श्रीलंका के साथ इस खास जगह पर सैन्य अभ्यास करने जा रहा था पाकिस्तान, भारत ने करवा दिया रद्द
- मोदी की श्रीलंका यात्रा के दौरान भारत और श्रीलंका के बीच जो रक्षा सहयोग समझौता हुआ, वह भारत के 1980 के दशक में श्रीलंका के गृहयुद्ध में हस्तक्षेप के बाद इस क्षेत्र में पहला बड़ा समझौता है।

भारत की आपत्ति के बाद श्रीलंका ने पाकिस्तान के साथ इस साल प्रस्तावित एक संयुक्त नौसैनिक अभ्यास को रद्द कर दिया है। यह अभ्यास श्रीलंका के त्रिंकोमाली तट के निकट होने वाला था, जो एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यह वही त्रिंकोमाली है जहां भारत, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) मिलकर एक ऊर्जा हब विकसित कर रहे हैं। भारत ने इस अभ्यास को लेकर अपनी चिंताओं को श्रीलंका सरकार के समक्ष दृढ़ता से उठाया, जिसके बाद इस योजना को रद्द कर दिया गया।
सूत्रों के अनुसार, यह नौसैनिक अभ्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रीलंका यात्रा से कुछ सप्ताह पहले प्रस्तावित किया गया था। मोदी की इस यात्रा के दौरान भारत और श्रीलंका के बीच पहली बार एक रक्षा सहयोग समझौता (MoU) हुआ, साथ ही यूएई के साथ त्रिपक्षीय ऊर्जा परियोजना को लेकर भी एक समझौता हुआ जिसमें मल्टी-प्रोडक्ट पाइपलाइन और द्वितीय विश्व युद्ध के समय के तेल टैंक फार्म का विकास शामिल है।
भारत ने दी थी कड़ी आपत्ति
भारतीय अधिकारियों को जैसे ही इस संयुक्त अभ्यास की जानकारी मिली, कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने श्रीलंकाई प्रशासन से संपर्क किया और इस पर गहरी चिंता जताई। भारत ने साफ कहा कि इस क्षेत्र में उसके महत्वपूर्ण रणनीतिक हित हैं और इस तरह के अभ्यास भारत की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि यह अभ्यास पाकिस्तान की ओर से जानबूझकर भारत को "उकसाने" की कोशिश के रूप में देखा गया। इसके बाद श्रीलंकाई प्रशासन ने चुपचाप इस अभ्यास को रद्द कर दिया, हालांकि पाकिस्तानी पक्ष ने इसका विरोध किया था।
यह कदम पिछले साल श्रीलंका द्वारा विदेशी रिसर्च जहाजों के दौरे पर एक साल की रोक लगाए जाने के बाद उठाया गया है। कोलंबो ने यह कदम मुख्य रूप से पाकिस्तान के पुराने सहयोगी चीन के निगरानी जहाजों की गतिविधियों के कारण उठाया था। हालांकि फरवरी और मार्च में पाकिस्तान की नौसेना का जहाज PNS Aslat कोलंबो बंदरगाह आया था। मार्च में इसने श्रीलंकाई नौसेना के एक युद्धपोत के साथ राजधानी के पास "पासेक्स" अभ्यास किया, जिसमें संचार और सामरिक संचालन पर अभ्यास हुआ।
भारत की रणनीतिक चिंता
भारत लंबे समय से श्रीलंका में चीन और पाकिस्तान के युद्धपोतों के दौरे को लेकर सतर्क रहा है। खासकर जब से चीन ने हम्बनटोटा बंदरगाह को 99 वर्षों के लिए पट्टे पर ले लिया है, तब से चीनी नौसैनिक जहाजों की आवाजाही बढ़ी है। हाल के वर्षों में चीन के हाई-टेक निगरानी जहाजों की श्रीलंका यात्रा से भारत चिंतित रहा है, क्योंकि ये जहाज सैटेलाइट और मिसाइल लॉन्च को ट्रैक करने में सक्षम हैं।
इन्हीं कारणों से श्रीलंका ने पिछले वर्ष दिसंबर में एक वर्ष के लिए विदेशी अनुसंधान जहाजों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें मुख्य रूप से चीन के जहाजों को निशाना बनाया गया था। अभी तक श्रीलंका ने इन जहाजों को लेकर स्थायी नीति तय नहीं की है।
भारत-श्रीलंका रक्षा सहयोग में नई शुरुआत
5 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी की श्रीलंका यात्रा के दौरान भारत और श्रीलंका के बीच जो रक्षा सहयोग समझौता हुआ, वह भारत के 1980 के दशक में श्रीलंका के गृहयुद्ध में हस्तक्षेप के बाद इस क्षेत्र में पहला बड़ा समझौता है। यह समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को एक नई संरचना देगा और इससे संयुक्त सैन्य अभ्यास, रक्षा उत्पादन और आपसी रणनीतिक तालमेल को बढ़ावा मिलेगा।
ऊर्जा क्षेत्र में त्रिपक्षीय MoU
उसी दिन भारत, श्रीलंका और यूएई के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता भी हुआ जो त्रिंकोमाली में ऊर्जा हब के विकास से संबंधित है। यह समझौता मल्टी-प्रोडक्ट पाइपलाइन, और भारतीय ऑयल कॉरपोरेशन की श्रीलंकाई इकाई द्वारा आंशिक रूप से नियंत्रित तेल टैंक फार्म के विकास को शामिल करता है।
2022 में लंका IOC, सीलोन पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (CPC) और उनके जॉइंट वेंचर ने त्रिंकोमाली के 850 एकड़ क्षेत्र में फैले तेल भंडारण केंद्र के नवीनीकरण और संचालन के लिए लीज समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। यह क्षेत्र प्राकृतिक रूप से सुरक्षित और रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यह नया त्रिपक्षीय समझौता भारत की स्थिति को और मजबूत कर सकता है, खासकर तब जब चीन की सरकारी कंपनी सिनोपेक ने हम्बनटोटा में 3.2 अरब डॉलर की लागत से एक तेल रिफाइनरी निर्माण का करार किया है।
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