बिना CM कैंडिडेट के नीतीश से लड़ेगा महागठबंधन? फैसला नतीजों और बहुमत पर टाल रही कांग्रेस
- कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने महागठबंधन के मुख्यमंत्री कैंडिडेट के सवाल को चुनाव नतीजों के बाद के लिए टाल दिया है और बहुमत मिलने से जोड़ दिया है। सवाल उठ रहा है कि क्या विपक्षी गठबंधन बिना सीएम चेहरा के ही नीतीश से लड़ेगा?

क्या बिहार में विपक्षी दलों का महागठबंधन बिना मुख्यमंत्री उम्मीदवार के सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से लड़ेगा? यह सवाल कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट के शुक्रवार के पटना दौरे के बाद और गंभीर हो गया है। कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु अब तक इन सवालों को यह कहकर टाल रहे थे कि अभी इस मसले पर बात नहीं हुई है। लेकिन कन्हैया कुमार की यात्रा के समापन पर आए गांधी परिवार के करीबी सचिन पायलट ने जब इस सवाल को चुनाव नतीजों के बाद बहुमत से जोड़ दिया तो मामला सीरियस हो गया है। इसे बिहार में राजद के सामने कांग्रेस की अंगड़ाई के तौर पर लिया जाए या महागठबंधन में सीटों की लड़ाई की तरह, समझना मुश्किल है।
सचिन पायलट ने पटना में सवालों के जवाब में कहा- “हमारा गठबंधन है। और हम लोग मजबूती से चुनाव लड़ेंगे। चुनाव की घोषणा के बाद चुनाव लड़ा जाएगा। बहुमत आने के बाद निर्णय हो जाएगा कि कौन किस पद पर बैठेगा।” कांग्रेस यह पहले साफ कर चुकी है कि बिहार में उसका गठबंधन लालू यादव और तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल से जारी रहेगा। गठबंधन में बने रहने पर कोई किंतु-परंतु नहीं है लेकिन सीएम कैंडिडेट पर चुनाव बाद का जो राग कांग्रेस ने छेड़ा है, उससे तेजस्वी या लालू का धैर्य जवाब दे सकता है।
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राजद की प्रवक्ता एज्या यादव ने चुनाव बाद फैसला वाले बयान पर सचिन पायलट की हैसियत ही नाप ली। एज्या ने सचिन पायलट को सोनिया गांधी और राहुल गांधी से छोटा नेता बताया और कहा कि जब राहुल ही तेजस्वी से मिलने आते हैं तो फिर दूसरे नेता क्या बोलते हैं, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है। एज्या ने साफ-साफ कहा कि हमारी तरफ से तेजस्वी यादव का नाम फाइनल है।
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राजद के दूसरे प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने भी कांग्रेस को कन्फ्यूजन में नहीं पड़ने की सलाह दे दी। तिवारी ने कहा कि 2020 में तेजस्वी सीएम कैंडिडेट थे और 2025 में भी वो ही सीएम का चेहरा हैं। राजद बिहार में सबसे बड़ी पार्टी है और तेजस्वी ही ड्राइविंग सीट पर बैठेंगे।
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लालू और तेजस्वी 2020 के चुनाव में महागठबंधन सरकार ना बन पाने के लिए कांग्रेस को ही दोषी मानते हैं, जिसने लड़ने के लिए 70 सीट ली लेकिन 19 जीती। बाकी पार्टियों का स्ट्राइक रेट जैसा था, अगर कांग्रेस उसे हासिल कर लेती तो विपक्ष में बैठे लोगों के पास बहुमत आ गया होता। लालू यादव इस बार कांग्रेस को कम सीट देने का मन बना रखे हैं, लेकिन कांग्रेस का ये दिल मांगे मोर मोड ऑन है।
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नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के नेताओं ने तो बयान दे-देकर अमित शाह से ही कहवा लिया है कि नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनाइए।अब नीतीश के सामने इंडिया गठबंधन से कौन सवाल का जवाब जब तक राजद और कांग्रेस मिलकर नहीं खोज लेती है, तब तक महागठबंधन में भी बयानवीरों के बीच शह-मात का खेल चलता रहेगा।