रिश्तेदारों के बीच संपत्ति हस्तांतरण पर नहीं लगेगी स्टाम्प ड्यूटी, जम्मू-कश्मीर के लोगों को बड़ी सौगात
अधिसूचना में कहा गया है कि संपत्ति का यह नि:शुल्क हस्तांतरण तभी लागू होगा,जब हस्तांतरणकर्ता और जिन्हें हस्तांतित किया जा रहा है, यानी दोनों को आधार, पैन या पासपोर्ट जैसे दस्तावेजों में से कोई दो दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।

जम्मू-कश्मीर सरकार ने कहा है कि 01 अप्रैल से राज्य में रक्त संबंधियों के बीच संपत्ति हस्तांतरण पर कोई स्टाम्प ड्यूटी नहीं लगेगी। अधिकारियों ने बताया कि राज्य में अगर कोई व्यक्ति अपने रक्त संबंधी को कोई प्रॉपर्टी गिफ्ट डीड करता है तो उसे कोई स्टाम्प ड्यूटी नहीं देनी होगी। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 07 मार्च को अपने बजट भाषण में रक्त संबंधियों के बीच संपत्ति हस्तांतरण पर जीरो स्टाम्प ड्यूटी का ऐलान किया था। इस घोषणा के 20 दिन बाद गुरुवार (27 मार्च) को एक अधिसूचना में वित्त विभाग ने रक्त संबंधियों के बीच स्टाम्प ड्यूटी माफ करने की घोषणा की है।
वित्त विभाग के प्रधान सचिव संतोष डी. वैद्य द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है, “स्टाम्प अधिनियम, 1977 (1977 के XL) की धारा 9 के खंड (a) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, सरकार इस बात से संतुष्ट है कि जनहित में ऐसा करना आवश्यक है, इसलिए रक्त संबंधियों के बीच उपहार विलेख (Gift Deed) के आधार पर संपत्ति के हस्तांतरण के संबंध में स्टाम्प शुल्क माफ किया जाता है।”
खून के रिश्ते में कौन-कौन?
अधिसूचना में कहा गया है कि संपत्ति का यह नि:शुल्क हस्तांतरण तभी लागू होगा,जब हस्तांतरणकर्ता और जिन्हें हस्तांतित किया जा रहा है, यानी दोनों को आधार, पैन या पासपोर्ट जैसे दस्तावेजों में से कोई दो दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। इस अधिसूचना में कहा गया है कि रक्त संबंधियों से मतलब पिता, माता, भाई, बहन, पुत्र, पुत्री, दादा, दादी, पोता और पोती हो।
इस कानून के कितना फायदा?
07 मार्च को अपने बजट भाषण में उमर अब्दुल्ला ने रक्त संबंधियों के बीच उपहार लेनदेन के लिए स्टाम्प शुल्क संरचना में सुधार का प्रस्ताव दिया था ताकि लेनदेन को आसान बनाया जा सके और संपत्ति हस्तांतरण पर कानूनी विवादों को कम किया जा सके। उन्होंने कहा था, "वर्तमान में, ऐसे लेन-देन के लिए स्टाम्प शुल्क 3% से 7% तक है, जो औपचारिक पंजीकरण को हतोत्साहित करता है। इस समस्या से निपटने के लिए, मैं रक्त संबंधियों को उपहार में दी गई संपत्ति पर स्टाम्प शुल्क को शून्य करने का प्रस्ताव करता हूं, जिससे कानूनी दस्तावेजीकरण को बढ़ावा मिलने और विरासत विवादों में कमी आने से परिवारों को लाभ होगा। इस पहल से वित्तीय राहत मिलेगी, पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और जम्मू-कश्मीर में संपत्ति हस्तांतरण को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा।"
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