Tahawwur Hussain Rana was trying to escape from India till the end the lawyer had written a letter to Rubio आखिर तक भारत से बचने को कोशिश में था राणा, वकील ने US विदेश मंत्री को लिखा था खत; क्या कहा, International Hindi News - Hindustan
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आखिर तक भारत से बचने को कोशिश में था राणा, वकील ने US विदेश मंत्री को लिखा था खत; क्या कहा

  • Tahawwur Hussain Rana: मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा का भारत प्रत्यर्पण होने के पहले उसके वकील ने उसे बचाने की बहुत कोशिश की थी। राणा के वकील क्लाइन ने मार्को रुबियो को खत लिखकर दलील देते हुए उसे भारत न भेजने की अपील की थी।

Upendra Thapak लाइव हिन्दुस्तानSun, 13 April 2025 10:05 AM
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आखिर तक भारत से बचने को कोशिश में था राणा, वकील ने US विदेश मंत्री को लिखा था खत; क्या कहा

मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले का मास्टरमाइंड एनआईए की कस्टडी में सवालों का सामना कर रहा है लेकिन ऐसा होना बिलकुल भी आसान नहीं रहा। इस साल फरवरी में जब डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित करने की मंजूरी दी थी तब उसके वकील जॉन जी क्लाइन ने उसे बचाने के लिए तमाम कोशिशें की थी। हालांकि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने अपील खारिज होने के बाद वकील ने विदेश मंत्री मार्को रुबियो को भी खत लिख लिखकर राणा के स्वास्थ्य और भारत में यातना की संभावना का हवाला देकर इसे रोकने का आग्रह किया था।

वकील के इन खतों पर जवाब देते हुए रुबियो के कार्यालय ने कहा कि राणा को भारत भेजने का फैसला संयुक्त राष्ट्र के यातना के खिलाफ कन्वेंशन का पालन करता है। इसलिए उसे भारत भेजने में कोई दिक्कत नहीं है। ट्रंप प्रशासन के इस फैसले को अमेरिकी कोर्ट का भी समर्थन हासिल था।

राणा के वकील द्वारा भेजे गए इन खतों तक एचटी पहुंचने में कामयाब रहा। जनवरी के महीने में जिस दिन अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की याचिका को खारिज कर दिया उसी दिन राणा के वकील क्लाइन ने रुबियो को खत लिखते हुए आग्रह किया कि वह राणा को भारत प्रत्यर्पित न करें। इतना ही नहीं क्लाइन ने अपने अनुरोध को विस्तार से समझाने के लिए रुबियो से मिलने का समय भी मांगा।

एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक क्लाइन ने राणा के लिए चार आधारों पर राहत की मांग की। क्लाइन ने लिखा कि राणा के ऊपर पहले भी शिकागो की अदालत में इसी केस के सिलसिले में मुकदमा चलाया गया था, जहां पर उसे बरी कर दिया गया था। दूसरा आधार बताते हुए क्लाइन ने लिखा कि मुंबई हमलों में राणा पर लगे आरोपों में उसकी भूमिका ज्यादा से ज्यादा डेविड हेडली के एक अस्टिटेंट के रूप में थी.. इससे ज्यादा कुछ नहीं। तीसरा और चौथा आधार बताते हुए क्लाइन ने लिखा कि भारत में मानवाधिकारों का रिकॉर्ड बहुत खराब है ऐसे में राणा को भी यातना का सामना करना पड़ सकता है और 64 वर्षीय राणा का स्वास्थ्य भी लगातार गिरता जा रहा है।

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इतना ही नहीं क्लाइन ने कहा कि अगर राणा को भारत प्रत्यर्पित किया जाता है तो यह इतिहास में पहली बार होगा, जब किसी व्यक्ति पर संयुक्त राज्य की अदालत में मुकदमा चलाया गया हो और उसे बरी कर दिया गया हो। अब उसे उसी केस के सिलसिले में दूसरे देश के सामने आत्म समर्पण करना पड़ रहा हो।

हालांकि क्लाइन की तमाम दलीलों को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट और मार्को रुबियो ने खारिज कर दिया और आखिरकार तहव्वुर राणा का भारत भेज दिया गया।

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