Migration Crisis Laborers Leave Villages in Search of Work Amid Failed MGNREGA Initiatives नहीं थम रहा मजदूरों का पलायन, मनरेगा भी हो रहा नाकाम, Garhwa Hindi News - Hindustan
Hindi NewsJharkhand NewsGarhwa NewsMigration Crisis Laborers Leave Villages in Search of Work Amid Failed MGNREGA Initiatives

नहीं थम रहा मजदूरों का पलायन, मनरेगा भी हो रहा नाकाम

गढ़वा में मजदूरों का पलायन जारी है क्योंकि वे जीविकोपार्जन के लिए काम की तलाश में गांव छोड़ रहे हैं। मनरेगा योजनाएं प्रभावी नहीं हो रही हैं, जिससे लोग बाहर काम करने के लिए मजबूर हैं। कई गांवों में...

Newswrap हिन्दुस्तान, गढ़वाThu, 1 May 2025 12:16 AM
share Share
Follow Us on
नहीं थम रहा मजदूरों का पलायन, मनरेगा भी हो रहा नाकाम

गढ़वा, हिटी। गांवों से जीविकोपार्जन के लिए काम की तलाश में मजदूरों का पलायन नहीं थम रहा है। गांवों से लोग लगातार काम की तलाश में बाहर पलायन कर रहे हैं। पलायन की त्रासदी का आलम यह है कि विभिन्न प्रखंडों में बाहर गए मजदूरों की मौत की खबरें भी बीच-बीच में आती रहती हैं। मनरेगा के तहत संचालित योजनाएं पूरी तरह पलायन रोकने में नाकाम साबित हो रही हैं। पलायन की स्थिति ऐसी है कि गांवों से लोग घर में ताला लगाकर पूरे परिवार के साथ जीविकोपार्जन के लिए काम की तलाश में गांव छोड़कर बाहर चले गए हैं। नक्सल ग्रस्त भंडरिया प्रखंड की मदगड़ी पंचायत के मनरेगा मजदूरों को काम नहीं मिलने के कारण काफी लोग पलायन कर गए हैं।

मदगड़ी पंचायत के वार्ड नंबर दो का लाहगुड़वा टोला आदिवासी बहुल है। अधिसंख्य लोग गरीबी और काम की तलाश में पलायन कर गए हैं। मनरेगा योजनाएं उन्हें गांव में ही रोकने में नाकाम रहीं। घरों में ताला बंद है। टोले में 65 घर आदिवासियों का है। अब सभी घरों से प्राय: बुजुर्ग ही बजे हैं। गांव के बुधन उरांव, राजनाथ उरांव, कोमल उरांव, यमुना उरांव, शिवकुमार लोहार, राजन मिंज सहित कई लोग अपने-अपने घरों में ताला जड़कर चले गए हैं। टोला निवासी राजेश बाखला, पचु उरांव, सोमनाथ उरांव, जगजीवन तिर्की, मंगरू उरांव, झनक तिर्की, अमरनाथ उरांव, प्रमिला देवी, मुन्ना तिर्की, सुखन तिर्की, चिरैया कुमारी, अशोक उरांव सहित अन्य लोग भी काम करने बाहर पलायन कर गए हैं। गांव के लोगों को मनरेगा में काम करने के बाद समय में मजदूरी नहीं मिलती। जिलांतर्गत भवनाथपुर प्रखंड अंतर्गत वनसानी गांव की आबादी 6000 है। वर्तमान में 550 मजदूर काम की तलाश में बाहर पलायन कर गए हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि गांव में मनरेगा का काम भी चल रहा है, लेकिन समय पर मजदूरी नहीं मिलने की वजह से मजदूर मनरेगा के बजाए अन्य प्रदेशों में काम करने के लिए पलायन कर जाते हैं। वहीं कांडी प्रखंड अंतर्गत अनुसूचित जाति बहुल गांव डेमा गांव की कुल आबादी 665 है। उनमें 186 लोग पलायन कर गए हैं। वर्तमान में डेमा गांव में मनरेगा योजना से एक कूप का निर्माण हो रहा है। तीन आवास का निर्माण कार्य चल रहा है। जनसंख्या के अनुसार स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार उपलब्ध नहीं हो रहा है। उक्त कारण गांव के लोग पलायन के लिए मजबूर हैं। उसी तरह डंडई प्रखंड के बैदिया दामर की 600 की आबादी है। उनमें दो दर्जन से अधिक लोग काम की तलाश में पलायन कर गए हैं। वहीं रंका प्रखंड के 500 की आबादी वाले केदाल गांव से 50 से अधिक लोग काम की तलाश में बाहर पलायन कर गए हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में मनरेगा के तहत निबंधित मजदूरों में महज 8759 परिवारों को मनरेगा योजना के तहत 100 दिनों का काम दिया गया। उनमें कुल आठ लाख 87 हजार 644 मानव दिवस का सृजन हुआ। 100 दिन काम करने वाले परिवारों में जिलांतर्गत बरडीहा प्रखंड में 200, बड़गड़ में 641, भंडरिया में 156, भवनाथपुर में 355, बिशुनपुरा में 389, चिनिया में 192, डंडा में 322, डंडई में 517, धुरकी में 481, गढ़वा में 547, कांडी में 449, केतार में 314, खरौंधी में 264, मझिआंव में 280, मेराल में 938, नगर ऊंटारी में 770, रमकंडा में 753, रमना में 340, रंका में 541 और सगमा में 310 परिवार शामिल हैं।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।