मार्केट में उछाल के बावजूद इन शेयरों में गिरावट, ट्रंप के इस ऐलान के बाद लुढ़के
दवाओं की कीमतें अन्य अमीर देशों जितना कम करने के लिए एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर दस्तखत करने की बात कही। इसके बाद आज भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों के शेयरों में गिरावट है, जबकि बाकी बाजार में तेजी थी।

भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों के शेयर सोमवार को 5% तक लुढ़क गए, जबकि बाकी बाजार में तेजी थी। यह गिरावट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के बाद आई, जिसमें उन्होंने दवाओं की कीमतें अन्य अमीर देशों जितना कम करने के लिए एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर दस्तखत करने की बात कही। ट्रंप के मुताबिक, अमेरिका में दवाओं की कीमतें दूसरे देशों से 30% से 80% ज्यादा हैं।
फार्मा सेक्टर के इंडेक्स निफ्टी फार्मा में शामिल 20 कंपनियों में से 8 के शेयर लाल निशान में रहे, जबकि निफ्टी 50 में 2.4% की तेजी थी। सन फार्मा, जो भारत की सबसे बड़ी दवा कंपनी है, 5.4% गिरकर निफ्टी 50 और फार्मा इंडेक्स में सबसे बड़ी लूजर कंपनी रही। ग्लेनमार्क फार्मा 0.4% और सिप्ला 1.5% टूटे।
राॅयटर्स के मुताबिक ट्रंप ने कहा कि वे "मोस्ट फेवर्ड नेशन" प्राइसिंग (सबसे पसंदीदा देश की कीमत) लागू करने वाले इस आदेश पर सोमवार सुबह हस्ताक्षर करेंगे। अमेरिका में दवाओं की कीमतें दुनिया में सबसे ज्यादा हैं, जो अक्सर दूसरे विकसित देशों के मुकाबले तीन गुना तक होती हैं। ट्रंप ने इस अंतर को खत्म करने की बात कही है, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि वे इसे कैसे करेंगे।
भारत का अमेरिका को दवा निर्यात
कई भारतीय दवा कंपनियों को अमेरिका से बड़ी कमाई होती है, क्योंकि वे नई दवाओं के सस्ते वर्जन बेचती हैं। भारत का अमेरिका को दवा निर्यात पिछले साल 16% बढ़कर 9 अरब डॉलर पहुंच गया था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका भारत के कुल फार्मा निर्यात का एक-तिहाई हिस्सा खरीदता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिका दवाओं की कीमतें वाकई कम कर देता है, तो भारतीय कंपनियों की मुनाफे पर दबाव बढ़ सकता है।
(डिस्क्लेमर: एक्सपर्ट्स की सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं, लाइव हिन्दुस्तान के नहीं। यहां सिर्फ शेयर के परफॉर्मेंस की जानकारी दी गई है, यह निवेश की सलाह नहीं है। शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है और निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)