MP में मिला एक और ‘फर्जी डॉक्टर’, सरकारी अस्पताल में किया काम; BJP मेडिकल सेल का भी रहा सह-संयोजक
मध्य प्रदेश में एक और फर्जी डॉक्टर मिला है। अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने एक कथित फर्जी डॉक्टर के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है, जो भाजपा जबलपुर मेडिकल सेल के सह-संयोजक के तौर पर भी काम कर चुका है।

मध्य प्रदेश में एक और फर्जी डॉक्टर मिला है। अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने एक कथित फर्जी डॉक्टर के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है, जो भाजपा जबलपुर मेडिकल सेल के सह-संयोजक के तौर पर भी काम कर चुका है। शिकायत के अनुसार, डॉक्टर ने फर्जी डिग्री पर यहां एक सरकारी अस्पताल में काम किया था। आरोपी डॉक्टर की पहचान शुभम अवस्थी के रूप में हुई है।
शुभम अवस्थी के खिलाफ 5 अप्रैल को मामला दर्ज किया गया है। इससे दो दिन पहले मध्य प्रदेश के दमोह जिले में एक मिशनरी अस्पताल में प्रैक्टिस करने वाले एक अन्य "फर्जी" हृदय रोग विशेषज्ञ की गिरफ्तारी हुई थी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दर्ज शिकायत के अनुसार, फर्जी डॉक्टर द्वारा इलाज किए गए सात हृदय रोगियों की मृत्यु हो चुकी है।
जबलपुर में एक अन्य मामले में, पुलिस ने अदालत के आदेश के बाद अवस्थी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। सिविल लाइंस थाने के इंस्पेक्टर नेहरू सिंह खंडाते ने सोमवार को पीटीआई को बताया, "शुभम अवस्थी के खिलाफ धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज की गई है। उसपर फर्जी आयुष डिग्री का इस्तेमाल करके सरकारी सेठ गोविंद दास जिला अस्पताल जबलपुर (जिसे पहले विक्टोरिया अस्पताल के नाम से जाना जाता था) में काम करने का आरोप है। अदालत के आदेश के आधार पर मामला दर्ज किया गया है।"
इंस्पेक्टर ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। वहीं संपर्क किए जाने पर भाजपा के जबलपुर शहर प्रमुख रत्नेश सोनकर ने कहा कि मामले की आधिकारिक पुष्टि होने के बाद पार्टी के दिशा-निर्देशों के अनुसार अवस्थी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, "सोमवार सुबह मीडिया रिपोर्ट के जरिए घटना के बारे में पता चलने के बाद, मैंने व्यक्तिगत रूप से मामले की प्रामाणिक जानकारी मांगी है। भाजपा ऐसी चीजों को बर्दाश्त नहीं करती...1001 प्रतिशत कार्रवाई की जाएगी।"
सत्तारूढ़ पार्टी ने माना कि फर्जी चिकित्सक उसससे जुड़ा था, लेकिन दो साल पहले उसे उसके पद से हटा दिया गया था। प्रदेश भाजपा मीडिया सेल के सह-संयोजक और दंत चिकित्सक अश्विनी त्रिवेदी ने कहा, "हां, वह भाजपा जबलपुर जिला चिकित्सा प्रकोष्ठ का सह-संयोजक था। उसके खिलाफ कुछ आरोपों के बाद उसे दो साल पहले पद से मुक्त कर दिया गया था।" मामले में शिकायतकर्ता शैलेंद्र बारी से संपर्क करने पर उन्होंने कहा, "मुझे शुभम अवस्थी के बारे में अपने दोस्त के जरिए पता चला कि वह 2020-21 में एक साल के लिए जिला अस्पताल में फर्जी आयुर्वेदिक डॉक्टर (आयुष के साथ) की डिग्री पर काम कर रहा था, जो उस समय अस्पताल में भर्ती था।"
बारी ने कहा, "मेरा दोस्त, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, उसने कुछ डॉक्टरों को अपने ग्रुप में एक फर्जी डॉक्टर के बारे में बात करते सुना था। इसके बाद, मैंने सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत उसके शैक्षिक दस्तावेज मांगे।" उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम के बारे में पता चलने के बाद, 40 साल के अवस्थी ने अस्पताल से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा, "अवस्थी के शैक्षिक दस्तावेज मिलने पर, मैंने उसकी पढ़ाई की अवधि जानने के लिए विश्वविद्यालय और सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज में आरटीआई के तहत आवेदन किया। विश्वविद्यालय और कॉलेज दोनों ने जवाब दिया कि ऐसा कोई छात्र उनके संस्थान में नहीं था।"
बारी ने कहा कि उन्होंने बाद में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने कहा, "बाद में मैंने अवस्थी के खिलाफ कार्रवाई के लिए जिला न्यायालय में शिकायत दर्ज कराई।" उन्होंने बताया कि न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी की अदालत ने 14 फरवरी को सिविल लाइंस थाने को मामले की जांच करने का निर्देश दिया।
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