सबकुछ जैसे 1 सेकंड में हुआ, मैं कुछ नहीं कर सकती थी; मृतक की पत्नी ने सुरक्षा ना होने पर उठाए सवाल
शीतल कलाथिया जो कि अब भी सदमे में हैं, उन्होंने इतने बड़े पर्यटन स्थल पर एक भी सुरक्षाबल के ना होने पर भी सवाल उठाया। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसा केवल फिल्मों में ही होते हुए देखा था।

'हम मिनी स्विटजरलैंड कहे जाने वाली बैसरन घाटी में पहुंचे थे और खाना खाने बैठे थे, तभी अचानक गोली चलने की आवाज आने लगी। ऐसा दो बार हुआ, और दूसरी गोली चलने के बाद सभी लोगों ने भागना शुरू कर दिया। इसके बाद आतंकवादियों ने हमें घेर लिया और हिंदू पुरुषों को मुस्लिम पुरुषों से अलग होने के लिए कहा। हम सभी चुप थे और बस प्रार्थना कर रहे थे कि वे वहां से चले जाएं। लेकिन सबकुछ जैसे एक सेकंड में हो गया। उन्होंने सबको मार दिया और मैंने यह सब अपनी आंखों के सामने होते हुए देखा, लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकती थी…'
ये कहना है कश्मीर के पहलगाम में दो दिन पहले हुए आतंकी हमले में मारे गए गुजरात के रहने वाले शख्स शैलेश कलाथिया की पत्नी शीतल कलाथिया का। शैलेश उन 26 मृतकों में से एक हैं, जो इस दिल दहला देने वाले हमले में मारे गए थे।
शीतल कलाथिया जो कि अब भी सदमे में हैं, उन्होंने यह सारी बातें ANI से बातें करते हुए कहीं। उन्होंने इतने बड़े पर्यटन स्थल पर सुरक्षाबलों की अनुपस्थिति पर भी सवाल उठाया। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसा केवल फिल्मों में ही होते हुए देखा था।
शीतल ने कहा, 'हमने ऐसा केवल फिल्मों में ही होते हुए देखा था, लेकिन जब हमने इसे आंखों के सामने होते हुए देखा तो हम टूट गए। हमें सबसे ज्यादा झटका इस बात से लगा कि वहां एक भी सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं था। अगर उन्हें पता था कि उस स्थान पर ऐसे खतरे मौजूद हैं तो उन्हें किसी को भी वहां जाने नहीं देना चाहिए था।'
केंद्रीय मंत्री के सामने निकाला गुस्सा
घटनास्थल पर कोई सुरक्षा ना होने को लेकर शीतल कलाथिया केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल पर भी भड़क गईं। उन्होंने पाटिल पर नाराजगी जताते हुए कहा, 'कोई सुविधा नहीं, कोई आर्मी नहीं, कोई पुलिस नहीं। कोई छोटा-मोटा नेता या VIP आता है तो उसके साथ कितनी गाड़ियां आती हैं, यहां तक कि हेलिकॉप्टर भी आता है। टैक्स देने वालों से ही तो सब चलता है ना। VIP वालों के लिए सब सुविधा है। तो इन लोगों के लिए क्यों नहीं थी। हमने आर्मी को चिल्ला-चिल्लाकर कहा, ऊपर कितने लोग जख्मी हैं, आप लोग जल्दी से कुछ करो। हम गिरते-पड़ते नीचे उतरे।'
मृतक का बेटा बोला- हम चार लोगों का परिवार था
मृतक के बेटे नक्ष ने बताया कि हमारा चार लोगों का परिवार था जो कि इस यात्रा पर गया था। उसने कहा, 'हम चार लोग गए थे, जिसमें मेरे पिता, मेरी मां और मेरी बहन शामिल थी।'
उधर पहलगाम के स्थानीय लोगों के लिए भी यह घटना किसी भयावह सपने से कम नहीं है। पहलगाम के शॉल विक्रेता सज्जाद अहमद भट एक वायरल वीडियो में इस हमले में घायल एक पर्यटक को ले जाते हुए दिखे थे। घटना को याद करते हुए भट ने एएनआई को बताया, 'मैं अपने घर पर बैठा था, तभी मुझे पहलगाम पोनी एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल वहीद वान का संदेश मिला, जिसमें उन्होंने बैसरन घाटी में हुई घटना के बारे में बताया। हम उनके साथ गए और दोपहर तीन या साढ़े तीन बजे घटनास्थल पर पहुंचे। हमने घायलों को पानी पिलाया और जो लोग चल नहीं सकते थे, उन्हें उठाया।'
शॉल विक्रेता बोला- धर्म से पहले इंसानियत
भट ने आगे कहा, 'धर्म से पहले इंसानियत आती है। पर्यटकों की मदद करना हमारा कर्तव्य है, क्योंकि वे हमारे मेहमान हैं और हमारी आजीविका उन पर निर्भर करती है। हम उनमें से कई को अस्पताल लेकर आए, हमें अपनी जान की परवाह नहीं थी, क्योंकि जब हम वहां गए, तो लोग मदद की गुहार लगा रहे थे। जब मैंने पर्यटकों को रोते देखा, तो मेरी आंखों में आंसू आ गए। उनके आने से हमारे घरों में दीये जल उठते हैं। उनके बिना हमारी जिंदगी अधूरी है।'
बता दें कि आतंकवादियों ने मंगलवार को कश्मीर के पहलगाम में स्थित बैसरन मैदान में वहां घूमने गए पर्यटकों पर हमला किया था और 25 भारतीय नागरिकों समेत कुल 26 लोगों की जान ले ली थी। जबकि कई अन्य इस घटना में घायल हो गए थे।
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