अमेरिका और चीन में ट्रेड डील के बाद विदेशी निवेशक छोड़ेंगे भारत का साथ! गिरेगा बाजार?
FII on Indian Market: विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) पिछले 19 में से 17 सेशंस में खरीदार रहे हैं, जिन्होंने इस अवधि के दौरान भारतीय शेयर बाजार में 46,003.66 करोड़ रुपये डाले हैं।

FII on Indian Market: विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) पिछले 19 में से 17 सेशंस में खरीदार रहे हैं, जिन्होंने इस अवधि के दौरान भारतीय शेयर बाजार में 46,003.66 करोड़ रुपये डाले हैं। हालांकि, अब जबकि अमेरिका के साथ ट्रेड डील के बाद चीनी शेयर बाजारों पर दबाव कम होता दिख रहा है, निवेशक इस बात का एनालिस्ट कर रहे हैं कि क्या निकट भविष्य में भारत में विदेशी संस्थागत निवेश स्थिर रहेगा। सोमवार को, अमेरिका और चीन ने 90 दिनों की शुरुआती अवधि के लिए एक-दूसरे के प्रोडक्ट्स पर टैरिफ को काफी कम करने के लिए एक अप्रत्याशित समझौता किया, जिसके चलते उनके चल रहे कारोबार ट्रेड से संबंधित तनाव में कमी आई और ग्लोबल बाजारों पर पॉजिटिव असर पड़ा।
नोमुरा चीन के मार्केट पर बुलिश
बता दें कि ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने चीनी शेयरों के लिए अपने आउलुक को संशोधित करते हुए इसे ‘स्ट्रैटेजिक ओवरवेट’ कर दिया, यह देखते हुए कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध विराम एशियाई देश में इक्विटी के लिए एक बड़ा लाभ है। चीनी शेयरों पर तेजी ने निवेशकों को चिंतित कर दिया है कि क्या यह भारतीय शेयर बाजार से एफआईआई को बाहर निकलने के लिए प्रेरित करेगा।
इस साल की पहली तिमाही में, एफआईआई लगातार भारतीय शेयरों के विक्रेता रहे। जनवरी में महत्वपूर्ण बिक्री शुरू हुई (₹78,027 करोड़) जब जनवरी के मध्य में डॉलर इंडेक्स 111 के अपने शिखर पर पहुंच गया था। इसके बाद, बिक्री की गति धीमी होने लगी। अप्रैल में एफआईआई ने खरीदारी की और कुल ₹4,243 करोड़ की खरीदारी की। वैश्विक और घरेलू दोनों ही कारक भारतीय इक्विटी में एफआईआई प्रवाह में वृद्धि को बढ़ावा दे रहे हैं।
निकट भविष्य में एफआईआई प्रवाह टिकाऊ रहेगा?
एनालिस्ट का मानना है कि वैश्विक बाजार वर्तमान में अस्थिरता का अनुभव कर रहे हैं, जो लगातार बदलती नीतिगत घटनाओं के जवाब में उतार-चढ़ाव कर रहे हैं। ट्रम्प की पारस्परिक टैरिफ रणनीति का प्रभाव, जिसने पहले बाजारों में व्यवधान पैदा किया था, अमेरिका और चीन के बीच एक नए समझौते के साथ समाप्त होता दिख रहा है। ऐसा लग रहा है कि डॉलर में गिरावट का रुझान समाप्त हो गया है, और यूएस 10-वर्षीय बॉन्ड पर उपज 4.47% तक बढ़ गई है, जो भारत में एफआईआई निवेश को प्रभावित कर सकती है जो भारतीय बाजार की लचीलापन का समर्थन कर रहे हैं। जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच समझौते के संदर्भ में भारत में हाल ही में निरंतर एफआईआई प्रवाह के बने रहने की संभावना नहीं है। कमजोर डॉलर और यूएस और चीनी जीडीपी वृद्धि में संभावित गिरावट की मैक्रो संरचना नए घटनाक्रमों से बदल गई है।