Tribute to Dr Rose Karketta Celebrated Jharkhand Writer and Tribal Rights Advocate Dies लेखिका व सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. रोज केरकेट्टा के निधन पर शोक सभा, Deogarh Hindi News - Hindustan
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लेखिका व सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. रोज केरकेट्टा के निधन पर शोक सभा

झारखंड की प्रसिद्ध लेखिका और आदिवासी अधिकारों की प्रवक्ता डॉ. रोज केरकेट्टा का निधन 11 बजे रांची में हुआ। उन्होंने हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया, खासकर आदिवासी संवेदनाओं और सामाजिक न्याय...

Newswrap हिन्दुस्तान, देवघरThu, 17 April 2025 04:56 PM
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लेखिका व सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. रोज केरकेट्टा के निधन पर शोक सभा

मधुपुर,प्रतिनिधि। झारखंड की प्रख्यात लेखिका, कवयित्री, चिंतक, आदिवासी अधिकारों की सशक्त प्रवक्ता और संवाद स्वयंसेवी संस्था की संस्थापक अध्यक्षा डॉ. रोज केरकेट्टा के निधन पर स्थानीय संवाद कार्यालय बावनबीघा में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। कार्यकर्ताओं ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नमन किया। मौके पर वरिष्ठ समाजकर्मी घनश्याम ने कहा कि गुरुवार को सुबह लगभग 11 बजे रोज दी का रांची में निधन हो गया। खड़िया समुदाय से आईं, हिंदी साहित्य को नई दृष्टि देने वाली डॉ. रोज केरकेट्टा का जन्म 5 दिसंबर 1940 को सिमडेगा जिले के कसिरा सुंदरा टोली गांव में खड़िया आदिवासी समुदाय में हुआ था। उन्होंने हिंदी साहित्य में एमए और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उनकी लेखनी में आदिवासी संवेदना, सामाजिक न्याय और स्त्री विमर्श का सशक्त समावेश दिखाई देता था। उन्होंने खड़िया भाषा की संरक्षण-यात्रा को एक नई दिशा दी। साथ ही हिंदी साहित्य में भी अपनी अनूठी पहचान स्थापित की। उनकी कहानियां और कविताएं झारखंड की जीवंत सामाजिक सच्चाइयों और जनविमर्श की गूंज रही हैं। उनकी चर्चित कहानी संग्रह पगहा जोरी-जोरी रे घाटो स्त्री मन की जटिलताओं को सहजता से उजागर करने के लिए जाना जाता है। वे सिर्फ साहित्यकार नहीं, बल्कि विचार और संघर्ष की जीती-जागती मिसाल थीं। अपने साहित्यिक व सामाजिक योगदान के लिए डॉ. केरकेट्टा को प्रभावती सम्मान, रानी दुर्गावती सम्मान और अयोध्या प्रसाद खत्री सम्मान जैसे अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाज़ा गया था। उनका निधन न केवल झारखंड की साहित्यिक धरती, बल्कि देश भर के आदिवासी समाज और विमर्श के लिए एक अपूरणीय क्षति है। वे आने वाली पीढ़ियों के लिए संघर्ष, विचार और अभिव्यक्ति की प्रतीक बनी रहेंगी। मौके पर सीमांत, महेश, पंकज, सैफ, महानंद, विनोद, जावेद,बंकू, तुहीन,पवन, सीमा,ऐनी, विजय समेत दर्जनों कार्यकर्ताओं ने डॉक्टर रोज केरकेट्टा के निधन को संवाद संस्था, समाज साहित्य और संस्कृति के लिए अपूरणीय क्षति बताया।

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