चिमी कोसी तटबंध के किनारे-किनारे डगमारा के लोहापुल तक जल संसाधन विभाग द्वारा नाला का निर्माण किया गया था।
बाढ़, वर्षा और सीपेज का पानी नाला होकर तिलयुगा नदी में चला जाता था। जिस वजह से जल जमाव की समस्या नहीं होती थी, लेकिन बाद में लोगों ने नाले को भर कर घर द्वार बनवा लिया। जिस वजह से पानी की बहाव बंद हो गईं। अब स्थिति ऐसी है कि लगभग 75 एकड़ जमीन में सालों भर जल जमाव रहता है। किसान खेती करने से वंचित हो गए। किसानों का कहना है कि कभी इस जमीन पर धान और मक्का की खेती होती थी। आज यह जमीन किसानों के लिए किसी काम की नहीं है। इस जलजमाव वाली जमीन पर पहले 1 एकड़ में 20 किवंटल 40 किलो धान की उपज होता था। लेकिन अब सालों भर 4 से 5 फीट पानी जमा रहने के कारण यह बेकार हो चुकी है। जिस खेत में कभी फसल लहलहाती थी उसमें आज मखाना की खेती की जाती है। किसान कैलाश मंडल,सुनील कुमार मंडल , सोने लाल मंडल , शिवजी साह , श्याम कुमार साह ने बताया कि 2009 तक यह उपजाऊ भूमि था। उसके बाद न जाने किसकी नजर लग गई कि 2010 में आई बाढ़ के बाद इस उपजाऊ जमीन पर पानी का जलजमाव जो लगा तो आज तक किसानों को इस जलजमाव से मुक्ति नहीं मिली। किसानों की खेतीबाड़ी चौपट हो गया। 2016 में नेपाल के सप्तरी जिला से सूरज कुमार मखाना की खेती करने के लिए यहां के किसानों से 8500 रुपये प्रति एकड़ जमीन एक साल के लिए लीज पर लेकर मखाना की खेती कर रहे हैं। 9 सालों से नेपाली ठेकेदार यहां आकर यहां के किसान को 500 रुपये प्रति कट्ठा की दर पर जमीन लीज लेकर मखाना की खेती कर रहे हैं। किसानों को तो घाटे की सौदा है लेकिन मजबूरी में करें तो क्या करें जो पैसा मिल रहा है वही बहुत है। कामलपुर पंचायत के मुखिया प्रकाश चंद्र मेहता ने बताया कि पानी की निकासी के लिए ह्यूम पाइप लगाया गया था। छह महीने तक पानी की निकासी भी हुई लेकिन बाद में ह्यूम पाइप भी जाम हो गया । किसान अब मजदूरी के लिए कर गए पलायन : जलजमाव के कारण किसानों की खेती छूट गई। जिनके पास खुद के दो से तीन वीघा खेत था। अपने खेतों में दूसरे को काम दिया करते थे आज वही किसान खुद दूसरों के खेतों में मजदूरी करने वाले देहारी मजदूर बन गए हैं। कमलपुर पंचायत के मुखिया प्रकाशचंद्र मेहता ने कहा कि सरकार जल जीवन हरियाली योजना के तहत जल संचय के लिए नये तालाबों के निर्माण और पुराने पर जीर्णोद्धार करने पर जोर दे रही है। अगर ऐसी योजना के तहत जल जमाव वाले जमीन पर मास्टर प्लान बना कर मछली पालन और मखाना खेती को प्रोत्साहित किया जाए तो यहां के किसान सहित सैकड़ों लोगों को रोजगार का नया अवसर मिलेगा। राज्य सरकार को किसानों के हित में इस दिशा में प्रयास करना चाहिए। जिला कृषि पदाधिकारी पप्पू कुमार ने बताया कि मखाना खेती करने वाले स्थल का निरीक्षण करने के बाद किसानों से इस संबंध में बातचीत करेंगे। इस दिशा में पहले करेंगे की किसान जो ठेका पर अपना जमीन खेती करने के लिए ठेकेदार को दे रहे हैं वह खुद को करें । मखाना की खेती करने के लिए सरकार किसानों को अनुदान दे रही हैं। सरकार से मिलने वाली सुविधा किसानों को दी जाएगी। फोटो फाइल नं-3maysup8 कैप्सन-कमलपुर में की जा रही मखाना की खेती
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