बोले रामगढ़: पानी को परेशान हैं 3पंचायतों के 40 हजार लोग
केदला में सीसीएल कर्मचारियों को पानी की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। केदला उतरी, मध्य और इचाकडीह पंचायतों में रहने वाले मजदूरों को पिछले छह महीने से पानी नहीं मिल रहा है। चोपड़ा मोड़ कॉलोनी...

केदला। सीसीएल हजारीबाग क्षेत्र अंतर्गत केदला उतरी, केदला मध्य और इचाकडीह पंचायत में मजदूरों को रहने के लिए सैकड़ों क्वार्टर बने हुए है। जिसमें हजारों सीसीएलकर्मी रहते हैं। इन तीनों पंचायत की आबादी लगभग 40 हजार होगी। तीनों पंचायत में रहने वाले आधे से ज्यादा कामगारों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। सबसे बुरा हाल है केदला उतरी पंचायत के पहाड़ी पर स्थित चोपड़ा मोड़ कॉलानी का है। यहां पर रहने वाले लोगों का इस भीषण गर्मी में बुरा हाल है। छह माह से सीसीएल प्रबंधन से मिलनेवाला पानी भी बंद है। हिन्दुस्तान के बोले रामगढ़ की टीम से केदला के लोगों ने पेयजल की समस्या साझा की। 45 वर्ष पूर्व जब यहां 1979-80 में यहां केदला नॉर्थ कोलियरी हुआ करता था। उस वक्त मजदूरों को रहने के लिए चोपड़ा में सैकड़ों क्वार्टर का निर्माण हुआ था। इसके पूर्व कोयला खदानों में ठेकेदारी प्रथा था। उस समय ठेकेदार के यहां काम करने के बदले नगद पैसा मिलता था। उस वक्त मजदूरों को साप्ताहिक पेमेंट का भुगतान होता था। उस वक्त क्षेत्र में बिलासपुर से काम करने वाले मजदूरों का बोल बाला था। कोयला खदानें बहुत गहरी नहीं थी तो लोगों को कुआं, चापानल और बोरिंग से भरपुर पानी मिल जाता था।
अधिकारियों के घरों में कामगार कुआं से कंधे पर कावर से पानी लाकर देते थे और उन्हें वाटर कूली कहा जाता था। समय बदला और कोयला खान अधिनियम 1973 के तहत कोल इंडिया लिमिटेड का एक मई 1973 को राष्ट्रीयकरण हुआ। कोल इंडिया लिमिटेड भारत की एक सरकारी स्वामित्व वाली कोयला खनन कंपनी बनी। लोगों में खुशी थी कि अब सभी की सरकारी नौकरी होगी और ठेकेदारी प्रथा से छुटकारा मिलेगा। सरकार अब सभी मजदूरों को मजदूरी योग्यता के अनुसार देगी। समय बितता गया और सब कुछ ठीक चलता रहा। एक वक्त ऐसा भी आया जब कोल इंडिया का पूरे देश में बोलबाला था। कोल इंडिया लिमिटेड को वर्ष 2011 में भारत सरकार की ओर से महारत्न कंपनी का दर्जा दिया गया था। यह देश के 215 केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों में से पांचवा सार्वजनिक उपक्रम है जिसे यह दर्जा मिला था। कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी है सेंट्रल कोलफील्डस लिमिटेड जिसे हम सीसीएल भी कहते हैं। सीसीएल को कोयला उत्पादन के साथ साथ बेहतर काम करने के लिए अक्टूबर 2007 में मिनी रत्न कंपनी का दर्जा मिला। इसी मिनी रत्न कंपनी के तहत हजारीबाग कोयला क्षेत्र आता है। 45 वर्ष बाद भी लोग अपने उसी क्वार्टर में रह रहे हैं। कई लोग ऐसे हैं जो अनुकंपा पर परिजनों के बदले नौकरी कर रहे हैं। कंपनी में काम करने वाले पूराने लोगों ने बताया कि चोपड़ा मोड़ में 45 वर्ष में पहली बार इस तरह पानी का समस्या पैदा हुई है। कोल इंडिया और उसके सहोगी कंपनियों में कई तरह के नियम बने। एक नियम विस्थापन नीति बना जिसके तहत कंपनी को लीज होल्ड एरिया में पानी, बिजली, सड़क, शिक्षा, चिकित्सा देना उसकी जबाब देही होगी। आज मिनी रत्न कंपनी के अंतर्गत आने वाला चोपड़ा मोड़ कॉलोनी प्रबंधन के उपेक्षा का शिकार है। यहां पर हजारीबाग क्षेत्र के केदला वाशरी, झारखंड उत्खनन परियोजना, केदला उत्खनन परियोजना, सारुबेड़ा परियोजना में काम करने वाले कामगार रहते हैं। अगर कंपनी चाहे तो यहां रहने वाले लोगों को पानी के साथ साथ मुलभूत सुविधा उपलब्ध करा सकती है। क्योंकि मजदूर ही किसी भी उद्योग का रीढ़ होते हैं। इनके बिना किसी भी उद्योग की कल्पना नहीं की जा सकती है। वहीं इस समस्या को दूर करने के लिए मजदूरों के मसीहा कहलाने वाले श्रमिक संगठनों को भी आगे बढ़कर सकारात्मक पहल करनी चाहिए। आज महारत्न और मिनी रत्न जैसे बड़े-बड़े उपाधि पाने वाले लिमिटेड कंपनी में काम करने वाले मजदूर अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। आखिर ये अपनी फरियाद लेकर जाएं तो कहां जाएं।
आर्थिक विकास में कोयला मजदूरों की अहम भूमिका
सीसीएल में काम करने वाले कामगारों ने कहा कि सीसीएल और कोल इंडिया के लिए अपना खून पसीना बहाकर कोयला उत्पादन कर मुनाफा देते हैं। जिस मुनाफे से देश का आर्थिक विकास होता है। ठंड के मौसम ने जब लोग अपने घरों में दुबके रहते हैं उस समय हमलोग देश हित के लिए कोयला उत्पादन में लगे रहते हैं। जिस गर्मी में लोग एसी, कूलर और पंखा की हवा में रहते हैं। उस समय हमलोग पसीने से तर बतर होकर देश की आर्थिक विकास के लिए कोयला उत्पादन में लगे रहते हैं। बरसात के मौसम में भी अपने कर्तव्य का पालन इमानदारी पूर्वक करते हैं।
जलमीनार बनने से दूर होगी पानी की समस्या
केदला कोयलांचल के केदला उतरी, केदला मध्य और इचाकडीह पंचायत के लगभग 40 हजार आबादी को आवश्यकता अनुरुप पानी नहीं मिल रहा है। अगर चोपड़ा मोड़ कॉलोनी में पिछले छह वर्षों से बन रहे जलमीनार का निर्माण पूरा हो जाए तो पिछले कई दशक से पानी की समस्या से जूझ रहे लोगों को राहत मिलेगी। आज यहां पेयजल के लिए लोग दर-दर भटकने के लिए मजबूर हैं। डीएमएफटी फंड से केदला क्षेत्र में पानी की समस्या को दूर करने के लिए सरकार की महत्वकांक्षी हर घर नल जल योजना का के तहत इस चोपड़ा मोड़ कॉलोनी में पहाड़ी पर जल मीनार का काम चल रहा है।
समस्या से जूझ रहे लोग,नहीं है विकल्प
सीसीएल के बंद पड़े टूसी खदान में लगे मोटर से पानी दिया जाता है। यह व्यवस्था लगभग पिछले चार दशक से है। टूसी खदान से चोपड़ा मोड़ की दूरी लगभग चार-पांच किमी होगी। इतना लंबा पानी का पाइप लाइन होने के कारण आए दिन कुछ ना कुछ समस्या बना रहती है। लोगों ने बताया कि कभी पाइप की चोरी हो जाती है तो कभी मोटर,पंप और बिजली खराब हो जाता है। कभी लोग अवैध कनेक्शन कर लेते हैं, जिसकी वजह से भी पानी की समस्या हमेशा बनी रहती है। अधिकतर लोग कुआं, चापानल और पास में बहने वाले चुटूवा नदी पर आश्रित हैं।
कम पावर के मोटर से नहीं पहुंचता पानी
चोपड़ा मोड़ के ग्रामीणों का कहना है कि प्रबंधन पानी के लिए जो मोटर पंप वर्तमान में लगाई है उसका पावर कम है। इसके पूर्व लगाया गया मोटर पंप का पावर ज्यादा था जिससे कॉलोनी तक पानी पहुंच जाता था। जब पुराना मोटर पंप जल गया तो प्रबंधन ने नया मोटर पंप लगाया। जिसका पावर कम है अगर प्रबंधन ज्यादा पावर का मोटर पंप लगता है तो चोपड़ा मोड़ में रहने वाले लोगों के घरों तक पानी पहुंच सकता है। वहीं पानी नहीं पहुंचने का एक मुख्य कारण रास्ते में मेन पाइप से लिया गया अवैध कनेक्शन भी है। कुछ दबंग लोग अपनी खेती बारी करने के लिए मेन पाइप लाइन में होल कर पानी को खेत में बहाते रहते हैं।
45 वर्ष से यहां रह रहे हैं। लेकिन पानी की इतनी समस्या यहां कभी नहीं हुई है। मजदूर की कोई नहीं सुनता है। वह किस हाल में जी रहा है किसी को काई मतलब नहीं है। -धर्मदेव सिंह
कर्मियों की आवश्यकता को पूरा करना प्रबंधन की जिम्मेवारी बनती है तो समस्या को दूर करना जनप्रतिनिधियों की जिम्मेवारी है। इससे इन्हें मुंह नहीं मोड़ना चाहिए। -ललीत ठाकुर
चोपड़ा मोड़ कॉलोनी में पानी की समस्या विकराल रुप ले लिया है। यहां वर्तमान में सिर्फ एक ही विकल्प है सीसीएल प्रबंधन पाइप से पानी को हर घर तक पहुंचाना चाहिए।-सुशील सिंह
कौन सुनेगा किसको अपनी समस्या को सुनाएं। यहां कुछ नहीं होगा। सब तरफ सिर्फ लूट और भ्रष्टाचार का बोल बाला है। जैसे वर्षों से चल रहा है आगे भी वैसे ही चलता रहेगा। -संजय पंडित
पेट इंसान को सब मजबूरी सहने पर विवश कर देता है। आज 40 वर्ष से यहां रह रहे हैं। रोजी रोजगार और बच्चों का शिक्षा दीक्षा सब यहीं चल रहा है। अब यहां से जाएं तो कहां जाएं।-रामाशीष पंडित
जब इंसान लाचार और मजबूर हो जाता है तो समय के साथ समझौता करना पड़ता है। हम भी समझौता कर अपना समय व्यतित कर रहे हैं। देखते हैं पानी की समस्या कब तक दूर होती है।-पंकज बॉल
यहां पानी की समस्या इस तरह कभी नहीं हुई है। मेन पाइपलाइन से कनेक्शन हट जाए तो चोपड़ा मोड़ में पानी की समस्या दूर हो जाएगी। यहां पर बन रही जलमीनार छह वर्ष से निर्माणाधीन है। -मुन्ना सिंह
मर्द तो काम पर चल जाते हैं। घर में क्या हो रहा है उनको हम बताते हैं तब उनको पता चलता है। घर में पानी कहां से आया, घर का खाना कैसे बने ये सब हम महिलाएं ही जानतीं हैं। -रुबी देवी
कॉलोनी में पानी की समस्या तो है ही इसके साथ साथ सफाई का घोर अभाव है। बरसात के दिनों में यहां नरक जैसा स्थिति बन जाता है। सारी नालियां बजबजाते रहतीं हैं। -संध्या देवी
कॉलोनी में कई समस्याएं है लेकिन पानी की समस्या सबसे बड़ी है। इस समस्या को अगर कोई दूर करता है चोपड़ावासी हमेशा उसके कर्जदार रहेंगे। प्रबंधन को कई बार कहे कोई नहीं सुनता है। -प्रमिला देवी
चोपड़ा मोड़ में पानी की समस्या सिर्फ गर्मी में ही नहीं सालों भर रहती है। गर्मी में एक बूंद पानी काफी कीमती हो जाता है। दिनभर पानी की व्यवस्था में भटके रहते हैं। -सुनिता देवी
सिर्फ चोपड़ा मोड़ ही नहीं पानी के लिए पूरे केदला में हाहाकार मचा हुआ है। लोग त्राहीमाम कर रहे है। प्रबंधन हो या झारखंड सरकार लोगों को हो रहे समस्या को दूर करना चाहिए। -मो नौशाद
कोलियरी क्षेत्रों में पानी की समस्या है। चोपड़ा मोड़ में पानी की समस्या और निर्माणाधीन जल मीनार को लेकर विधानसभा में भी मुद्दा उठाया था। जब यह मामला विभाग के पास आया तो विभाग के पदाधिकारियों ने बताया कि फंड नहीं है, इसलिए काम बंद है। फंड क्यों नहीं है और अगर फंड नहीं था तो पेयजल और स्वच्छता मंत्री को इस आधे अधूरे काम को कराने की क्या जरुरत थी।
-निर्मल उर्फ तिवारी महतो, विधायक
सप्लाई का पानी कुछ माह से नहीं पहुंच रहा है इसकी जानकारी मुझे है। यहां समस्या मोटर पंप का नहीं है। मोटर पंप दोनों बेहतर स्थिति में है और लगातार पानी की सप्लाई की जा रही है। जांच कराने पर मेन पाइप लाइन से अवैध कनेक्शन का मामला सामने आया। लोग जबरन पानी को व्यर्थ बहा रहे हैं। मैं यूनियन प्रतिनिधि और ग्रामीणों के बीच वार्ता से इसके समाधान की कोशिश करुंगा।
-एसके त्रिवेदी,परियोजना पदाधिकारी
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