चंपा गांव में पेयजल की घोर किल्लत
मेहरमा के चंपा गांव में पेयजल की गंभीर किल्लत है। सरकारी चापानल खराब पड़े हैं और केवल कुछ ही काम कर रहे हैं। ग्रामीणों ने निजी बोरिंग की मदद ली है। 3 सोलर जलमिनार भी पिछले डेढ़-दो वर्षों से बंद हैं।...

मेहरमा। प्रखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत शंकरपुर के गांव चंपा में पेयजल की घोर किल्लत है। सरकारी चापानल खराब पड़े हैं। जो ठीक भी है, वह लोगों की प्यास बुझाने के लिए नाकाफी है। गांव के लोग निजी बोरिंग वालों की सेवा पर आश्रित हैं।गांव में तीन सोलर जलमिनार है। पैक्स के पास, शिव मंदिर के पास तथा गिरीश मंडल के घर के पास। परंतु सभी डेढ़ 2 वर्षों से बंद पड़ा है। इसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। इस गांव की आबादी लगभग ढाई हजार के आसपास है। यहां कुल 10 चापानल है। परंतु केवल तीन चार ही काम कर रहा है।
बाकी खराब पड़ा है। कुछ तो लोगों के मवेशी बांधने के काम आ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि पेयजल संकट को देखते हुए शिव मंदिर स्थित चापानल को ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से बनवाया। परंतु वह काम चलाऊ ही है। इसके अलावा दो नए चापाकल लगाए गए हैं। जिस पर पूरे गांव की निर्भरता है। ग्रामीणों ने शिकायत की, कि राजेंद्र मंडल के घर के सामने के चापानल को पैक कर उसमें समरसेबल डालकर निजी उपयोग में लाया जा रहा है। इसके अलावा हरिबोल यादव, लालू यादव, बटेश्वर मंडल, नंदकिशोर मंडल, गिरीश मंडल, अजय मंडल, सुनील मंडल, प्रमोद मंडल आदि के घर के सामने का चापानल खराब है। पंचायत की मुखिया कविता देवी ने बताया कि ग्रामीणों की शिकायत के बाद चापानल ठीक करवाए गए हैं। अगर और चापानल खराब हैं, तो उसे भी ठीक कराया जाएगा। वहीं प्रखंड विकास पदाधिकारी अभिनव कुमार ने कहा कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कनीय अभियंता को इस संकट से अवगत कराते हुए खराब पड़े चापानलों को जल्द से जल्द ठीक करने का निर्देश दिया गया है। ताकि इस समस्या का निराकरण हो सके। व्यास मुनि यादव(ग्रामीण)- गांव के खराब चापानलों को दुरुस्त करने हेतु संबंधित कनीय अभियंता को सुचित किए जाने के बावजूद अब तक इसे ठीक नहीं कराया गया है। ऐसे अधिकारियों की जिम्मेवारी तय होनी चाहिए। सुदामा मंडल (सामाजिक कार्यकर्ता)-स्थानीय जनप्रतिनिधि समस्या को लेकर गंभीर नहीं हैं। वरना गांव के तीनों जलमिनार 1 वर्ष से अधिक समय से खराब पड़ा है। जिससे कि इसे लगाने का उद्देश्य ही खटाई में पड़ गया है। यह सरकारी राशि का बंदर बांट है। श्याम यादव (स्थानीय)- गर्मी के दस्तक देते ही क्षेत्र में जल संकट गहरा जाता है। विभाग खाना पूरी कर अपना पल्ला झाड़ लेता है। ऊपर से कुछ लोगों द्वारा निजी तौर पर कराए जा रहे डीप बोरिंग के कारण जल स्तर और नीचे चला गया है। जिससे कि चापानल फेल हो रहे हैं। सुरेंद्र कुमार (ग्रामीण)- चापा नल के खराब रहने से गांव के लोग एक किलोमीटर दूर शिव मंदिर से पानी लाने को विवश हैं या फिर निजी बोरिंग वालों के मोहताज। विभाग को इस समस्या के निराकरण की दिशा में कार्रवाई करनी चाहिए।
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