चीन के भरोसे कब तक टिकेगा पाकिस्तान? आतंकियों की मदद के लिए अब एक और नापाक कोशिश
SH-15 तोपों की तैनाती पाकिस्तान की रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत की बढ़ती सैन्य शक्ति का मुकाबला करना और क्षेत्र में चीन के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करना है।

पाकिस्तान अपनी लगभग हर सैन्य जरूरत के लिए चीनी माल पर टिका हुआ है। फाइटर जेट्स से लेकर तोपों तक, पाकिस्तान सब चीन से खरीदकर भारत का मुकाबला करने की कोशिश कर रहा है। अब खबर है कि पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के नजदीक चीनी निर्मित SH-15 तोपों को तैनात किया है। यह कदम 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद उठाया गया है, जिसमें भारतीय सुरक्षा बलों ने 100 से अधिक आतंकवादियों को खत्म किया था। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, यह कदम पाकिस्तान द्वारा LoC पर सैन्य गतिविधियों को तेज करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। पाकिस्तान खासतौर से एलओसी पर तोपों का इस्तेमाल आतंकियों की भारत में घुसपैठ कराने के लिए करता है।
इकॉनोमिक टाइम्स ने खुफिया सूत्रों के हवाले से लिखा है कि SH-15 को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) में 2018 से 2020 के बीच शामिल किया गया था। पाकिस्तान ने 2019 में 236 यूनिट चीन से खरीदी थीं। यह आधुनिक मोबाइल हॉवित्जर प्रणाली नोरिन्को कंपनी द्वारा बनाई गई है, जो रॉकेट असिस्टेड प्रोजेक्टाइल से 53 किलोमीटर तक की दूरी पर सटीक हमला करने में सक्षम है। नोरिन्को को अमेरिका ने प्रतिबंधित कर रखा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, SH-15 तोपें 155 मिमी/52-कैलिबर की हैं और 53 किलोमीटर तक की रेंज के साथ प्रेसिजन-गाइडेड मुनिशन से लैस हैं।
पिछले वर्षों में भी पाकिस्तान सेना द्वारा चीनी सैटेलाइट फोन और अन्य उपकरण आतंकियों को दिए जाने के कई सबूत मिले हैं। इन उपकरणों का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों द्वारा किया जाता रहा है। एक ताजा खुफिया आकलन के मुताबिक, इस समय राज्य में 75 से अधिक विदेशी आतंकी सक्रिय हैं।
इनमें से ज्यादातर आतंकी लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों से जुड़े हैं, जिन्हें भारत सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि (निरोधक) अधिनियम, 1967 (UAPA) के तहत प्रतिबंधित कर रखा है। लश्कर का सबसे अधिक प्रभाव घाटी में है और इसकी शाखा 'द रेजिस्टेंस फोर्स' (TRF) को कई आतंकी हमलों में शामिल पाया गया है। TRF की स्थापना 2019 में हुई थी और इसे भी UAPA के तहत बैन किया गया है।
सुरक्षा एजेंसियों ने संकेत दिए हैं कि TRF 2023 के डांगरी हमले और 2024 के रियासी बस हमले में भी शामिल थी। अधिकारियों के अनुसार, TRF की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है और जल्द ही हमलावरों की पहचान उजागर हो सकती है। इस बीच, LoC पर चीनी हथियारों की मौजूदगी और विदेशी आतंकियों की सक्रियता ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है, खासकर तब जब सेना और BSF 'शून्य घुसपैठ' का दावा कर रही हैं।
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