Fake economist email and memo origin story of Donald Trump tariffs plan फर्जी अर्थशास्त्री, नकली मेमो और एक झूठ; ट्रंप को टैरिफ का आइडिया कहां से आया, International Hindi News - Hindustan
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फर्जी अर्थशास्त्री, नकली मेमो और एक झूठ; ट्रंप को टैरिफ का आइडिया कहां से आया

  • फेमस अमेरिकी चैनल की एंकर ने ट्रंप के टैरिफ को लेकर सनसनीखेज दावा किया है। अपने शो में उन्होंने कहा कि यह आइडिया झूठ और कोरी कल्पना पर आधारित है। यह फर्जी अर्थशास्त्री, नकली मेमो और ईमेल पर बुनी गई है।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानWed, 9 April 2025 06:39 AM
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फर्जी अर्थशास्त्री, नकली मेमो और एक झूठ; ट्रंप को टैरिफ का आइडिया कहां से आया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ ने वैश्विक बाजारों को हिला दिया है और व्यापार जगत में चिंता की लहर दौड़ गई है। इस बीच ट्रंप की विवादित टैरिफ नीति को लेकर फेमस अमेरिकी चैनल की एंकर ने सनसनीखेज दावा किया है। अपने शो में उन्होंने बताया कि यह नीति असल में एक “फर्जी व्यक्ति, फर्जी ईमेल और फर्जी मेमो” पर आधारित है, जिसकी जड़ें ट्रंप के वरिष्ठ व्यापार सलाहकार पीटर नवैरो से जुड़ी हैं।

ट्रंप ने सोमवार को सोशल मीडिया पर अमेरिकी नागरिकों से अपने फैसलों पर भरोसा रखने की अपील करते हुए कहा, “चिंता करने की जरूरत नहीं है!” जहां राष्ट्रपति के सहयोगी उनकी व्यापार नीतियों का बचाव कर रहे हैं, वहीं रिपब्लिकन पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने भी डेमोक्रेट्स और विदेशी नेताओं के साथ मिलकर ट्रंप की नीतियों की आलोचना शुरू कर दी है।

ट्रंप को टैरिफ का आइडिया कहां से आया

अमेरिकी चैनल MSNBC की मशहूर एंकर रैचेल मैडो ने अपने शो में ट्रंप के टैरिफ आइडिया की उत्पत्ति को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि यह विचार एक "फर्जी अर्थशास्त्री, फर्जी ईमेल और फर्जी मेमो" से निकला है, जिसका संबंध पीटर नवैरो से है, पीटर ट्रंप के वरिष्ठ व्यापार सलाहकार रहे हैं।

मैडो ने दावा किया कि नवैरो ने वर्षों से एक काल्पनिक अर्थशास्त्री "रॉन वारा" का उपयोग अपने विचारों को समर्थन देने के लिए किया है। उन्होंने कहा, “रॉन वारा असल में कोई व्यक्ति नहीं है। वह नवैरो की कल्पना का पात्र है। उन्होंने इसे इसलिए बनाया ताकि अपनी किताबों में बार-बार वो नाम लिख सकें।” रॉन वारा का नाम खुद पीटर नवैरो के नाम के अक्षरों का उलटफेर है।

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‘डेथ बाय चाइना’ में वारा की आवाज

नवैरो की 2011 की चर्चित किताब “Death by China” में वारा के हवाले से चीन के आयात को खतरनाक बताया गया है, “सिर्फ चीन ही एक चमड़े का सोफा एसिड बाथ, एक बेबी क्रिब घातक हथियार और एक मोबाइल बैटरी को दिल भेदने वाला शर्रपनेल बना सकता है।”

"यह सिर्फ एक मज़ाक था": नवैरो की सफाई

2019 में जब वारा के अस्तित्व पर सवाल उठे, तो नवैरो ने माना कि यह पात्र काल्पनिक है और इसे उन्होंने “एक मज़ाकिया उपकरण” के रूप में गढ़ा था। उन्होंने कहा कि इसे कभी भी जानकारी के असली स्रोत के रूप में इस्तेमाल नहीं किया गया। हालांकि, उनकी इस सफाई के बावजूद विशेषज्ञों का मानना है कि जब सरकारी नीतियां ऐसे काल्पनिक पात्रों पर आधारित तर्कों से प्रभावित हों, तो सवाल उठना स्वाभाविक है।

क्या ट्रंप भी ऐसा कर चुके हैं?

रॉन वारा की चर्चा होते ही लोगों को ट्रंप का पुराना ‘काल्पनिक प्रवक्ता’ याद आ गया—जॉन बैरन। इसे ट्रंप ने 1980 के दशक में मीडिया से संवाद के लिए खुद ही गढ़ा था। सोशल मीडिया पर लोग अब मजाक में कह रहे हैं कि जॉन बैरन और रॉन वारा मिलकर पीआर एजेंसी खोल सकते हैं।

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