ब्रह्मांड में अकेला नहीं है इंसान? समुद्र से ढके ग्रह पर मिला एलियन जीवन का संकेत, पृथ्वी से बहुत बड़ा
- यह ग्रह पृथ्वी से ढाई गुना बड़ा है और उसका वजन भी हमारी धरती से कई गुना ज्यादा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह ग्रह पूरी तरह पानी से ढका हो सकता है, जैसे एक बहुत बड़ा समुद्र।

वैज्ञानिकों ने एक ऐसी खोज की है, जो हर किसी को चौंका सकती है। उन्होंने पृथ्वी से करीब 120 प्रकाश वर्ष दूर एक ग्रह पर एलियन जीवन के संकेत पाए हैं। इस ग्रह का नाम K2-18b है और यह इतना खास है कि वैज्ञानिकों को लगता है कि वहां पानी का विशाल समुद्र हो सकता है, जहां छोटे-छोटे जीव (जैसे सूक्ष्मजीव) रह सकते हैं। यह खोज जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की मदद से हुई, जिसने इस ग्रह के आसपास के वातावरण में कुछ खास रसायन पाए, जो पृथ्वी पर सिर्फ जीवित चीजें बनाती हैं। यह खोज एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित हुई है और इसे खगोल जीवविज्ञान के क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी क्षण माना जा रहा है।
K2-18b क्या है?
K2-18b एक ऐसा ग्रह है, जो हमारे सूरज जैसे तारे की बजाय एक छोटे, ठंडे तारे की परिक्रमा करता है। यह ग्रह सिंह तारामंडल में लगभग 124 प्रकाश वर्ष की दूरी पर एक लाल बौने तारे की परिक्रमा करता है। यह ग्रह पृथ्वी से ढाई गुना बड़ा है और उसका वजन भी हमारी धरती से कई गुना ज्यादा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह ग्रह पूरी तरह पानी से ढका हो सकता है, जैसे एक बहुत बड़ा समुद्र। इसे 'हाइसीन ग्रह' कहते हैं, यानी ऐसा ग्रह जहां ढेर सारा पानी और जीवन के लिए सही माहौल हो सकता है। यह ग्रह अपने तारे से न ज्यादा दूर है, न ज्यादा पास, बल्कि ठीक उस जगह पर है, जहां पानी जमने या उड़ने की बजाय तरल रूप में रह सकता है।
क्या खास चीज मिली?
वैज्ञानिकों ने इस ग्रह के वातावरण में दो खास रसायन पाए, जिनके नाम हैं डाइमिथाइल सल्फाइड (DMS) और डाइमिथाइल डाइसल्फाइड (DMDS)। ये रसायन पृथ्वी पर समुद्र में रहने वाले छोटे-छोटे जीव, जैसे फाइटोप्लांकटन, बनाते हैं। ये वही जीव हैं, जो समुद्र में ऑक्सीजन बनाने में मदद करते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इतनी ज्यादा मात्रा में ये रसायन बिना किसी जीव के बनना बहुत मुश्किल है। यानी, हो सकता है कि K2-18b पर ऐसे छोटे जीव हों, जो इन रसायनों को बना रहे हों।
वैज्ञानिकों ने K2-18b के वायुमंडल में DMS और DMDS की उपस्थिति का पता लगाया, जो पृथ्वी पर मुख्य रूप से समुद्री फाइटोप्लांकटन जैसे माइक्रोबियल जीवन द्वारा उत्पादित होते हैं। पृथ्वी पर इन यौगिकों की सांद्रता आमतौर पर एक अरब में एक हिस्सा से कम होती है, लेकिन K2-18b पर ये 10 पार्ट्स प्रति मिलियन से अधिक पाए गए, जो हजारों गुना अधिक है। मधुसूदन ने कहा, "मौजूदा ज्ञान के आधार पर, इन सांद्रताओं को गैर-जैविक प्रक्रियाओं द्वारा समझाना असंभव है।"
अभी पक्का क्यों नहीं हुआ?
हालांकि यह खोज बहुत रोमांचक है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि हमें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। ये रसायन जीवन का संकेत तो हैं, लेकिन 100% पक्का नहीं है कि वहां जीव हैं। हो सकता है कि कोई और प्राकृतिक प्रक्रिया इन रसायनों को बना रही हो, हालांकि अभी तक ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं मिली। वैज्ञानिक और टेस्ट करेंगे, ताकि ये पक्का हो सके कि ये निशान वाकई में जीवों से आए हैं। इसके लिए उन्हें और समय चाहिए और टेलीस्कोप से और तस्वीरें लेनी होंगी।
वैज्ञानिकों का उत्साह
इस खोज ने वैज्ञानिकों को बहुत उत्साहित किया है। कैंब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर निक्कू मधुसूदन, जो इस शोध के अगुवा हैं, वे कहते हैं, "यह खोज हमें इस सवाल के करीब ले जा रही है कि क्या हम इस ब्रह्मांड में अकेले हैं।" उनका कहना है कि यह पहली बार है जब हमें इतनी दूर किसी ग्रह पर जीवन के इतने मजबूत संकेत मिले हैं।
अब आगे क्या होगा?
वैज्ञानिक अब इस ग्रह पर और नजर रखेंगे। वे जेम्स वेब टेलीस्कोप से और जानकारी इकट्ठा करेंगे, ताकि पक्का हो सके कि वहां जीवन है या नहीं। अगर यह खोज सही साबित हुई, तो यह मानव इतिहास की सबसे बड़ी खोजों में से एक होगी। लेकिन अभी हमें इंतजार करना होगा, क्योंकि वैज्ञानिक हर चीज को अच्छे से जांचना चाहते हैं।
आसान शब्दों में समझें
कल्पना करें कि आप एक दूरबीन से आकाश में बहुत दूर एक ग्रह देख रहे हैं। उस ग्रह पर आपको पानी का समुद्र दिखता है और वहां से कुछ ऐसी गंध आ रही है, जो पृथ्वी पर सिर्फ समुद्री जीवों से आती है। आप उत्साहित हो जाते हैं कि शायद वहां जीव हैं, लेकिन आप पक्का करने के लिए और जांच करते हैं। K2-18b की खोज कुछ ऐसी ही है। यह हमें उम्मीद दे रही है कि शायद हम ब्रह्मांड में अकेले नहीं हैं!
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