ट्रंप के शपथ से पहले लौट आएं US, अमेरिकी विश्वविद्यालय विदेशी छात्रों से क्यों कर रहे अपील
अमेरिकी विदेश विभाग, शैक्षिक एवं सांस्कृतिक मामलों के ब्यूरो तथा अंतरराष्ट्रीय शिक्षा संस्थान के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में कुल अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों में से आधे से अधिक (54 प्रतिशत) भारत और चीन के हैं।

अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों ने अपने अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के साथ-साथ कर्मियों के लिए यात्रा परामर्श जारी करते हुए उनसे अगले साल जनवरी में होने वाले नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले अमेरिका लौट आने की अपील की है। इस बात की आशंका जताई जा रही है कि सत्ता में आने के बाद ट्रंप प्रशासन यात्रा संबंधी कुछ प्रतिबंध लगा सकता है। डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। उन्होंने घोषणा की है कि वह अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के पहले ही दिन अर्थव्यवस्था और आव्रजन के मुद्दों पर कई कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर करेंगे।
राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान यात्रा संबंधी प्रतिबंधों के कारण होने वाली बाधाओं को लेकर चिंता के बीच, अमेरिका के कई शीर्ष विश्वविद्यालय अपने अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए यात्रा सलाह जारी कर रहे हैं। अमेरिकी विदेश विभाग, शैक्षिक एवं सांस्कृतिक मामलों के ब्यूरो तथा अंतरराष्ट्रीय शिक्षा संस्थान के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में कुल अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों में से आधे से अधिक (54 प्रतिशत) भारत और चीन के हैं।
‘मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ के अंतर्राष्ट्रीय छात्र कार्यालय में एसोसिएट डीन और निदेशक डेविड एल्वेल ने विद्यार्थियों से आगामी शीतकालीन अवकाश पर अपनी यात्रा योजनाओं का आकलन करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि ट्रम्प के तहत नए कार्यकारी आदेश यात्रा और वीज़ा प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं।
विश्वविद्यालयों की चिंता क्या है?
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल (2017-2021) के दौरान आव्रजन नीतियों से अंतरराष्ट्रीय छात्रों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया था। जनवरी 2017 में राष्ट्रपति पद संभालने के सिर्फ़ सात दिन बाद ट्रम्प ने सात मुस्लिम देशों से यात्रियों पर प्रतिबंध लगाने वाले एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। इस प्रतिबंध ने हवाई अड्डों पर अराजकता पैदा कर दी थी। कई छात्र और शिक्षक विदेश में फंस गए थे। ट्रंप प्रशासन ने बाद में इस प्रतिबंध को वेनेजुएला और उत्तर कोरिया जैसे देशों तक बढ़ा दिया था।
तब यूमास डार्टमाउथ में, स्थायी निवासी का दर्जा रखने वाले दो संकाय सदस्यों को रिहा होने से पहले बोस्टन के लोगान अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर घंटों तक हिरासत में रखा गया था। बाद में विश्वविद्यालय अधिकारियों और अन्य को साथ मिलकर उनकी सहायता करनी पड़ी थी। (भाषा इनपुट्स के साथ)
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।