त्योहारों पर नहीं काट सकते बिजली, झारखंड हाईकोर्ट का सख्त निर्देश; नुकसान भी गिनवाया
- झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में रामनवमी, मोहर्रम और सरहुल आदि के मौके पर पर निकलने वाले जुलूस के दौरान 10-10 घंटे तक बिजली काटने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने सोरेन सरकार से जवाब मांगा है।

झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में रामनवमी, मोहर्रम और सरहुल आदि के मौके पर पर निकलने वाले जुलूस के दौरान 10-10 घंटे तक बिजली काटने पर रोक लगा दी है। अदालत ने गुरुवार को राज्य सरकार से ऐसे मौके पर जुलूस निकालने के लिए अनुमति दिए जाने के समय झंडों की लंबाई और चौड़ाई निर्धारित करने के लिए कहा, ताकि झंडे बिजली के तार के संपर्क में नहीं आए। अदालत ने ऐसी व्यवस्था तत्काल करने का निर्देश दिया। इस मामले में सरकार और झारखंड बिजली वितरण निगम को नौ अप्रैल तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी।
चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने एक अप्रैल को सरहुल जुलूस के दौरान पांच से दस घंटे तक बिजली काटे जाने के मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए उक्त निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि बिजली आपूर्ति एक ज़रूरी सेवा है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है, ऐसे में जेबीवीएनएल द्वारा बिजली आपूर्ति बंद किए जाने से शहर के लोगों पर ज्यादा असर पड़ता है। बुजुर्गों, बीमार लोगों, छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों पर ज्यादा असर पड़ता है। बिजली नहीं रहने से व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बंद हो जाते हैं, इससे राजस्व का नुकसान होता है। निजी और सरकारी अस्पताल भी इससे प्रभावित होते हैं। सुनवाई को दौरान सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि बिजली काटने का निर्णय एहतियात के तौर पर लिया गया। इस दौरान महाधिवक्ता ने वर्ष 2000 में पलामू में रामनवमी जुलूस के दौरान हुए हादसे का भी जिक्र किया।
क्या बोला हाईकोर्ट
● मानक तय करके ही जुलूस निकालने की इजाजत दें
● जुलूस निकालने वाले संगठनों को पहले ही इसकी सूचना दें
● झंडों की ऊंचाई इतनी हो कि बिजली तार से दूरी बनी रहे
● मौसम खराब या आपात स्थिति न होने पर बिजली में कटौती न करें
● बिजली काटने से शहर के लोगों पर ज्यादा असर पड़ता है
● कटौती से बुजुर्ग, बीमार, बच्चों, गर्भवती प्रभावित होते हैं