Dr Bharat Bhushan Singh won the hearts of people through selfless service डॉ. भरत भूषण सिंह ने निःस्वार्थ सेवा से जीता लोगों का दिल !, Brand-post Hindi News - Hindustan
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डॉ. भरत भूषण सिंह ने निःस्वार्थ सेवा से जीता लोगों का दिल !

होमियोपैथी चिकित्सक, डॉ. भरत भूषण सिंह का कार्य केवल चिकित्सा तक सीमित नहीं, बल्कि मानवता की सेवा का जीवंत उदाहरण है। डॉ. सिंह न केवल चिकित्सा जगत में एक प्रेरणा हैं,बल्कि उन सभी के लिए उदाहरण हैं जो सेवा को अपना धर्म मानते हैं।

Brand PostTue, 29 April 2025 12:54 PM
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डॉ. भरत भूषण सिंह ने निःस्वार्थ सेवा से जीता लोगों का दिल !

सेवा का असली अर्थ होता है निस्वार्थ भाव से, बिना किसी लालच या अपेक्षा के, दूसरों की भलाई के लिए स्वयं को समर्पित कर देना। इस महान आदर्श को अपने जीवन का मूल मंत्र बनाकर, वर्षों से बिना किसी फीस के आम जनता की सेवा कर रहे हैं प्रसिद्ध होमियोपैथी चिकित्सक, डॉ. भरत भूषण सिंह। उनका कार्य केवल चिकित्सा तक सीमित नहीं, बल्कि मानवता की सेवा का जीवंत उदाहरण है। डॉ. सिंह न केवल चिकित्सा जगत में एक प्रेरणा हैं, बल्कि उन सभी के लिए उदाहरण हैं जो सेवा को अपना धर्म मानते हैं। उनकी यात्रा हमें यह सिखाती है कि सच्ची प्रतिष्ठा पद और पैसे से नहीं, बल्कि सेवा, समर्पण और संवेदना से मिलती है।

डॉ. भरत भूषण सिंह जन्म सहरसा जिले के सोनवर्षाराज प्रखण्ड स्थित छोटे से गांव विराटपुर चंडीस्थान में हुआ। डॉ. भरत भूषण सिंह दो भाई एक बहन है। उनकी शिक्षा उनके बड़े भाई श्री लक्ष्मण प्रसाद सिंह की देख-रेख में हुई। डॉक्टर साहब जीवन में संघर्ष कर आगे बढ़ते गए और हार की कभी भी चिन्ता नहीं की। वे कहते हैं किशोरावस्था में अपने जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए कुछ दिन तक मेरे मन में था कि क्या करूं जिससे आगे बढ़ सकूं। फिर बड़े भाई लक्ष्मण प्रसाद सिंह ने मेरा उत्साहवर्धन किया। उनकी इच्छा थी कि अपने घर मे भी एक डॉक्टर हो। उन्होंने ही होमियोपैथी पढ़ने की सलाह दी। उनके निरंतर मार्गदर्शन में डॉक्टर साहब ने जी तोड़ मेहनत किया और वर्ष 1980 में बिहार यूनिवर्सिटी से डीएचएमएस की डिग्री हासिल की। अमूमन होमियोपैथी में तीन विषयों में ऑनर्स होते हैं जिसमें से डॉ. भरत भूषण सिंह ने दो विषयों शल्य चिकित्सा एवं औषधि अभ्यास में ऑनर्स प्राप्त किया। डॉ. भरत बहुत मृदुभाषी हैं, इसलिए आज तक किसी से भी कोई झगड़ा-झंझट नहीं हुआ और वह किसी प्रकार का तनाव भी पसंद नहीं करते हैं।

डॉ. भरत भूषण सिंह का आध्यात्मिक जीवन

डॉ. भरत भूषण सिंह ने बहुत ही कम उम्र में श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद्र चक्रवर्ती से दीक्षा ग्रहण की एवं पढ़ाई के साथ सत्संग से भी जुड़ गए। डॉक्टर साहब का कहना है कि आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, शिक्षक बनाने के लिए बहुत सारी संस्थाएं हैं लेकिन मनुष्य को एक अच्छा मानव बनाने के लिए एक मात्र सत्संग ही संस्था है, दूसरा कोई विकल्प नहीं है। आज के दौर में बहुत से विद्यार्थी बहुत जो पढ़ने में अच्छे हैं, अच्छी डिग्री भी है लेकिन उन्हें एक अच्छी नौकरी नहीं मिली। डॉक्टर साहब कहते हैं कि अच्छी डिग्री लेने के बाद नौकरी नहीं मिलती है तो बच्चे डिप्रेशन में या पागलपन का लक्षण हो जाता है। ऐसे में कोई सत्संग से जुड़ता है तो डिप्रेशन बच सकता है। सत्संग जीवन का मूल भाव है।

निःशुल्क चिकित्सीय सेवा

सुसंस्कारी, सदविचारी, शांत व सौम्य स्वभाव के डॉ. भरत भूषण सिंह ने मन में जाति, धर्म, सम्प्रदाय, वर्ग व अन्य किसी भी तरह का भेदभाव नहीं आया है। डॉ. भरत भूषण सिंह का उद्देश्य निःशुल्क सभी लोगों की चिकित्सीय सेवा करने का रहा है। इसी उद्देश्य से शहर के डी.बी. रोड में हीरा होमियो सेवा सदन (हीरा होमियो हॉल) खोला। डॉक्टर साहब कोशी होमियोपैथिक एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। डॉ. भारत भूषण सिंह ने अपनी मां के नाम पर हीरा होमियो सेवा सदन की स्थापना की हुई है। यहां मात्र 10 रुपये के दर से दवा देते हैं।

42 साल से अधिक का अनुभव

होमियो चिकित्सा के क्षेत्र में उनका अनुभव 42 साल से अधिक हो गए हैं। उनका कहना है उनकी नि:स्वार्थ सेवा का परिणाम यह है कि आज तक कभी भी कोई दु:खी होकर नहीं गया है। लोगों की सेवा करने का यथासम्भव प्रयास करता रहता हूँ और गुरु से प्रार्थना है इसी तरह सेवाभाव बना रहे। वर्ष 2020 और 2021 में आए कोरोना काल में उन्होंने निस्वार्थ भाव से 5 हजार से अधिक मरीजों का इलाज किया। वहीं उन्होंने कई कैंसर मरीजों का भी सफल इलाज किया है। ऐसे मरीज आज खुशीपूर्वक अपनी जिंदगी जी रहे हैं।

शिक्षित परिवार

डॉ सिंह कहते हैं उनके तीन संतान हैं जिसमें एक पुत्र व दो पुत्री है। तीनो बच्चों की शादी हो चुकी है और दोनों दामाद सरकारी नौकरी में अच्छे पद पर कार्यरत हैं। शहर के प्रतिष्ठित चिकित्सक पिता डॉ. भरत भूषण सिंह एवं धर्मपरायण माता मीरा देवी के पुत्र इंजीनियर मणि भूषण सिंह बचपन से ही मेधावी रहे हैं। देवघर से बोर्ड करने के बाद वे महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी के हरियाणा स्थित बी.आर.सी.एम. सी.ई.टी. बहल भिवानी से इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में बी. ई. की डिग्री हासिल की। उसके बाद उन्होंने कैम्पस सेलेक्शन में सैमसंग कंपनी को ज्वाइन किया। फिर पांच महीने के बाद ही उनका सेलेक्शन सीएमएस में नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर में हो गया। उसके बाद वे कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखे। फिर उन्होंने बर्ड ग्रुप में सीनियर नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर के पद पर रह कई उत्कृष्ट कार्य किए।

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सहरसा के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं पुत्र मणि भूषण

सहरसा के बच्चों को भी बेहतर शिक्षा का हक है, यहां के बच्चे सहरसा में ही रहकर उत्तम शिक्षा पाकर आईएएस, आईपीएस सहित कॉरपोरेट सेक्टर में बड़े पदों पर आसीन क्यों नहीं हो सकते.. यही जज्बा लेकर शहर के सिमराहा वार्ड नं. 5 निवासी इंजीनियर मणि भूषण सिंह स्कूल खोल बच्चों को बेहतर शिक्षा दे रहे हैं। मणि भूषण जी का मानना है स्कूल में ही ऐसी शिक्षा मिले जिससे बच्चों को बाहर कोचिंग की आवश्यकता ही नहीं हो। उनके समग्र मार्गदर्शन का ही असर है कि शहर का प्रसिद्ध उनके स्कूल न्यू होराइजन इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे कहीं भी अन्य ट्यूशन पढ़ने नहीं जाते। मात्र 8 साल के अंतराल में ही मणि भूषणजी को आल राउंडर स्कूल अवार्ड तक मिल चुका है।

सहरसा में डॉ. भारत भूषण सिंह ने खोला शुद्ध शाकाहारी बोर्डिंग स्कूल

सहरसा में शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहल करते हुए डॉ. भारत भूषण सिंह ने एक विशेष बोर्डिंग स्कूल की स्थापना की है, जहां विद्यार्थियों को बिना लहसुन-प्याज का शुद्ध शाकाहारी भोजन उपलब्ध कराया जाता है। इस स्कूल की स्थापना का मुख्य उद्देश्य उन अभिभावकों की चिंता को दूर करना था, जो अपने बच्चों के लिए शुद्ध और सात्विक भोजन के साथ उत्तम शैक्षणिक वातावरण की तलाश में थे।

डॉ. भारत भूषण सिंह, जो ठाकुर अनुकूल चंद जी द्वारा संचालित सत्संग के क्षेत्रीय प्रमुख भी हैं, ने यह सुनिश्चित किया है कि बच्चों को शुद्धता और अनुशासन के साथ एक उत्कृष्ट शैक्षणिक माहौल मिले। स्कूल के हॉस्टल में विशेष ध्यान दिया गया है कि भोजन पूरी तरह शाकाहारी रहे और उसमें लहसुन-प्याज जैसी वस्तुओं का प्रयोग न हो।

उनकी इस पहल से उन पेरेंट्स को एक भरोसेमंद विकल्प मिल गया है जो चाहते हैं कि उनके बच्चे न केवल शिक्षा में अव्वल रहें, बल्कि जीवनशैली में भी सात्विकता को अपनाएं। सहरसा के इस बोर्डिंग स्कूल ने शिक्षा और संस्कार का सुंदर संगम प्रस्तुत किया है।

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मैथिलीशरण गुप्त जी की रचना " नर हो न निराश करो मन को कुछ कम करो कुछ काम करो.." हमेशा मन में रहता है और कुछ नया करने की प्रेरणा देता है। यही विश्वास अपने पुत्र को भी देता रहता हूं। यही कारण है कि सहरसा के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले इसके लिए न्यू होराइजन इंटरनेशनल स्कूल खोला गया। कम समय में ही बेहतर शिक्षा देने के कारण आज यह शहर ही नहीं प्रमंडल में अच्छे शिक्षण संस्था के रूप में जाना जाने लगा है।

- डॉ. भरत भूषण सिंह

 

संक्षिप्त जीवन परिचय

नामः डॉ. भरत भूषण सिंह

जन्म : 05.04.1959

माता : स्व. हीरा देवी

पिता : स्व. कुशेश्वर प्रसाद सिंह

पत्नी : मीरा देवी

शिक्षा : डीएचएमएस (बिहार यूनिवर्सिटी)

चेयरमैन : न्यू होराइजन इंटरनेशनल स्कूल

राष्ट्रीय अध्यक्ष : कोशी होमियोपैथी एसोसिएशन

सम्मान या अवॉर्ड : हिंदुस्तान आइकॉन अवॉर्ड

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संस्था : हीरा होमियो सेवा सदन

पता : हीरा होमियो हॉल, डी बी रोड, सहरसा

मोबाइल नंबर : 9431448616

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पताः न्यू होराइजन इंटरनेशनल स्कूल, सिमराहा, वार्ड नं. 05, सहरसा

मोबाइल नंबर: 9123138003

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( अस्वीकरण : इस लेख में किए गए दावों की सत्यता की पूरी जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति / संस्थान की है )

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