OpenAI ने दिया सरप्राइज, फ्री यूजर्स के लिए लाया पॉपुलर टूल, ऐसे करेगा काम
OpenAI यूजर्स के लिए खुशखबरी है। ओपनएआई अब अपने एजेन्टिक डीप रिसर्च टूल का नया, लाइट वर्जन फ्री यूजर्स के लिए जारी कर रहा है, साथ ही प्लस, टीम, एंटरप्राइज और एडू ग्राहकों के लिए लिमिट को भी अपग्रेड कर रहा है।

OpenAI यूजर्स के लिए खुशखबरी है। ओपनएआई अब अपने एजेन्टिक डीप रिसर्च टूल का नया, लाइट वर्जन फ्री यूजर्स के लिए जारी कर रहा है, साथ ही प्लस, टीम, एंटरप्राइज और एडू ग्राहकों के लिए लिमिट को भी अपग्रेड कर रहा है। कंपनी का कहना है कि उसका नया लाइट डीप रिसर्च टूल हाल ही में जारी किए गए ओ4-मिनी रीजनिंग मॉडल पर काम करता है और इसे "हाई क्वालिटी को बनाए रखते हुए कॉस्ट इफेक्टिव" होने के लिए डिजाइन किया गया है।
यूजर्स को मिलेगी इतनी क्वेरी
ओपनएआई प्रो यूजर्स को प्रतिदिन 250 डीप रिसर्च क्वेरी मिलेंगी, जबकि टीम, प्लस, एंटरप्राइज और एडू यूजर्स को 25 क्वेरी मिलेंगी, और फ्री यूजर्स को 5 क्वेरी तक एक्सेस मिलेगा। एक बार जब यूजर्स डीप रिसर्च के फुल वर्जन की लिमिट तक पहुंच जाते हैं, तो उनके सर्च खुद-ब-खुद लाइटवेट o4 मिनी पावर्ड वर्जन पर स्विच हो जाएगी।
ओपनएआई ने X पर एक पोस्ट में नए लाइट वर्जन के बारे में बात करते हुए लिखा, "आपकी अपेक्षा के अनुसार डेप्थ और क्वालिटी को बनाए रखते हुए रिस्पॉन्स आम तौर पर छोटे होंगे।"
हालांकि कंपनी ने नए फीचर के बारे में ज्यादा जानकारी शेयर नहीं की है, लेकिन इसने एक ग्राफ दिखाया, जिसमें बताया गया कि लाइटवेट डीप रिसर्च मॉडल की एफिशियंसी फुल मॉडल की तुलना में थोड़ी कम है, जबकि इसे "सर्विस काफी सस्ती" है।
डीप रिसर्च क्या है? यह क्यों महत्वपूर्ण है?
डीप रिसर्च एक एआई एजेंट है जिसे सबसे पहले गूगल ने लॉन्च किया था, और बाद में फरवरी में ओपनएआई द्वारा ज्यादा रिफाइन्ड वर्जन लॉन्च किए जाने पर इसे पॉपुलैरिटी मिली। तब से, कई कंपनियों ने समान या थोड़े अलग नामों के साथ ऐसे टूल्स की पेशकश शुरू की है। डीप रिसर्च/डीप सर्च कैपेबिलिटी वाले चैटबॉट की लिस्ट में जेमिनी, ग्रोक, पेरप्लेक्सिटी और कोपायलट शामिल हैं।
अपने पहले ब्लॉग पोस्ट में, ओपनएआई ने कहा था कि डीप रिसर्च सैकड़ों घंटों के ऑनलाइन सोर्स को सिंथेसाइज करके एक रिसर्च एनालिस्ट के स्तर पर रिपोर्ट तैयार कर सकता है। एलन मस्क ने इस साल फरवरी में ग्रोक के डीप रिसर्च मोड को पेश करते समय इसी तरह के दावे किए थे।
हालांकि इन कंपनियों के बड़े-बड़े दावे हमेशा वास्तविकता से मेल नहीं खाते, लेकिन इतना जरूर है कि डीप रिसर्च मॉडल गूगल सर्च या यहां तक कि चैटबॉट से पूछने की तुलना में बेहतर परिणाम प्रदान करते हैं। हालांकि, ये एजेंट अभी भी किसी भी अन्य AI पेशकश की तरह ही भ्रम (बातें बनाना) के शिकार हैं।
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