बांग्लादेश में खलबली, कौन हैं यूनुस के पीछे पड़े सेना प्रमुख जमान? भारत ने पहले ही किया था आगाह
बांग्लादेश में बीते साल हुई हिंसा के बाद मोहम्मद यूनुस ने देश की सत्ता की बागडोर अपने हाथों में ली थी। पर अब यूनुस की अंतरिम सरकार पर खतरा मंडरा रहा है। नौबत यहां तक पहुंच गई कि अब यूनुस इस्तीफा देने की तैयारी कर रहे हैं।

बांग्लादेश में पिछले साल जुलाई और अगस्त के बाद हुई हिंसा के बाद सत्ता परिवर्तन तो हो गया, लेकिन देश के हालात अब तक स्थिर नहीं हो पाए हैं। बीते कुछ महीनों से मोहम्मद यूनुस की सरकार और सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान के बीच खींचतान बढ़ती जा रही है। इस बीच बीते सप्ताह कई रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि यूनुस अपना इस्तीफा सौंपने पर विचार कर रहे हैं। इस तरह खबरें सामने आने के बाद देश में इमरजेंसी लगने और यहां तक की तख्तापलट के कयास लगाने शुरू हो गए हैं। हालांकि जिस सेना प्रमुख से यूनुस आज परेशान हैं, उसे लेकर भारत ने पहले ही चेतावनी दी थी।
दरअसल 2024 में जब जमान को बांग्लादेश का सेना प्रमुख नियुक्त किया जाने वाला था, तब भारतीय खुफिया एजेंसियों ने बांग्लादेश को आगाह किया था। हालांकि उस वक्त केंद्र में कायम शेख हसीना की पार्टी ने इन चेतावनियों की अनदेखी कर दी। न्यूज 18 ने अवामी लीग के शीर्ष सूत्रों के हवाले से बताया कि भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना से संपर्क किया था और जमान को नियुक्त ना करने सलाह दी थी। भारत ने उस वक्त जमान के प्रो पाकिस्तानी होने का हवाला दिया था।
वहीं शेख हसीना ने जहां सुझाव के लिए अधिकारी को शुक्रिया कहा, लेकिन यह बात यहीं खत्म हो गई। जानकारी के मुताबिक भारत ने दो कारणों से आपत्ति जताई थी। पहला भारत ने यह साफ किया था कि उन्हें चुनने के लिए दो बेहतर उम्मीदवारों को नजरअंदाज किया जा रहा है। वहीं भारत ने यह भी बताया था कि जमान हमेशा से ही एक पाकिस्तान समर्थक के रूप में देखे जाते हैं। बांग्लादेश के एक पत्रकार के मुताबिक इन चिंताओं के बावजूद वकार-उज-जमान को यह पद इसलिए मिला क्योंकि वह शेख हसीना के रिश्तेदार थे।
कौन हैं वकार जमान
बांग्लादेश मिलिट्री अकादमी से स्नातक की डिग्री लेने वाले जमान ने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ बांग्लादेश से डिफेंस स्टडीज में मास्टर डिग्री और किंग्स कॉलेज, लंदन से मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री हासिल की है। वह 1985 में बांग्लादेश की सेना से जुड़े थे। अपने 40 साल के करियर के दौरान जमान संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में भी काम कर चुके हैं। वहीं वह शेख हसीना की सरकार के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय के तहत सशस्त्र बल विभाग में प्रिंसिपल स्टाफ एडवाइजर के रूप में काम किया। इसी दौरान हसीना का ध्यान जमान पर पड़ा और बाद में सरकार ने उन्हें चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ नियुक्त कर दिया।
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