Deoghar District Hospital Faces Hygiene Crisis Amid Rising Health Risks बोले देवघर: बीमारों का मर्ज बढ़ा रही सदर अस्पताल की गंदगी, Deogarh Hindi News - Hindustan
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बोले देवघर: बीमारों का मर्ज बढ़ा रही सदर अस्पताल की गंदगी

देवघर जिले का सदर अस्पताल स्वास्थ्य सेवाओं का प्रमुख केंद्र है, लेकिन यहां फैली गंदगी और खुले में फेंका गया मेडिकल कचरा मरीजों के लिए नया संकट बन गया है। अस्पताल की लापरवाही से संक्रमण का खतरा बढ़ गया...

Newswrap हिन्दुस्तान, देवघरThu, 29 May 2025 04:05 PM
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बोले देवघर: बीमारों का मर्ज बढ़ा रही सदर अस्पताल की गंदगी

देवघर जिले का सदर अस्पताल, जो संपूर्ण क्षेत्र के लिए प्रमुख स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन वर्तमान में यह अस्पताल खुद बीमार होता प्रतीत हो रहा है। यह अस्पताल एक ओर जहां हजारों लोगों के इलाज की उम्मीद जगाता है, वहीं दूसरी ओर यहां फैली गंदगी, खुले में फेंका गया मेडिकल कचरा और दुर्गंध से भरा माहौल मरीजों के लिए एक नया संकट खड़ा कर रहा है। अस्पताल आने वाले लोगों को अब बीमारियों से निजात नहीं, बल्कि संक्रमण के खतरे से दो-चार होना पड़ रहा है। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि यह स्थिति कोई एक-दो दिन की नहीं, बल्कि लंबे समय से जारी है और अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है।

इन्हीं सब मुद्दों को लेकर बोले हिन्दुस्तान से संवाद के दौरान लोगों ने इससे होने वाली समस्याओं व उसके समाधान को लेकर अपनी-अपनी बात रखी। साथ ही इसके निदान पर भी चर्चा की गई। सदर अस्पताल में फैली गंदगी और लापरवाही अब महज प्रशासनिक चूक नहीं रही, बल्कि यह आम लोगों के जीवन के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। अस्पताल परिसर में खुलेआम फेंके गए मेडिकल कचरे की स्थिति बेहद चिंताजनक है। अस्पताल के विभिन्न वार्डों, गलियारों, शौचालयों और कूड़ेदान के आस-पास इस्तेमाल की गई सिरिंज, खून से सनी पट्टियां, ग्लव्स, प्लास्टिक की बोतलें, कैथेटर, इंजेक्शन वायल, थैलियां और अन्य बायोमेडिकल वेस्ट बिना किसी सुरक्षित व्यवस्था के पड़े हुए देखे जा सकते हैं। यह न केवल स्वच्छता और संक्रमण नियंत्रण से जुड़ी गाइडलाइंस का खुला उल्लंघन है, बल्कि इससे मरीज, तीमारदार, स्वास्थ्यकर्मी और सफाईकर्मी सभी गंभीर जोखिम में हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, मेडिकल वेस्ट में मौजूद खून, थूक, पेशाब, मवाद और शरीर के अन्य तरल पदार्थों में घातक वायरस और वैक्टीरिया होते हैं, जो हवा, पानी, या संपर्क के माध्यम से फैल सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि अनियमित तरीके से फेंके गए मेडिकल कचरे से हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, एचआईवी, टिटनस, टीबी, गैंगरीन और अन्य जानलेवा बीमारियों का फैलाव तेजी से हो सकता है। अस्पताल परिसर में बेधड़क घूमने वाले आवारा जानवर और झुग्गियों में रहने वाले बच्चे भी इस कचरे के संपर्क में आ सकते हैं, जिससे संक्रमण का दायरा और खतरनाक हो जाता है। खुले में पड़ी सुइयों और सिरिंज से अनजाने में किसी को कांटने पर संक्रमण सीधे खून में पहुंच सकता है। यह स्थिति खासकर सफाईकर्मियों और स्वास्थ्य सहायकों के लिए सबसे ज्यादा जानलेवा है, जिनके पास अक्सर उचित सुरक्षा उपकरण नहीं होते। ऐसे में एक छोटी सी चूक भी जीवन भर की बीमारी में बदल सकती है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यह आवश्यक है कि बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 का कड़ाई से पालन हो और अस्पताल प्रशासन इसके लिए जवाबदेह ठहराया जाए। मेडिकल कचरे को अलग-अलग रंगों के बैग में वर्गीकृत कर के सुरक्षित रूप से एकत्रित करना, ट्रिटमेंट प्लांट भेजना और संक्रमण रोकने के लिए कर्मचारियों को पीपीई किट मुहैया कराना अनिवार्य होना चाहिए। यदि अब भी प्रशासन नहीं जागा, तो यह लापरवाही बड़े संक्रमणों की चपेट में ला सकती है। लोग इससे परेशान हो सकते हैं। सुझाव 1. मेडिकल कचरे को रंगीन थैलियों में वर्गीकृत करके सुरक्षित तरीके से निपटाना सुनिश्चित किया जाए। 2. अस्पताल प्रशासन को सफाईकर्मियों के कार्यों पर निगरानी रखनी चाहिए और लापरवाही पर कार्रवाई होनी चाहिए। 3. अस्पताल परिसर में निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरा लगे, जिससे सफाई व कचरा प्रबंधन पर नियंत्रण हो सके। 4. अस्पताल में संक्रमण रोकने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की नियुक्ति होनी चाहिए। 5. गंदगी, कचरे व अव्यवस्था पर नियंत्रण के लिए प्रशासनिक स्तर पर त्वरित कदम उठाया जाना चाहिए। शिकायतें 1.अस्पताल परिसर में उपयोग की गई सिरिंज, पट्टियां, आदि खुले में पड़े मिलते हैं। 2.रजिस्ट्रेशन काउंटर के पास कचरे के ढेर से मरीजों को असुविधा हो रही है। 3. मरीज और उनके परिजन संक्रमण और दुर्गंध से भयभीत हो जाते हैं। 4. सदर अस्पताल में मेडिकल वेस्ट को लेकर सख्ती नहीं होती है 5. सफाईकर्मी मौजूद होने के बावजूद अस्पताल में सफाई की हालत खराब है।

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