झालावाड़ ट्रिपल सुसाइड केस! घरेलू हिंसा से टूटकर मां ने बच्चों संग लगाई आग
राजस्थान के झालावाड़ जिले के सरेड़ी गांव में एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जिसने न सिर्फ स्थानीय लोगों को झकझोर दिया, बल्कि सिस्टम की भूमिका पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

राजस्थान के झालावाड़ जिले के सरेड़ी गांव में एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जिसने न सिर्फ स्थानीय लोगों को झकझोर दिया, बल्कि सिस्टम की भूमिका पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। घरेलू विवाद से त्रस्त एक 35 वर्षीय महिला रंजीता साहू ने अपने दो मासूम बच्चों—चार वर्षीय स्वास्तिक और दो वर्षीय सान्वी—के साथ कथित रूप से आत्मदाह कर लिया। यह घटना गुरुवार देर रात हुई, जिसके पीछे की कहानी में घरेलू हिंसा, मानसिक उत्पीड़न और प्रशासनिक लापरवाही की गहरी परतें छिपी हैं।
पुलिस के अनुसार, रंजीता और उसके पति अनिल साहू के बीच लंबे समय से तनाव चल रहा था। गुरुवार रात भी दोनों के बीच तीखी बहस और मारपीट हुई, जिसके बाद रंजीता ने आपातकालीन नंबर 112 पर कॉल कर मदद मांगी। कामखेड़ा थाना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर अनिल को शांति भंग करने के आरोप में हिरासत में ले लिया। लेकिन महज एक घंटे बाद ही उसी घर से दूसरी कॉल आई, जिसमें आगजनी की सूचना दी गई। जब पुलिस ने मौके पर पहुंचकर कमरे का दरवाजा तोड़ा, तो तीनों को बुरी तरह जली हालत में पाया। अस्पताल पहुंचने से पहले ही तीनों की मौत हो चुकी थी।
प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि रंजीता ने कथित तौर पर गद्दों और कपड़ों में आग लगाकर खुद को और अपने बच्चों को जिंदा जला दिया। इससे पहले भी उसने खुद को बच्चों सहित सड़क पर फेंकने की कोशिश की थी, लेकिन ग्रामीणों ने रोककर उसे वापस घर भेज दिया। यह संकेत देता है कि रंजीता मानसिक रूप से बेहद दबाव में थी और उसे तत्काल सहायता की आवश्यकता थी, जो शायद समय रहते नहीं मिल सकी।
रंजीता, जो कि मूल रूप से मध्य प्रदेश के इंदौर की रहने वाली थी, की शादी सात साल पहले अनिल से हुई थी। अनिल फल विक्रेता है और परिवार की आर्थिक स्थिति भी सामान्य बताई जा रही है। ग्रामीणों के अनुसार, दोनों के बीच अक्सर झगड़े होते रहते थे।
थाना प्रभारी सुनील वर्मा का कहना है कि महिला के परिवार ने पति पर किसी तरह का सीधा आरोप नहीं लगाया है, लेकिन आत्महत्या के लिए उकसाने या घरेलू हिंसा जैसी धाराओं में मामला दर्ज कर जांच की जा रही है। इस केस में अब कई कानूनी पहलुओं की जांच की जाएगी—जैसे कि क्या महिला मानसिक प्रताड़ना का शिकार थी, पुलिस की प्रतिक्रिया समय पर थी या नहीं, और क्या सिस्टम ने एक संभावित 'प्रोटेक्टेबल केस' को समय रहते पहचाना?
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