किसने रची झारखंड 'शराब घोटाले' की साजिश? ACB की जांच में बड़ा खुलासा; क्या मिला
झारखंड के कथित शराब घोटाले में बड़ा खुलासा सामने आया है। एसीबी की जांच में हुए खुलासे के अनुसार, यह कोई प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि एक संगठित अपराध की तरह किया गया घोटाला है।

झारखंड शराब घोटाले की एसीबी जांच में कई सनसनीखेज मामले सामने आ रहे हैं। जांच में यह बात सामने आई है कि इस घोटाले में उत्पाद विभाग के अधिकारियों और कर्मियों ने निजी कंपनियों के साथ मिलकर इस पूरे घोटाले की साजिश रची। एसीबी की जांच में यह सामने आया है कि तत्कालीन उत्पाद सचिव एवं जेएसबीसीएल के प्रबंध निदेशक रहे वरिष्ठ आईएएस विनय कुमार चौबे की भूमिका इस पूरे घोटाले में संदिग्ध रही रही। नीति निर्माण से लेकर ठेकों के आवंटन, वित्तीय नियमन और निगरानी तक पर चौबे का नियंत्रण था। उनके कार्यकाल में न तो एमजीआर की समीक्षा हुई और न ही किसी भी माह की कमी पर गारंटी की राशि वसूलने की कोई कोशिश की गई।
प्रशासनिक चूक नहीं, संगठित अपराध की आशंका
इस पूरे मामले में सामने आए तथ्यों से यह स्पष्ट है कि विभागीय अधिकारियों और निजी कंपनियों के बीच गहरी सांठगांठ रही है। यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि राज्य के खजाने को नुकसान पहुंचाने के लिए रची गई एक गहरी साजिश है, जिसकी जांच अब तेजी से आगे बढ़ रही है। जांच एजेंसियां अब इस पूरे नेटवर्क की तह में जाकर दोषियों की जवाबदेही तय करने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं। झारखंड के इस बहुचर्चित घोटाले का सच सामने आने पर राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचा हुआ है।
चौबे को 40 दिन के भीतर लिया जा सकता रिमांड पर
रांची। शराब घोटाले में गिरफ्तार वरीय आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे और संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को एसीबी गिरफ्तारी की तारीख से 40 दिन के भीतर (28 जून से पहले) रिमांड पर लेकर पूछताछ कर सकती है। गिरफ्तारी के बाद विनय कुमार चौबे की तबीयत खराब होने पर रिम्स में इलाज चल रहा है, जिस कारण एसीबी अभी पूछताछ करना सही नहीं समझ रही है। बता दें कि पुराने कानून में गिरफ्तारी के 15 दिन के भीतर ही पुलिस रिमांड पर लेकर जांच अधिकारी को पूछताछ की अनुमति थी। नए कानून में यह अवधि 40 दिन कर दी गई है। जबकि 10 साल से अधिक सजा वालों के मामले में यह अवधि 15 दिन से बढ़ाकर 60 दिन की गई है। यानी एसीबी 28 जून के भीतर पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ कर सकेगी। शराब घोटाले में एसीबी ने पुराने के साथ नए कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।
200 करोड़ का घाटा फिर भी कार्रवाई नहीं
नौ महीने में घाटा 200 करोड़ रुपये से अधिक हो गया, तब जाकर विभाग ने प्लेसमेंट एजेंसियों को डिमांड नोटिस भेजे। लेकिन गारंटी के नकदीकरण या बैंकिंग चैनलों से वसूली के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। यह इस बात का साफ संकेत है कि अधिकारी गारंटियों की असलियत जानते थे और निजी कंपनियों को जानबूझकर फायदा पहुंचाया गया।
विनय चौबे की पहले से चल रहीं दवाएं जारी रहेंगी
रांची। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय चौबे वर्तमान में रिम्स में इलाजरत हैं। अस्पताल प्रशासन के अनुसार उनके स्वास्थ्य की स्थिति फिलहाल स्थिर बनी हुई है। उन्हें किडनी रोग से संबंधित पहले से चल रही दवा जारी रखने का निर्देश दिया गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद आवश्यकतानुसार दवाओं में बदलाव की बात कही गई है। विनय चौबे की जांच और इलाज के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक मेडिकल टीम गठित की गई है। इस टीम में मेडिसिन विभाग से डॉ ऋषि तुहिन गुड़िया और डॉ अजीत डुंगडुंग, नेफ्रोलॉजी विभाग से डॉ प्रज्ञा पंत तथा कार्डियोलॉजी विभाग से डॉ मृणाल कुंज शामिल हैं। रिम्स में भर्ती आईएएस से मिलने शुक्रवार को विनय चौबे की पत्नी पहुंची थी। उन्हें जेल मैनुअल का हवाला देकर मिलने से रोका गया है। बता दें कि गुरुवार को भी वो मिलने पहुंची थी, गुरुवार को भी उन्हें मिलने से रोका गया था।