ISI Permanent and Temporary Assets How Pakistani Spies enter India ISI के 'परमानेन्ट' और 'टेम्परेरी' एसेट क्या हैं, भारत में कैसे घुसते हैं पाकिस्तानी जासूस, India News in Hindi - Hindustan
Hindi NewsIndia NewsISI Permanent and Temporary Assets How Pakistani Spies enter India

ISI के 'परमानेन्ट' और 'टेम्परेरी' एसेट क्या हैं, भारत में कैसे घुसते हैं पाकिस्तानी जासूस

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई लंबे समय से भारत के खिलाफ परमानेंट और टेम्परेरी एसेट के जरिए साजिश करता आया है। हाल ही में ज्योति मल्होत्रा जासूसी प्रकरण ने दिखाया कि कैसे घुसपैठ बढ़ रही है।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानThu, 22 May 2025 09:49 AM
share Share
Follow Us on
ISI के 'परमानेन्ट' और 'टेम्परेरी' एसेट क्या हैं, भारत में कैसे घुसते हैं पाकिस्तानी जासूस

हरियाणा की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा के पाकिस्तान दौरे और वहां कथित ISI एजेंटों से संपर्क के बाद उठे सवाल एक बार फिर यह उजागर करते हैं कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI किस स्तर पर और किन-किन तरीकों से साजिशें रचती रही है। इस मामले की जांच अब एजेंसियों के पास है, लेकिन यह सिर्फ एक बानगी है उस गहरे नेटवर्क की, जिसे ISI दशकों से भारत में फैलाता आया है।

ISI अपने जासूसी नेटवर्क में दो तरह के एसेट रखती है—परमानेन्ट (स्थायी) और टेम्परेरी (अस्थायी)। ये दोनों ही प्रकार भारत की सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक बड़ा खतरा हैं।

ISI के दो चेहरे- परमानेंट और टेम्परेरी एसेट

परमानेन्ट एसेट: ये एजेंट आमतौर पर पाकिस्तान में प्रशिक्षित होते हैं और फर्जी पहचान के साथ भारत में लंबे समय तक रहते हैं। इनका काम होता है- खुफिया सूचनाएं जुटाना, स्थानीय नेटवर्क तैयार करना, आतंकी गतिविधियों में मदद देना और स्लीपर सेल को एक्टिव करना।

अब्दुल लतीफ एडम मोमिन

परमानेंट एसेट का सबसे बड़ा मामला अब्दुल लतीफ एडम मोमिन के रूप में सामने आया था। यह पाकिस्तान से प्रशिक्षित ISI एसेट 1999 के IC-814 विमान अपहरण की लॉजिस्टिक तैयारी में शामिल था। लतीफ ने नेपाल, बिहार और पश्चिम बंगाल में फर्जी पासपोर्ट, ठिकानों और संसाधनों का इंतजाम किया था। उसे भारतीय इतिहास के सबसे लंबे अपहरण ऑपरेशन की रसद तैयार करने वाला मास्टरमाइंड माना जाता है।

टेम्परेरी एसेट वो लोग होते हैं जिनकी पाकिस्तान से ट्रेनिंग नहीं होती। ये लोग सोशल मीडिया पर हनीट्रैप का शिकार होते हैं। पैसों के लालच, बेरोजगारी या ब्लैकमेलिंग के ज़रिए इस्तेमाल किए जाते हैं और सरकारी विभागों में छोटे पदों पर काम करने वाले या संविदा कर्मचारी होते हैं। इनसे छोटे-छोटे टुकड़ों में जानकारी ली जाती है, जैसे – ट्रेन मूवमेंट, यूनिट लोकेशन, ID कार्ड फोटो या कंप्यूटर एक्सेस।

ये भी पढ़ें:दिल्ली को दहलाने की प्लानिंग में था ISI,लगा रखे थे दो जासूस,ऐसे फेल हुआ मकसद
ये भी पढ़ें:यूट्यूब की ज्योति से दिल्ली की गजाला तक, भारत में पाक के लिए ऐसे करते थे जासूसी

टेम्परेरी एसेट कैसे चुने जाते हैं

सोशल मीडिया जाल- फर्जी महिला प्रोफाइल के जरिए भारतीय जवानों या सरकारी कर्मचारियों को फंसाया जाता है। इन्हें हनीट्रैप के ज़रिए संवेदनशील जानकारी देने को मजबूर किया जाता है। 2020 में राजस्थान में सेना के जवान को ISI की महिला एजेंट से चैटिंग करते पकड़ा गया था।

लालचः गरीब या बेरोजगार युवाओं को पैसे का लालच देकर सरकारी महकमों में काम का लालच देकर जानकारी इकट्ठी की जाती है। 2016 में मल्टी टास्किंग सर्सिस के लिए काम कर रहे शख्स को महज 15,000 महीने के लालच में ISI के लिए काम करते पकड़ा गया था।

कुछ मामलों में कट्टरपंथी विचारों या भारत-विरोधी नारों से युवाओं को उकसाकर उन्हें जानकारी इकट्ठा करने को कहा जाता है। यह पैटर्न कश्मीर और सीमावर्ती इलाकों में अधिक देखा गया है। कई बार सोशल मीडिया या कॉल पर आपत्तिजनक तस्वीरें या चैट के ज़रिए ब्लैकमेल किया जाता है।

इंडिया न्यूज़ , विधानसभा चुनाव और आज का मौसम से जुड़ी ताजा खबरें हिंदी में | लेटेस्ट Hindi News, बॉलीवुड न्यूज , बिजनेस न्यूज , क्रिकेट न्यूज पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।