Father of Kashmiri youth killed while saving tourists in Pahalgam jammu kashmir 'आज मैं जिंदा हूं क्योंकि..'; पहलगाम में पर्यटकों को बचाते हुए मारे गए कश्मीरी युवा के पिता, India Hindi News - Hindustan
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'आज मैं जिंदा हूं क्योंकि..'; पहलगाम में पर्यटकों को बचाते हुए मारे गए कश्मीरी युवा के पिता

पहलगाम में पर्यटकों को बचाते हुए अपनी जान गंवाने वाले आदिल के पिता हैदर शाह ने बताया कि वह अपने बेटे के काम पर गर्व करते हैं। इसी वजह से जिंदा भी हैं वरना शायद अपने जवान बेटे का शव देखकर अभी तक मर जाते।

Upendra Thapak लाइव हिन्दुस्तानFri, 25 April 2025 01:48 PM
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'आज मैं जिंदा हूं क्योंकि..'; पहलगाम में पर्यटकों को बचाते हुए मारे गए कश्मीरी युवा के पिता

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी। इस हमले के बाद पूरे देश में पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ भावनाएं उबाल पर हैं। इसी हमले में पर्यटकों की जान बचाने का प्रयास करने वाले स्थानीय टट्टू चालक सैयद आदिल हुसैन शाह भी शामिल थे। आदिल के बारे में कहा जा रहा है कि उसने आतंकवादियों से बेगुनाह पर्यटकों को न मारने और जाने देने के लिए कहा, जब उन्होंने उसकी बात को नहीं सुना तो उसने बंदूक छीनने का प्रयास किया, जिस पर आतंकवादियों ने उसे गोली मार दी।

अब आदिल के पिता सैयद हैदर शाह अपने बेटे के अंतिम काम के लिए दुख, सम्मान और गर्व से भरे हुए हैं। एएनआई से बात करते हुए सैयद ने बताया कि आदिल अपने परिवार का सबसे बड़ा बेटा था और परिवार में वही एक कमाने वाला भी था। वह अपना काम करते हुए पर्यटकों को बचाते हुए मर गया।

हैदर शाह ने कहा, "मुझे उस पर और उसकी शहादत पर गर्व है। मैं केवल उस गर्व के कारण ही आज जिंदा हूं नहीं तो मैं अपने जवान बेटे का शव देखकर ही मर जाता।"

आदिल के आखिरी दिन को याद करते हुए हैदर शाह ने कहा कि वह दिन भी किसी भी आम दिन की तरह ही शुरू हुआ। वह सुबह ही काम के लिए निकल गया था। हमें तो शांम को 3 बजे के आसपास आतंकी हमले की खबर मिली। उसी समय हमने आदिल से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन सब कुछ बेमतलब रहा। अनहोनी के डर से हम सभी बेचैन थे। 6 बजे के आसपास हमें सूचना मिली की आदिल और चचेरा भाई हॉस्पिटल में हैं। जब हम वहां पहुंचे तो लोगों ने हमें बताया कि उसकी वजह से कुछ लोग बच गए, मुझे इस बात पर बहुत गर्व है।

आदिल की मां ने भी घटना वाले दिन को याद करते हुए कहा, “वह दिन भर में 300 रुपए कमाता था। हम शाम को चावल खरीदते और साथ में खाना खाते थे। अब, खाना कौन लाएगा? कौन हमारे लिए दवाईंयां पूछेगा”आदिल की मां ने कहा कि वह उन्हें बचाते हुए मर गया लेकिन हम क्या कर सकते हैं व ह भी हमारे भाई ही थे।

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आदिल की बहन रवीसा ने बताया कि उसका भाई उस दिन घर जल्दी आना चाहता था। रवीसा ने कहा,"उसने मुझसे कहा था कि वह अच्छा महसूस नहीं कर रहा है, इसलिए आज जल्दी घर लौट आएगा और फिर एक दिन की छुट्टी ले लेगा.. लेकिन वह अब कभी नहीं लौटेगा" उसने आतंकी से बंदूक छीनने की कोशिश की और दूसरों की बचाने की कोशिश की.. इसमें तीन गोलियां उसके सीने में लगी और एक गले में लगी।