बगोदर में पहली बार ढाई एकड़ भूमि पर लहलहा रहे हैं सूरजमुखी के पौधे
बगोदर प्रखंड में पहली बार सूरजमुखी की खेती की गई है। किसान मनीष कुमार ने दो एकड़ में सूरजमुखी उगाए हैं। कृषि विभाग से मिली प्रेरणा और मुफ्त बीज से मनीष ने फसल को सफलतापूर्वक उगाया। सूरजमुखी का तेल...

धर्मेन्द्र पाठक बगोदर। बगोदर प्रखंड क्षेत्र में पहली बार सूरजमुखी की खेती की गई है। दो एकड़ भू-भाग में सूरजमुखी के पौधे लहलहा रहे हैं। इतना ही नहीं पौधों में निकल आए सूरजमुखी का पीला - पीला फूल भी देखने में काफी मनमोहक लग रहा है। सूरजमुखी का उत्पादन बेहतर होने पर इलाके के सूरजमुखी तेल के शौकीन लोगों को स्थानीय स्तर पर तेल मिलने की संभावना है।
बगोदर प्रखंड के बेको पश्चिमी पंचायत अंतर्गत कारीपहरी में किसान मनीष कुमार उर्फ तुलसी के द्वारा सूरजमुखी की खेती की गई है। उन्होंने बताया कि सूरजमुखी की खेती के लिए कृषि विभाग से उन्हें प्रेरणा और खेती की तकनीक मिली है। साथ ही सूरजमुखी की खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग के द्वारा ही इन्हें मुफ्त में बीज भी उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने बताया कि दो एकड़ भू-भाग में सूरजमुखी की खेती की गई है। जनवरी महीने में बीज लगाए गए थे और पौधों में फूल आने लगे हैं। बताया कि एक-एक पौधा में आठ- दस फूल निकलता है और फूल में ही फल रूपी बीज होता है। उक्त बीज से तेल निकाला जाता है और इसका सेवन खाना पकाने में किया जाता है। साथ ही सूरजमुखी तेल में औषधीय गुण भी होते हैं। सूखी त्वचा, एक्जिमा और सोरायसिस के उपचार में भी इसका तेल सहायक होता है। उन्होंने बताया कि सूरजमुखी की पैदावार अच्छी होने पर उससे तेल निकालकर स्थानीय स्तर पर उसकी बिक्री की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि तेल निकालने के बाद सूरजमुखी के बीज के बचे हुए हिस्से का उपयोग पशु आहार के लिए भी किया जाता है। यह आहार प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होता है। यहां यह भी बता दें कि किसान मनीष कुमार के द्वारा पिछले कई वर्षों से समेकित और जैविक खेती की जाती रही है।
एक घटना से बदली मनीष की जिंदगी
बगोदर के बेको पश्चिमी पंचायत के रहनेवाले मनीष कुमार उर्फ तुलसी के साथ हुई एक घटना ने उनकी जिंदगी बदल दी है। पहले वे रोजगार के लिए भटक रहे थे और अब न सिर्फ आत्मनिर्भर हैं बल्कि मजदूरों को रोजगार भी दे रहे हैं। कृषि कार्य के माध्यम से उनकी जिंदगी बदल गई है। उन्होंने बताया कि उनके साथ हुई एक घटना के बाद वे भागकर मुंबई चले गए थे और वहां एक किसान के द्वारा बड़े पैमाने पर की गई सेव व नींबू की खेती को देखकर उससे कृषि कार्य के करने के लिए प्रेरणा मिली और घर आने के कुछ सालों बाद उन्होंने इसकी शुरुआत की और आज पांच सालों से इनके द्वारा समेकित और जैविक खेती की जा रही है। इससे इनकी न सिर्फ आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है बल्कि इनके इस कार्य में जुड़े कई किसानों को रोजगार भी मिल रहा है और उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार हो रही है। मनीष के द्वारा उस जमीन पर खेती की जा रही जो जमीन पांच साल पूर्व बंजर हुआ करता था।
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