'कलाकार की कैसे हत्या करें', गद्दार विवाद के बीच कुणाल कामरा ने सरकार पर साधा निशाना
- कुणाल कामरा ने कहा कि इसके बाद कलाकार के पास 2 ही विकल्प बचते हैं। अपनी आजादी गंवाकर सत्ता के समर्थन में गाना। या फिर, चुपचाप गायब हो जाना। उन्होंने इसे एक राजनीतिक हथियार, आवाजो को दबाने की मशीन बताया।

स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने मंगलवार को सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि विरोध जताने वाले कलाकारों को चुप कराने का व्यवस्थित अभियान चलाया जा रहा है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर मजाक को लेकर कामरा फिर से विवादों में हैं। उन्होंने एक्स पर 'लोकतांत्रिक तरीके से एक कलाकार की कैसे हत्या की जाए' टाइटल से पोस्ट किया। उन्होंने कहा कि सरकार विरोधी आवाजों को दबाने के लिए निम्न तरीके अपनाती है…
1. इतना आक्रोश फैलाओ कि ब्रांड्स कलाकारों के साथ काम करना बंद कर दें।
2. और ज्यादा विवाद पैदा करो ताकि प्राइवेट और कॉर्पोरेट शो रद्द हो जाएं।
3. इतनी हिंसक प्रतिक्रिया दो कि बड़े वेन्यू भी उन्हें मंच देने से डरें।
4. हिंसक आक्रोश करो ताकि छोटे स्थान भी दरवाजे बंद कर लें।
5. दर्शकों तक को धमकाया जाए, कला को अपराध बना दो।
कामरा बोले- अब 2 ही विकल्प बचे
कुणाल कामरा ने कहा कि इसके बाद कलाकार के पास 2 ही विकल्प बचते हैं। अपनी आजादी गंवाकर सत्ता के समर्थन में गाना। या फिर, चुपचाप गायब हो जाना। उन्होंने इसे एक राजनीतिक हथियार, आवाजो को दबाने की मशीन बताया। मालूम हो कि कामरा ने अपने एक शो में पैरोडी गाई थी, जिसमें शिवसेना में विभाजन के लिए शिंदे पर कटाक्ष किया गया था और कथित तौर पर उन्हें गद्दार बताया था। यह शो खार के एक होटल में स्थित स्टूडियो में आयोजित किया गया था। शिवसेना कार्यकर्ताओं ने 23 मार्च को उक्त होटल और स्टूडियो में तोड़फोड़ की थी।
कॉमेडियन के घर पहुंच गई पुलिस
कुणाल कामरा अपने खिलाफ दर्ज मामले के सिलसिले में सोमवार को खार पुलिस के समक्ष पेश नहीं हुए। इसके बाद पुलिस की एक टीम यह पता लगाने के लिए कामरा के माहिम स्थित घर पहुंची कि वह मामले के सिलसिले में पेश होंगे या नहीं। वहीं, कामरा ने पुलिस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि माहिम स्थित घर का दौरा समय और सार्वजनिक संसाधनों की बर्बादी है, क्योंकि वह पिछले 10 वर्षों से वहां नहीं रह रहे हैं। एक अधिकारी ने बताया कि कामरा को खार पुलिस के समक्ष पेश होना था। उन्होंने कहा कि यह दूसरी बार था, जब उन्हें तलब किया गया था।