एकनाथ शिंदे के पास जाएगी हर फाइल, अजित पवार से ज्यादा हुई पावर; सारी शिकायतें दूर
- अब देवेंद्र फडणवीस सरकार में उनका कद बढ़ा दिया गया है। अब महाराष्ट्र सरकार के कामकाज की कोई भी फाइल उनसे होकर ही सीएम देवेंद्र फडणवीस तक जाएगी। नई सरकार के गठन के बाद से अजित पवार के पास फाइल जाती थी क्योंकि वह वित्त मंत्री थे और फिर सीएम फडणवीस उसे देखते थे।
महाराष्ट्र सरकार में बीते कई महीनों से चली आ रही खींचतान अब खत्म होती दिख रही है। पूर्व सीएम एकनाथ शिंदे से मुख्यमंत्री पद की कुर्सी गई तो वह होम मिनिस्टर बनना चाहते थे, लेकिन वह भी नहीं मिला तो कुछ मंत्रालय लेकर डिप्टी सीएम बन गए। इसके बाद भी उनकी नाराजगी बनी ही रही। कभी प्रभारी मंत्रियों को लेकर तो कभी मंत्रालयों के फैसलों को लेकर वह खफा दिखते थे। एक मलाल यह भी रहा कि अजित पवार को उनसे ज्यादा तवज्जो दी जा रही है, लेकिन अब देवेंद्र फडणवीस सरकार में उनका कद बढ़ा दिया गया है। अब महाराष्ट्र सरकार के कामकाज की कोई भी फाइल उनसे होकर ही सीएम देवेंद्र फडणवीस तक जाएगी। नई सरकार के गठन के बाद से अजित पवार के पास फाइल जाती थी क्योंकि वह वित्त मंत्री थे और फिर सीएम फडणवीस उसे देखते थे।
अब नई व्यवस्था आ गई है, जिसके तहत पहले फाइल अजित पवार पर ही जाएगी। फिर डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के पास फाइलें आएंगी और उनके पास करने के बाद ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास पहुंचेंगी। इससे पहले जब एकनाथ शिंदे ही सीएम थे तो यह व्यवस्था थी कि पहले अजित पवार के पास फाइल पहुंचती थी और फिर देवेंद्र फडणवीस के पास से होते हुए मुख्यमंत्री तक पहुंचती थी। अब एक बार फिर से वैसी ही व्यवस्था है, बस क्रम बदल गया। अब फडणवीस सीएम हैं और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे हैं, लेकिन अजित पवार से शिवसेना लीडर का कद बड़ा कर दिया गया है।
महाराष्ट्र की चीफ सेक्रेटरी सुजाता सौनिक की ओर से आदेश जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि कोई भी फाइल पहले वित्त मंत्री (डिप्टी सीएम अजित पवार) के पास जाएगी और फिर उन्हें शहरी विकास और हाउसिंग मिनिस्टर (डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे) के पास भेजा जाएगा। अंत में सभी फाइलें सीएम देवेंद्र फडणवीस के पास जाएंगी। इस तरह एकनाथ शिंदे के कद का पूरा ख्याल रखा गया है और वह एक तरह से अजित पवार से सीनियर होंगे। शिवसेना के नेताओं की लगातार यह शिकायत थी कि उनके लीडर एकनाथ शिंदे को सरकारी कामकाज उतना महत्व नहीं मिल रहा है, जितना उनका कद है और पार्टी की ताकत है। ऐसे में अब शिवसैनिकों के गुस्से को भी कंट्रोल किया जा सकेगा। स्थानीय निकाय के चुनावों से पहले यह फैसला अहम है।