एक ईसाई की हरकत पर कैसे बना था 57 मुसलमान देशों का संगठन OIC, जिसके आगे गिड़गिड़ाया पाक
पाकिस्तानी मीडिया दावा कर रहा है कि इस्लामिक सहयोग संगठन ने सहयोग करने का भरोसा दिया है। दरअसल इस्लामिक सहयोग संगठन में कश्मीर में पाकिस्तान मुसलमानों के उत्पीड़न के नाम पर गया था। यह संगठन दुनिया भर में मुसलमानों के मुद्दे उठाता रहा है, लेकिन कभी भी उसने भारत के खिलाफ कोई सख्त रुख नहीं दिखाया।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद से पाकिस्तान के खिलाफ भारत का रुख बेहद सख्त है। कश्मीर के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब घूमने आए पर्यटकों को इतनी बड़ी संख्या में धर्म पूछकर मार डाला गया। यह घटना अपने आप में पहली है तो भारत का इतना सख्त रुख भी अप्रत्याशित है। इसी से पाकिस्तान में खौफ है। उसने अपने एयरस्पेस को बंद कर दिया है। कराची और लाहौर जैसे शहरों में 4 घंटे के लिए उड़ानें बंद की जा रही हैं तो वहीं सीमा पर उसने बड़े पैमाने पर हथियारों की तैनाती कर दी है। यही नहीं पाकिस्तान ने दुनिया के 57 मुसलमान देशों के इस्लामिक सहयोग संगठन में भी गुहार लगाई है और भारत को बहुत बड़ा खतरा बताया है।
इस्लामिक सहय़ोग संगठन की ओर से कोई बयान नहीं आया है, लेकिन पाकिस्तानी मीडिया दावा कर रहा है कि उसने हमारा सहयोग करने का भरोसा दिया है। दरअसल इस्लामिक सहयोग संगठन में कश्मीर में पाकिस्तान मुसलमानों के उत्पीड़न के नाम पर गया था। आमतौर पर यह संगठन दुनिया भर में मुसलमानों के मुद्दे उठाता रहा है, लेकिन कभी भी उसने भारत के खिलाफ कोई सख्त रुख नहीं दिखाया। इसकी वजह है कि इस संगठन के ही कई अहम देशों जैसे सऊदी अरब, यूएई, ओमान और कतर जैसे देशों से भारत के रिश्ते कमोबेश अच्छे रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान अकसर 57 मुस्लिम देशों की बात कभी भी तनाव की स्थिति में करता रहा है। इस संगठन के बनने की कहानी भी दिलचस्प है।
दरअसल 21 अगस्त, 1969 को येरूशलम में स्थित अल-अक्सा मस्जिद में आगजनी की घटना हुई थी। इसे डेनिस माइकल रोहन नाम के एक ऑस्ट्रेलिया शख्स ने अंजाम दिया था। इस आगजनी में अल-अक्सा मस्जिद को बड़ा नुकसान पहुंचा था। इस जगह पर मुसलमान, ईसाई और यहूदी धर्म के लोगों के अपने-अपने दावे रहे हैं। ऐसे में जब आग लगी तो मुस्लिमों का गुस्सा भड़क गया। एक अफवाह फैली थी कि डेनिस माइकल एक यहूदी है और इस पर चर्चा करने के लिए तमाम मुस्लिम देशों की कॉन्फ्रेंस हुई। इस कॉन्फ्रेंस के दौरान ही मुस्लिम देशों के संगठन के गठन का फैसला हो गया। यह समिट मोरक्को के रबात में 25 सितंबर, 1969 को हुई थी।
इसके बाद सऊदी अरब के जेद्दा में पहली बार 1970 में इस्लामिक देशों के विदेश मंत्रियों की मीटिंग हुई और संगठन का एक औपचारिक ढांचा तय किया गया। तब निर्णय हुआ कि संगठन का स्थायी सचिवालय जेद्दा में ही बनाया जाए। इस संगठन का पहला प्रस्ताव 1972 में आया था। शुरुआत में इसके सदस्य 30 मुस्लिम देश ही थे, लेकिन अब आंकड़ा बढ़ते हुए 57 तक आ गया है। यह संगठन मुस्लिम उम्मा यानी दुनिया भर के मुसलमानों को एकजुट करने की बात करता है।
कौन-कौन से देश हैं इस्लामिक सहयोग संगठन के मेंबर
इस्लामिक सहयोग संगठन को तुर्की की पहल पर स्थापित किया गया था। फिलहाल इसके सदस्यों में भारत के पड़ोसी पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देश हैं तो वहीं इराक, ईरान, सऊदी अरब, कुवैत, इंडोनेशिया, मलयेशिया, माली, नाइजर, उज्बेकिस्तान, अफगानिस्तान जैसे देश शामिल हैं। यही नहीं फिलिस्तीन, जाम्बिया, कैमरून, गुयाना, लेबनान, लीबिया, मिस्र, तुर्की, युगांडा, ओमान, जॉर्डन और यमन जैसे देश भी इसका हिस्सा हैं।
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