फोटो पत्रकार को खबरों की समझ जरूरी: जगदीश
Prayagraj News - प्रख्यात फोटो पत्रकार जगदीश यादव ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एक व्याख्यान में कहा कि फोटो पत्रकारिता में दृश्य का लोगों पर प्रभाव महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपनी पुस्तक 'व्यू फाइंडर... तमाशा मेरे आगे'...

शब्द प्रतिबंधित हो सकते हैं, लेकिन फोटो प्रतिबंधित नहीं की जा सकती है। एक फोटो पत्रकार को खबरों की समझ होना बहुत जरूरी होता है। उसे यह भी देखना होता है कि वह जो दृश्य कैमरे में कैद कर रहा है, उसका लोगों पर किस तरह का प्रभाव पड़ेगा। यह बात प्रख्यात फोटो पत्रकार जगदीश यादव ने कही। वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज में ‘बदलती दुनिया में फोटो पत्रकारिता विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। इस अवसर पर उनकी पुस्तक ‘व्यू फाइंडर... तमाशा मेरे आगे का विमोचान भी किया गया। सेंटर के कोर्स समन्वयक डॉ. धनंजय चोपड़ा ने कहा कि पुस्तक व्यू फाइंडर मीडिया के छात्रों एवं फोटो पत्रकारिता में रुचि रखने वालों के लिए एक मार्गदर्शक सिद्ध होगी। उन्होंने फोटो पत्रकारिता के नए आयाम की बात करते हुए कहा कि फोटोग्राफी ‘माइंड डिज़ाइनिंग का खेल है और इस खेल में आगे निकलने के लिए रचनात्मक सोच होना आवश्यक है। एसके यादव ने किताब के कई अंश पढ़कर सुनाए और जगदीश यादव के जीवन संघर्षों व उपलब्धियों की भी चर्चा की। इस अवसर पर पत्रकार संजय बनौधा, शरद मालवीय, सीपी मिश्र, शिवानी बनौधा, विद्या सागर मिश्र, सचिन मेहरोत्रा, प्रियंका मिश्रा. डॉ. ऋतु माथुर, डॉ. रेखा खरे, जितेंद्र सिंह यादव आदि मौजूद रहे।
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