झारखंड 'शराब घोटाले' में नया खुलासा, 2 अधिकारियों ने मिलकर लगा दिया 200 करोड़ का चूना
झारखंड के कथित शराब घोटाले में प्रदेश सरकार को बड़ा नुकसान का दावा किया गया है। मिली जानकारी के अनुसार, इस मामले में सरकार को करीब 200 करोड़ रुपए का चूना लगा है।

झारखंड में कथित शराब घोटाले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। अबतक की जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि यह केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं बल्कि एक पूर्वनियोजित साजिश थी, जिसमें राज्य के वरिष्ठ अधिकारी और दो प्रमुख निजी कंपनियां विजन हॉस्पिटैलिटी सर्विसेज एंड कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड और मार्शन इनोवेटिव सिक्योरिटी प्राइवेट लिमिटेड गहराई से शामिल थीं। बताया जा रहा है कि इस साजिश से राज्य सरकार को करीब 200 करोड़ का नुकसान हुआ।
जानबूझकर आरबीआई के दिशा-निर्देशों की अवहेलना
2011 से ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सभी बैंक गारंटियों को स्ट्रक्चर्ड फाइनेंशियल मैसेजिंग सिस्टम के माध्यम से सत्यापित करने की अनिवार्यता तय कर दी थी, ताकि जालसाजी रोकी जा सके। बावजूद, उत्पाद विभाग ने न तो एसएफएमएस नेटवर्क का उपयोग किया और न ही भौतिक सत्यापन किया। इस चूक का लाभ निजी प्लेसमेंट एजेंसियों ने उठाया और जाली बैंक गारंटियों के आधार पर ठेके हासिल किए, जिससे राज्य को हर महीने करोड़ों रुपये का घाटा होता रहा। अगर एसएफएमएस के जरिए इन गारंटियों की जांच होती, तो जालसाजी तुरंत पकड़ी जा सकती थी।
विनय चौबे को 28 जून से पहले रिमांड पर लेगी एसीबी
रांची। शराब घोटाले में गिरफ्तार वरीय आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे और संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को एसीबी गिरफ्तारी की तारीख से 40 दिन के भीतर (28 जून से पहले) रिमांड पर लेकर पूछताछ कर सकती है। पुराने कानून में गिरफ्तारी के 15 दिन के भीतर रिमांड पर लेकर पूछताछ का प्रावधान था। नए कानून में यह अवधि 40 दिन की गई है। जबकि 10 साल से अधिक सजा वालों के मामले में यह अवधि 15 दिन से बढ़ाकर 60 दिन की गई है। एसीबी 28 जून के भीतर पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ कर सकेगी। बता दें कि गिरफ्तारी के बाद तबीयत खराब होने पर विनय चौबे का रिम्स में इलाज चल रहा है।