नामांकन फ्री, किताब-पोशाक के लिए नहीं दी जाती है राशि
सुपौल, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। बच्चे का नामांकन तो नि:शुल्क हो गया लेकिन अब बच्चे को

सुपौल, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। बच्चे का नामांकन तो नि:शुल्क हो गया लेकिन अब बच्चे को किताब, पोशाक सहित अन्य पढ़ाई की सामग्री कहां से लाकर देंगे। यह हाल आरटीई के तहत निजी स्कूल में अपने बच्चे कराने वाले गरीब अभिभावकों का है। जिले के अधिकांश स्कूलों में आरटीई के तहत निशुल्क शिक्षा तो मिल रही है लेकिन योजना के तहत मिलने वाले किताब, पोशाक सहित अन्य पढ़ाई की सामग्री का लाभ नहीं दिया जा रहा है। इसकी वजह से कुछ अभिभावक तो कर्ज लेकर या कई अन्य जुगत लगाकर खुद खरीदकर बच्चों को दे रहे हैं लेकिन जिनके पास कुछ नहीं है, वह बच्चों के भविष्य के लिए आरटीई को अवसर समझते हुए भी अपने बच्चों का आवेदन नहीं करवाते हैं। इसका खामियाजा यह है कि सरकार की ओर से योजना चलाए जाने के बावजूद गरीब परिवार के बच्चों को इसका लाभ दिलाना नामुमकिन हो गया है। दरअसल आरटीई के तहत निजी स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर गरीब बच्चों को निशुल्क पढ़ाया जाता है। इसके तहत मुफ्त शिक्षा के तहत बच्चों निशुल्क पढ़ाई के साथ किताब, पोशाक सहित अन्य पढ़ाई की सामग्री भी उपलब्ध कराया जाना है लेकिन जिले में अधिकांश स्कूलों में योजना की राशि हजम करने के लिए बच्चों को इसका लाभ नहीं दिया जाता है। उधर, इसपर पहल किए जाने के बजाए विभाग इस उम्मीद में है कि जब योजना की राशि आएगी तो जांच कर किताब, पोशाक सहित अन्य पढ़ाई की सामग्री की कटौती कर ली जाएगी लेकिन विभाग कोई पहल नहीं कर रहा है। इसकी वजह से गरीब परिवार या तो कर्ज लेते हैं या फिर योजना में आवेदन ही नहीं कर रहे है। इसका असर यह है कि योजना में 50 फीसदी लक्ष्य पूरा करना भी मुश्किल हो गया है। 373 बच्चों को ही मिला है योजना का लाभ: शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार निजी स्कूलों में नामांकन के 25 फीसदी सीटों पर मुफ्त नामांकन लिया जाना है। शिक्षा विभाग के अनुसार जिले में 317 परिस्वीकृति प्राप्त निजी स्कूल संचालित है इसमें महज 373 बच्चों को ही योजना का लाभ मिल सका। आरटीई के तहत अपने बच्चे का नामांकन कराने वाले पवन चौधरी ने बताया कि बच्चे का नामांकन हो गया है लेकिन किताब, पोशाक सहित अन्य पढ़ाई की सामग्री नहीं दी गई। कहा गया कि वह अभिभावकों को खरीदना होगा। इसी तरह प्रतापगंज निवासी ने बताया कि अपने बच्ची का नामांकन कराने वाले नीतीश कुमार यादव का कहना था कि स्कूल में सिर्फ फ्री एडमिशन हुआ है, लेकिन पोशाक किताब सब खुद से ही देना पड़ा है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।