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राजनयिकों की ओर गोलीबारी कर बुरा फंसा इजरायल, फूटा कई देशों का गुस्सा; अब दी सफाई

वेस्ट बैंक के जेनिन में विदेशी राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल पर इजरायली सेना ने चेतावनी स्वरूप गोलीबारी की, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी नाराजगी फैली। कई देशों ने इस घटना को कूटनीतिक नियमों का उल्लंघन बताया है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, तेल अवीवThu, 22 May 2025 06:34 AM
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राजनयिकों की ओर गोलीबारी कर बुरा फंसा इजरायल, फूटा कई देशों का गुस्सा; अब दी सफाई

वेस्ट बैंक के जेनिन इलाके में विदेशी राजनयिकों के एक प्रतिनिधिमंडल पर इजरायली सैनिकों द्वारा कथित "चेतावनी भरी गोलीबारी" को लेकर बुधवार को कई देशों ने कड़ी नाराजगी जताई है। इस घटना पर संयुक्त राष्ट्र समेत यूरोपीय देशों और तुर्किये ने कड़ा ऐतराज जताया है और तत्काल जांच की मांग की है। बता दें कि इनमें ज्यादातर वे देश हैं जिन्होंने फिलिस्तीन में इजरायली कार्रवाई का समर्थन किया है।

क्या हुआ जेनिन में?

एएफपी के मुताबिक, जब राजनयिकों का दल और उनके साथ मौजूद पत्रकार जेनिन के एक संवेदनशील इलाके में पहुंचे, तो वहां गोलीबारी की आवाज सुनाई दी, जिसके बाद वे सभी भागकर सुरक्षित स्थान की ओर दौड़े। यह प्रतिनिधिमंडल जेनिन में इजरायली सैन्य कार्रवाइयों से हुए नुकसान का जायजा लेने आया था। फिलिस्तीनी प्राधिकरण के विदेश मंत्रालय ने कहा कि ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा और 20 से अधिक अन्य देशों के राजनयिकों का एक प्रतिनिधिमंडल जेनिन शरणार्थी शिविर में मानवीय स्थिति का जायजा लेने के लिए एक आधिकारिक मिशन पर था और इसी दौरान गोलीबारी की गई। मंत्रालय ने गोलीबारी की घटना को ‘‘जानबूझकर किया गया और गैरकानूनी कृत्य’’ बताया।

वायरल वीडियो में इजराइली सैनिकों को प्रतिनिधिमंडल पर गोलीबारी करते हुए देखा जा सकता है। वीडियो में प्रतिनिधिमंडल के सदस्य खुद को बचाने का प्रयास करते देखे जा सकते हैं। इजरायली सेना ने अपने बयान में कहा कि यह प्रतिनिधिमंडल तयशुदा रास्ते से हटकर एक प्रतिबंधित क्षेत्र में पहुंच गया था, जिस पर सैनिकों ने उन्हें चेतावनी देने के लिए हवा में गोलियां चलाईं। सेना ने यह भी कहा कि किसी को कोई चोट नहीं आई और “इस असुविधा” के लिए खेद जताया।

भड़के कई देश और UN

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने इस घटना को “अस्वीकार्य” बताया और कहा, “राजनयिकों पर गोली चलाना, चाहे वह चेतावनी के तौर पर ही क्यों न हो, पूरी तरह अस्वीकार्य है। उनकी सुरक्षा हर हाल में सुनिश्चित की जानी चाहिए।” यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काजा कैलास ने इजराइल से मांग की कि दोषियों को जरूर सजा दी जाए। बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड्स, पुर्तगाल, स्पेन और उरुग्वे ने इजरायली राजदूतों को तलब किया या जल्द ही यह मुद्दा उठाने की बात कही। मिस्र ने इसे “सभी राजनयिक मानदंडों का उल्लंघन” बताया, वहीं तुर्किये ने तुरंत जांच और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

फिलीस्तीनी पक्ष की प्रतिक्रिया

फिलिस्तीनी विदेश मंत्रालय के राजनीतिक सलाहकार अहमद अल-दीक भी प्रतिनिधिमंडल के साथ थे। उन्होंने इसे “इजरायली सेना की लापरवाही का प्रतीक” बताया। उन्होंने कहा, “इस घटना ने प्रतिनिधिमंडल को फिलीस्तीनी जनता की जिंदगी की एक झलक दिखा दी।” फिलिस्तीनी समाचार एजेंसी वाफा के अनुसार, प्रतिनिधिमंडल में ब्रिटेन, चीन, मिस्र, फ्रांस, जॉर्डन, तुर्किये और रूस समेत 20 से अधिक देशों के राजनयिक शामिल थे।

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गाजा में बिगड़ती स्थिति

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब गाजा में मानवीय संकट को लेकर वैश्विक आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इजरायल द्वारा दो महीने तक की गई मानवीय सहायता की नाकेबंदी को हाल ही में आंशिक रूप से हटाया गया है, लेकिन जरूरतें बेहद अधिक हैं। गाजा में बढ़ते संकट के बीच यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों ने इजरायल के साथ सहयोग समझौते की समीक्षा का आदेश दिया है। स्वीडन ने इजरायली मंत्रियों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है, वहीं ब्रिटेन ने इजरायल के साथ मुक्त व्यापार वार्ता को निलंबित कर दिया है। पोप लियो XIV ने भी गाज़ा की स्थिति को “चिंताजनक और दुखद” बताते हुए वहां पर्याप्त मानवीय सहायता पहुंचाने की अपील की है।

युद्ध के आंकड़े

7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा किए गए हमले में 1,218 इजरायली नागरिक मारे गए थे और 251 लोगों को बंधक बना लिया गया था, जिनमें से अब भी 57 गाजा में हैं। इनमें 34 के मारे जाने की पुष्टि सेना कर चुकी है। वहीं गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, 18 मार्च 2024 से अब तक इजरायली हमलों में कम से कम 3,509 लोगों की मौत हुई है, जिससे युद्ध शुरू होने के बाद कुल मृतकों की संख्या 53,655 पहुंच गई है।

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