भारत के 'वॉटर बम' से पाकिस्तान में बजा तबाही का अलार्म, इमरान के सांसद की चेतावनी- भूखे मरेंगे लोग
1960 में हुई सिंधु जल संधि छह नदियों – सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज – के जल बंटवारे को तय करती है। पाकिस्तान 93% सिंधु जल का उपयोग सिंचाई और बिजली उत्पादन में करता है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को स्थगित करने के फैसले ने पाकिस्तान की राजनीति में भूचाल ला दिया है। पाकिस्तान के विपक्षी सांसद और इमरान खान की पार्टी पीटीआई के नेता सैयद अली ज़फर ने इसे "वाटर बम" करार दिया है। पाकिस्तान संसद में ज़फर ने कहा कि अगर पानी का संकट हल नहीं हुआ तो पाकिस्तान के लोग भूख से मर जाएंगे। उन्होंने सिंधु बेसिन को पाकिस्तान की जीवनरेखा कहा है।
शुक्रवार को सीनेट सत्र के दौरान विपक्षी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के वरिष्ठ नेता जफर ने आगाह करते हुए कहा, "अगर हम अभी जल संकट का समाधान नहीं करते हैं तो हम भूख से मर जाएंगे। सिंधु बेसिन हमारी जीवन रेखा है क्योंकि हमारा तीन-चौथाई पानी देश के बाहर से आता है। 10 में से नौ लोग अपने जीवन के लिए सिंधु जल बेसिन पर निर्भर हैं। हमारी 90 प्रतिशत फसलें इसी पानी पर निर्भर हैं और हमारी सभी बिजली परियोजनाएं और बांध इसी पर बने हैं।" उन्होंने कहा, "यह हमारे ऊपर लटके पानी के बम की तरह है और हमें इसे निष्क्रिय करना होगा।"
आपको बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम हमले में 26 लोगों की हत्या के बाद भारत ने सिंधु नदी जल संधि को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया। भारत ने कहा, “जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद नहीं रोकता है तब तक खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते हैं।” विदेश सचिव विनय क्वात्रा के नेतृत्व में भारत ने 7 देशों में विशेष कूटनीतिक टीमें भेजी हैं ताकि पाकिस्तान के "पीड़ित देश" वाले दावे को नकारा जा सके।
संधि का महत्व और असर
1960 में हुई सिंधु जल संधि छह नदियों – सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज – के जल बंटवारे को तय करती है। पाकिस्तान 93% सिंधु जल का उपयोग सिंचाई और बिजली उत्पादन में करता है। इसकी 80% कृषि भूमि इन जल स्रोतों पर निर्भर है। भारतीय विशेषज्ञों के अनुसार, भले ही अल्पकालिक प्रभाव सीमित हो लेकिन दीर्घकाल में भारत जलप्रवाह को मोड़ने या भंडारण संरचनाएं बना सकता है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान सरकार ने भारत से निर्णय पर पुनर्विचार करने को कहा है। उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। लेकिन भारत का रुख साफ है। भारत ने साफ शब्दों में कहा है कि आतंक और समझौता एक साथ नहीं चल सकते।