‘वक्फ बोर्ड जमीन के कागज नहीं दिखा सकता’; अनुराग ठाकुर ने संजौली मस्जिद को बताया अवैध
भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश में शिमला नगर निगम कोर्ट द्वारा संजौली मस्जिद की शेष दो मंजिलों को गिराने के आदेश के बाद इस ढांचे को अवैध बताया है। अनुराग ठाकुर सोमवार को दावा किया कि मस्जिद का निर्माण अवैध था और वक्फ बोर्ड भी जमीन के स्वामित्व को साबित करने वाले कागज नहीं दिखा सकता।

भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश में शिमला नगर निगम कोर्ट द्वारा संजौली मस्जिद की शेष दो मंजिलों को गिराने के आदेश के बाद इस ढांचे को अवैध बताया है। अनुराग ठाकुर सोमवार को दावा किया कि मस्जिद का निर्माण अवैध था और वक्फ बोर्ड भी जमीन के स्वामित्व को साबित करने वाले कागज नहीं दिखा सकता। उन्होंने कहा कि देशभर में ऐसी और भी हजारों संपत्तियां हैं, जहां वक्फ बोर्ड ने उचित दस्तावेजों के बिना कब्जा कर लिया है।
उन्होंने कहा, "वक्फ बोर्ड की मानसिकता ऐसी है कि वे कभी भी कागज नहीं दिखाएंगे। शिमला के संजौली में जिस तरह से मस्जिद का निर्माण किया गया, वह अवैध था। जमीन के कोई कागज नहीं थे। कई महीनों बाद भी कागज पेश नहीं किए जा सके तो आदेश दे दिया गया कि सभी मंजिलें गिरा दी जाएंगी।''
भाजपा सांसद ने दावा किया कि देश में ऐसे कई और भी मामले हैं जहां वक्फ ने बिना दस्तावेजों के जमीन पर कब्जा कर लिया है।
संजौली मस्जिद विवाद में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में शिमला की एक अदालत ने शनिवार को मस्जिद की शेष दो निचली मंजिलों को गिराने का आदेश दिया है। यह फैसला नगर निगम कमिश्नर की अदालत में सुनवाई के बाद आया है, जहां वक्फ बोर्ड द्वारा आवश्यक दस्तावेज पेश न किए जाने के कारण अदालत ने यह फैसला सुनाया।
वक्फ बोर्ड को शनिवार को अदालत के सामने मस्जिद की जमीन के स्वामित्व के दस्तावेज और आर्किटेक्चरल प्लान पेश करना था। हालांकि, वक्फ बोर्ड के वकील वैध दस्तावेज पेश करने या बचाव में कोई ठोस तर्क देने में नाकाम रहे। वकील ने दावा किया कि इस जमीन पर 1947 से पहले मस्जिद मौजूद थी और वर्तमान स्ट्रक्चर ने पुराने की जगह ली है।
इस दावे के जवाब में नगर निगम कोर्ट ने सवाल किया कि यदि मस्जिद का पुनर्निर्माण 1947 के बाद किया गया था, तो वक्फ बोर्ड ने निगम से भवन योजना सहित आवश्यक अनुमति क्यों नहीं ली। कोर्ट ने पाया कि मस्जिद का निर्माण नियमों का उल्लंघन करके किया गया था।
इससे पहले 3 मई को संजौली के एक स्थानीय निवासी की ओर से पेश होने वाले वकील जगत पाल ने कहा कि कोर्ट का निर्णय वैधता के बारे में लंबे समय से चली आ रही चिंताओं को दर्शाता है। उन्होंने कहा, "आज इस मस्जिद को अवैध घोषित कर दिया गया है। 15 साल से वक्फ बोर्ड कभी भी यह साबित करने के लिए एक भी दस्तावेज पेश नहीं कर पाया कि जिस जमीन पर मस्जिद बनी है वह वैध है।"
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