कुछ मत बोलो; कार्यकर्ताओं से बोले राज ठाकरे, शिवसेना में वापसी पर सस्पेंस?
- राज ठाकरे फिलहाल विदेश में हैं, उन्होंने अपने आने तक अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को किसी तरह का बयान देने से बचने को कहा है।

मुंबई से उठती सियासी सरगर्मियों के बीच शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के बीच संभावित 'घरवापसी' की बातचीत ने नया मोड़ ले लिया है। जहां एक ओर शिवसेना (यूबीटी) ने बीते कल की बातें भूलाकर नई शुरुआत की अपील की, वहीं दूसरी ओर एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने अपनी पार्टी के नेताओं को साफ-साफ कह दिया है कि वे इस मुद्दे पर अब एक भी शब्द न बोलें, जब तक वह खुद विदेश यात्रा से लौट नहीं आते।
दरअसल, जब से उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने पुनर्मिलन की संभावना जताई है, तभी से एमएनएस के दूसरे पायदान के नेता खुलकर अपने संदेह और नाराजगी जाहिर कर रहे थे। कई नेताओं ने पुराने विश्वासघात की बात छेड़ दी थी, जिससे मामला गरमा गया। इसे लेकर शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने सोमवार को बयान देते हुए कहा कि उनकी पार्टी में किसी ने भी एकता का विरोध नहीं किया है और एमएनएस से भी अपील की कि वे अतीत को भूलकर आगे बढ़ें।
इसी बीच सामना अखबार के संपादकीय में लिखा गया, “दोनों भाइयों का एक होना समय की मांग है, वरना मुंबई जैसे मराठी अस्मिता के केंद्र को गैर-मराठी ताकतों के हवाले कर दिया जाएगा।” सामना ने राज ठाकरे की मराठी मुद्दों पर उनकी प्रतिबद्धता की तारीफ भी की। हालांकि, राज ठाकरे ने सोमवार दोपहर विदेश से ही फोन कर अपने पार्टी नेताओं को यह स्पष्ट निर्देश दिया कि कोई भी इस मुद्दे पर मीडिया या सार्वजनिक मंच पर कुछ न कहे। उन्होंने अपने करीबी सहयोगियों से कहा, “अब इस बारे में कुछ भी मत बोलो, मैं लौटकर देखता हूं।”
अब तक उद्धव ठाकरे पर 'विश्वासघात' के आरोप लगाते रहे एमएनएस मुंबई प्रमुख संदीप देशपांडे ने भी अपनी जुबान को विराम देते हुए कहा, “अब इस विषय पर केवल हमारे पार्टी प्रमुख राज ठाकरे ही बोलेंगे, जब वो 30 अप्रैल को भारत लौटेंगे।” अब नजरें अब 30 अप्रैल पर टिकी हैं, जब राज ठाकरे की वापसी के साथ ही महाराष्ट्र की राजनीति का ये संभावित गठजोड़ एक नई दिशा ले सकता है।