Hazaribagh Drug Crisis Rising Opium Cultivation and Youth Addiction बोले हजारीबाग: चौपारण को नशाखोरी का केंद्र बनने से बचाएं, Hazaribagh Hindi News - Hindustan
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बोले हजारीबाग: चौपारण को नशाखोरी का केंद्र बनने से बचाएं

हजारीबाग का चौपारण इलाका अफीम की खेती और नशे के व्यापार के कारण संकट में है। पुलिस और प्रशासन के प्रयासों के बावजूद, युवा नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं। नशे का ये बढ़ता जाल न केवल व्यक्तिगत जीवन को...

Newswrap हिन्दुस्तान, हजारीबागFri, 18 April 2025 05:54 PM
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बोले हजारीबाग: चौपारण को नशाखोरी का केंद्र बनने से बचाएं

हजारीबाग। जिले का चौपारण इलाका इन दिनों अफीम की खेती और नशे के अवैध कारोबार के कारण सुर्खियों में है। एक ओर पुलिस और नारकोटिक्स विभाग लगातार छापेमारी कर नशे की खेती को नष्ट करने में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर यह जहर धीरे-धीरे पूरे समाज को खोखला कर रहा है। वन विभाग भी नशे की खेती के उन्मूलन के अभियान में सहयोग कर रहा है, लेकिन अफसोसजनक यह है कि तमाम कोशिशों के बावजूद नशे की खेती पर पूरी तरह लगाम नहीं लग पाई है। सूत्रों के अनुसार, चौपारण, टाटीझरिया, बड़कगांव से लेकर कटकमसांडी और हजारीबाग के आसपास के ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की जा रही है। यह खेती पहले जंगलों के भीतर होती थी, लेकिन अब यह खुले में, खेतों और बारी में की जाने लगी है। इसका सीधा असर युवाओं पर पड़ रहा है, जो या तो इसके सेवन के शिकार हो रहे हैं या फिर इसकी तस्करी में शामिल हो जा रहे हैं। नशा कारोबार अब सिर्फ एक आर्थिक अपराध नहीं रहा, बल्कि सामाजिक संकट बन चुका है। अफीम की खेती से जुड़े लोगों को जब पुलिस पकड़ती है, तो जेल की सलाखें उनका इंतजार करती हैं। लेकिन जेल जाने से डरने के बजाय कई लोग इस धंधे को फिर से शुरू कर देते हैं क्योंकि इसमें पैसे की तेज आमद होती है।

इसी चक्कर में कई परिवार तबाह हो चुके हैं। छोटे-छोटे बच्चे स्कूल छोड़कर इस गोरखधंधे में लग रहे हैं, जिससे शिक्षा और भविष्य दोनों पर संकट मंडरा रहा है। अफीम की खेती के चलते क्षेत्र में हिंसा की घटनाएं भी बढ़ी हैं। जमीन कब्जा, पैसे के लेन-देन में मारपीट, अवैध हथियारों का इस्तेमाल – ये सब आम होते जा रहे हैं। पुलिस कार्रवाई के बावजूद नशा माफिया नए रास्ते खोज लेते हैं। जरूरत है एक व्यापक रणनीति की, जिसमें पुलिस, प्रशासन, समाज और युवाओं को मिलकर नशे के खिलाफ एकजुट होना होगा। वरना चौपारण से हजारीबाग तक यह जहर और फैलता चला जाएगा और आने वाली पीढ़ियों का भविष्य अंधकार में समा जाएगा। चौपारण क्षेत्र में सबसे चिंताजनक स्थिति यह है कि नशे की गिरफ्त में आने वाले युवाओं की उम्र 14 से 25 वर्ष के बीच है।

यह वह उम्र होती है जब युवा अपने भविष्य की नींव रखते हैं, लेकिन नशे की लत उन्हें भटकाव की ओर धकेल रही है। दोस्ती और यारी के नाम पर नशे की शुरुआत होती है और फिर यह आदत बन जाती है, जिससे निकल पाना मुश्किल हो जाता है। नशीली पदार्थों के सेवन से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर तो बुरा असर पड़ता ही है, साथ ही यह सामाजिक व्यवस्था को भी कमजोर करता है। नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति अवसाद, चिंता और आत्म-सम्मान में कमी जैसे मानसिक रोगों का शिकार हो जाता है। वहीं, अपराध की बढ़ती घटनाओं के पीछे भी नशा एक मुख्य कारण के रूप में सामने आ रहा है।

इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए केवल पुलिस प्रशासन की कार्रवाई ही पर्याप्त नहीं है। जरूरत है समाज के हर तबके की जागरूकता की। स्कूलों और कॉलेजों में नशीले पदार्थों के खतरों के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए। साथ ही, परिवारों को भी अपने बच्चों पर निगरानी रखनी चाहिए और उन्हें नशे से दूर रखने के लिए संवाद करना चाहिए।

नशे का यह बढ़ता जाल केवल चौपारण या हजारीबाग की समस्या नहीं है, यह पूरे समाज को अंदर से खोखला कर रहा है। यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो आने वाली पीढ़ी नशे की गिरफ्त में पूरी तरह जकड़ जाएगी और इसका खामियाजा पूरे समाज को भुगतना पड़ेगा। समय है कि सरकार, प्रशासन, समाज और हर नागरिक एकजुट होकर इस सामाजिक बुराई के खिलाफ खड़ा हो। यही एकमात्र रास्ता है अपने युवाओं को नशे की लत से बचाने का है।

भगहर बना शराब का गढ़ बिहार भेज रहे हैं तस्कर

भगहर क्षेत्र अवैध शराब के कारोबार का एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है। बिहार से सटी सीमा होने के कारण, भगहर के रास्ते बड़े पैमाने पर शराब की तस्करी बिहार में खुलेआम की जा रही है। वही पूरे क्षेत्र में अवैध महुआ शराब का निर्माण धड़ल्ले से चल रहा है। बताया जाता है कि कितनी ही बार पुलिस और आबकारी विभाग ने छापेमारी कर सैकड़ों अवैध भट्टियों को ध्वस्त किया, लेकिन शराब निर्माण और तस्करी का यह गोरखधंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा है। एक स्थानीय युवक ने बताया कि पुलिस आती है, कुछ भट्टियां तोड़ती है और फिर सब पहले जैसा हो जाता है।

जागरूक लोगों को आगे आने की बतायी जरूरत

समाज के पढ़े-लिखे और जागरूक लोगों को सामने आकर इस समस्या के समाधान में भागीदारी निभानी होगी। नशे की गिरफ्त में आए युवाओं को प्रेरित करना, मार्गदर्शन देना और उन्हें नशा छोड़ने के लिए सहयोग करना बेहद जरूरी है। साथ ही स्कूल, कॉलेज और अन्य शिक्षण संस्थानों में जागरूकता कार्यक्रम, गोष्ठियों और सेमिनारों का आयोजन कर नशे के दुष्प्रभावों की जानकारी दी जानी चाहिए, जिससे छात्र शुरुआत से ही सतर्क रहें और इस बुराई से दूर रहें। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद पुलिस ने कोई सख्त कदम नहीं उठाया। इससे कारोबार और बढ़ गया है।

बर्बाद हो रहा है युवाओं का भविष्य

नशे की लत युवाओं को धीरे-धीरे बर्बादी की ओर ले जा रही है। पढ़ाई छोड़कर युवा नशे में डूब रहे हैं, जिससे उनका भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। माता-पिता और अभिभावक भी इस स्थिति से अनजान हैं या गंभीर नहीं हो पा रहे हैं। युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति से समाज में एक संकट खड़ा हो गया है। समय रहते यदि इस पर रोक नहीं लगी, तो पूरा सामाजिक ताना-बाना कमजोर हो जाएगा। ठोस पहल जरूरी है। शाम होते ही प्रखंड मुख्यालय स्थित मैदान और अन्य सार्वजनिक स्थल नशेड़ियों के अड्डे में तब्दील हो जाते हैं। लोगों के अनुसार, अब तो बच्चों तक को बोनफिक्स जैसे पदार्थों का सेवन करते देखा जा रहा है।

शाम होते ही झलकने लगता है जाम

शाम होते ही प्रखंड मैदान और स्कूल जैसे स्थानों पर नशेड़ी इकट्ठा होकर हंगामा करने लगते हैं। इससे राहगीरों, बच्चों और अभिभावकों को डर और असहजता का सामना करना पड़ता है। बच्चों पर इसका सीधा बुरा असर पड़ रहा है, जिससे उनका मानसिक विकास और पढ़ाई प्रभावित हो रही है। यदि ऐसे स्थानों की निगरानी नहीं बढ़ाई गई, तो सार्वजनिक स्थलों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। प्रशासन को सतर्कता बरतते हुए ऐसे स्थानों पर कड़ी निगरानी और कार्रवाई करनी चाहिए। गांवों और कस्बों में भी नशे का कारोबार बेरोकटोक चल रहा है।

इनकी भी सुनिए

चौपारण में युवाओं के बीच बढ़ती नशाखोरी की समस्या अत्यंत चिंताजनक है। पुलिस प्रशासन इस अवैध कारोबार पर तत्काल और सख्त कार्रवाई करें, ताकि हमारे युवाओं को इस दलदल से बचाया जा सके। नशे के कारोबार में संलिप्त लोगों की पहचान कर पुलिस को जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए।

-मनोज कुमार यादव, विधायक, बरही

चौपारण में नशाखोरी की समस्या को लेकर पुलिस पूरी तरह से गंभीर है और इस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए लगातार प्रयासरत है। हमें क्षेत्र में नशीले पदार्थों के अवैध कारोबार की जानकारी मिल रही है। इस नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं। हाल ही में कई छापेमारी की हैं

-अनुपम प्रकाश, थाना प्रभारी, चौपारण

युवाओं में बढ़ती नशे की लत समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है। यह लत उन्हें बर्बादी की ओर ले जा रही है। समाधान नहीं होने से अंधकारमय जीवन हो जाएगा। -रामस्वरूप पासवान

नशे के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए शिक्षित लोगों को आगे आना होगा। इसके अलावा समाज को जागरूक कर युवाओं को इस नशे से बाहर निकालने का प्रयास जरूरी है। -बिराज रविदास

मैंने कई बार स्थानीय पुलिस को नशा कारोबारियों की शिकायत दी, लेकिन अब तक कोई खास कार्रवाई नहीं हुई। नशे का व्यापार लगातार फैलता जा रहा है। इसमें प्रशासन सख्ती करे। -सूरज सिन्हा

आज के युवा पढ़ाई छोड़ नशे की गिरफ्त में जा रहे हैं, जिससे उनका शैक्षणिक भविष्य खतरे में है। अभिभावक इस स्थिति से अंजान हैं। उन्हें सजग करने की आवश्यकता है। -बीरू सिंह

प्रखंड मैदान में शाम होते ही नशेड़ियों की भीड़ लग जाती है। वे शोरगुल और उत्पात मचाते हैं, जिससे राहगीरों को असहजता महसूस होती है। स्थानीय लोगों में भय का माहौल है। -अरविंद बर्णवाल

मध्य विद्यालय चौपारण के आसपास अब नशेड़ी दिखाई देने लगे हैं। इससे बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। पढ़ाई में बाधा और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं उभर रही हैं। -श्रवण केशरी

ग्रामीण इलाकों में भी अब नशा कारोबार खुलेआम हो रहा है। सामाजिक संरचना को कमजोर कर रहा है। पुलिस और प्रशासन को इस दिशा में गंभीरता दिखानी होगी। इसे रोका जा सकता है। -जितेंद्र साहू

युवाओं के भविष्य को बचाने के लिए नशाखोरी के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। प्रशासन को यह समझना होगा कि यदि अभी नहीं रुका, तो पीढ़ियों का नुकसान होगा। -सोनू बर्णवाल

स्कूल, कॉलेज और शिक्षण संस्थानों में नशे के दुष्प्रभाव को लेकर गोष्ठियां होनी चाहिए। छात्रों को इसके नुकसान समझाए जाने चाहिए। इससे जागरूकता आएगी और वे नशे से दूर रहेंगे। -रौनक कुमार

पुलिस को नशे के सौदागरों तक पहुंच बनानी चाहिए और उनके नेटवर्क को तोड़ना होगा। यदि यह धंधा चलता रहा तो नशाखोरी का जाल और फैल जाएगा। ठोस कार्रवाई से ही यह खत्म हो सकता है। -रंजीत यादव

नशे की लत युवाओं को तेजी से बर्बादी की ओर ले जा रही है। पढ़ाई छूट रही है और अंधकारमय होता जा रहा है। समाज और प्रशासन को मिलकर इस पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है। - बनन कुमार

पुलिस को बार-बार शिकायत देने के बावजूद नशे के कारोबार पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। नशे का जाल फैल रहा है। अब समय आ गया है कि प्रशासन सक्रिय हो और रोके। -दीपक कुमार

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