इस शेयर ने दिया 10 साल में 0 रिटर्न, अब कंपनी में भूचाल, निवेशकों में हाहाकार, शेयर बेच निकलने की होड़
- Stock Return: प्राइवेट बैंक के शेयर मंगलवार को कारोबार के दौरान अचानक 27% से अधिक टूट गए थे। यह एक दिन की एतिहासिक सबसे बड़ी गिरावट थी। हालांकि, बाद में कंपनी ने बयान जारी कर निवेशकों को धैर्य रखने को कहा और फिर अगले दिन बुधवार को इसमें कुछ रिकवरी देखी गई।

IndusInd Bank Stock Return: इंडसइंड बैंक के शेयर लगातार चर्चा में बने हुए हैं। प्राइवेट बैंक के शेयर मंगलवार को कारोबार के दौरान अचानक 27% से अधिक टूट गए थे। यह एक दिन की एतिहासिक सबसे बड़ी गिरावट थी। इससे पहले सोमवार को बैंक के शेयर 10% गिर गए थे। हालांकि, बाद में कंपनी ने बयान जारी कर निवेशकों को धैर्य रखने को कहा और फिर अगले दिन बुधवार को इसमें कुछ रिकवरी देखी गई। बावजूद इससे निवेशकों में डर का माहौल है। लेकिन ये सब हुआ क्यों... तो वजह है- फॉरेक्स डेरिवेटिव लेनदेन से जुड़े अकाउंटिंग बेमेल का चौंकाने वाला खुलासा। टैक्स के बाद 1,577 करोड़ रुपये की यह विसंगति दिसंबर 2024 तक बैंक की कुल संपत्ति के 2.35% के बराबर है। इसने बाजार में हलचल मचा दी, जिससे शेयर 52-सप्ताह के निचले स्तर 655.95 रुपये प्रति शेयर पर पहुंच गया, जो नवंबर 2020 के बाद से इसका सबसे निचला स्तर है। बता दें कि आज गुरुवार, 13 मार्च को बीएसई पर इंडसइंड बैंक का शेयर 1.84 प्रतिशत गिरकर ₹672.10 पर बंद हुआ।
10 साल में 'शून्य' रिटर्न
फाइनेंस एक्सपर्ट CA नितिन कौशिक ने सोशल मीडिया पर बैंक के स्टॉक में 10 साल की स्टैबिलिटी को दिखाया हैं। वे लिखते हैं, "इंडसइंड बैंक - शून्य रिटर्न का एक दशक। यदि आपने सितंबर 2014 में ₹1000 का निवेश किया होता, तो यह 2025 में भी ₹1000 ही होता। 10 सालों में कोई बढ़ोतरी नहीं। बैंक के शेयर में गिरावट के कारण बताते हुए लिखते हैं, ‘ऑडिटर इश्यू के कारण स्टॉक में 27% की गिरावट आई। 50% प्रमोटर होल्डिंग्स गिरवी रखी गई। CFO ने इस्तीफा दे दिया, CEO को RBI से सिर्फ़ 1 साल का एक्सटेंशन मिला। बुक वैल्यू से नीचे ट्रेड करने वाले स्टॉक का हमेशा यह मतलब नहीं होता कि यह सौदा है।’
इंडसइंड बैंक में क्या गलत हुआ?
इस सप्ताह सोमवार को खबर आई थी कि इसके सीईओ सुमंत कथपालिया को आरबीआई से तीन साल के एक्सपेक्टेड टेन्योर के बजाय केवल एक साल का विस्तार मिला है। बैंक के कमजोर तीसरी तिमाही के नतीजों से बाजार का भरोसा और भी डगमगा गया, जिसमें शुद्ध लाभ में साल-दर-साल 39% की गिरावट और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में वृद्धि देखी गई। लेकिन सबसे बड़ा झटका एक इंटरनल ऑडिट से लगा है, इसमें बैंक की विदेशी मुद्रा हेजिंग लागत में गंभीर गलत कैलकुलेशन का पता चला। पिछले पांच से सात सालों में, इंडसइंड बैंक विदेशी मुद्रा लेनदेन में अपने हेजिंग खर्चों का गलत तरीके से लेखा-जोखा कर रहा था, जिसके कारण इसकी कुल संपत्ति पर 2,100 करोड़ रुपये का कुल प्रभाव पड़ा।