₹1 पर आ गया ₹800 वाला यह शेयर, 1 लाख का निवेश घटकर रह गया ₹190, अब बड़ा फैसला
Stock crash- कंपनी के शेयर कल शुक्रवार को कारोबार के दौरान फोकस में रह सकते हैं। बीते बुधवार को इसका बंद प्राइस 1.52 रुपये था।

Reliance Communications share price: अनिल अंबानी की कई कंपनियां दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही हैं। इनमें से एक कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड भी है। टेलीकॉम सेक्टर की इस कंपनी को लेकर अब एक नई खबर आई है। दरअसल, दिवाला न्यायालय ने कहा कि वह रिलायंस कम्युनिकेशंस की स्वीडिश दूरसंचार उपकरण निर्माता एरिक्सन से 550 करोड़ रुपये वापस मांगने की याचिका पर अगले महीने फैसला करेगा। बता दें कि कंपनी के शेयर कल शुक्रवार को कारोबार के दौरान फोकस में रह सकते हैं। बीते बुधवार को इसका बंद प्राइस 1.52 रुपये था। इसमें करीबन 2 पर्सेंट तक की गिरावट थी। कंपनी के शेयर जनवरी 2008 में 800 रुपये के आसपास थी। यानी इस दौरान अगर किसी निवेशक ने इसमें 1 लाख लगाए होते और अब तक इसमें निवेशित रहते तो आज की तारीख में यह रकम घटकर 190 रुपये रह जाती।
11 और 12 जून को सुनवाई
गुरुवार को राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ में संक्षिप्त सुनवाई के दौरान एरिक्सन के वकील ने याचिका को बेबुनियाद बताया। न्यायाधिकरण ने दोनों पक्षों को अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है और मामले की सुनवाई 11 और 12 जून को तय की है। बता दें कि रिलायंस कम्युनिकेशंस के शेयर 1.52 रुपये पर हैं। बता दें कि 15 साल पहले शेयर की कीमत 790 रुपये के स्तर तक पहुंच गई है। यह शेयर 99 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है।
क्या है मामला
रिलायंस कम्युनिकेशंस और इसकी दो सहायक कंपनियों- रिलायंस टेलीकॉम, रिलायंस इंफ्राटेल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2019 में एरिक्सन को ₹550 करोड़ का भुगतान किया। रिलायंस कम्युनिकेशंस का तर्क है कि यह भुगतान प्रेफेंशियल बिहेव के बराबर था, क्योंकि एरिक्सन एक परिचालन लेंडर है और उसे सुरक्षित वित्तीय ऋणदाताओं से पहले पूरा भुगतान प्राप्त हुआ।
कैसे हुआ विवाद
रिलायंस कम्युनिकेशंस ने 2019 में दिवालियापन के लिए दायर किया। इससे पहले 2013 में, रिलायंस कम्युनिकेशंस और इसकी सहायक कंपनियों ने अपने दूरसंचार नेटवर्क को बनाए रखने के लिए एरिक्सन को नियुक्त किया था। साल 2017 तक बकाया ₹1500 करोड़ से अधिक हो जाने के साथ, एरिक्सन ने दिवालियापन की कार्यवाही शुरू की। मामला आगे बढ़ा और भुगतान की समयसीमा चूक जाने के बाद एरिक्सन ने रिलायंस कम्युनिकेशंस के पूर्व अध्यक्ष अनिल अंबानी और कंपनी की इकाइयों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उस समय, रिलायंस कम्युनिकेशंस 46,000 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज के बोझ तले दबी हुई थी।
साल 2019 की शुरुआत में रिलायंस कम्युनिकेशंस ने दिवालियापन के लिए आवेदन किया और डेलॉयट को समाधान पेशेवर के रूप में नियुक्त किया गया। उसी वर्ष रिलायंस कम्युनिकेशंस ने एरिक्सन को बकाया राशि का भुगतान किया। इसके बाद में 2019 में डेलॉयट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के समक्ष एक याचिका दायर की, जिसमें तरजीही भुगतान के आधार पर एरिक्सन से रिफंड की मांग की गई। अपीलीय न्यायाधिकरण ने पक्षों को एनसीएलटी की मुंबई पीठ से संपर्क करने का निर्देश दिया, जो अब मामले की नए सिरे से सुनवाई कर रही है।