आतंकी लादेन का खास था पिता, अब बेटा बना पाक सेना का चेहरा; कौन है अहमद शरीफ चौधरी
पाकिस्तानी सेना के आतंकियों के साथ इतने लिंक हैं कि गिनती नहीं की जा सकती। पाकिस्तानी सेना के डीजी आईएसपीआर लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी के पिता ओसामा बिन लादेन के खास थे।

भारत और पाकिस्तान के युद्ध के दौरान पाकिस्तान की तरफ से सबसे ज्यादा दिखाई देने वाला चेहरा लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी का था। थ्री स्टार लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी पाकिस्तानी सेना में डीजी इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन (DG-ISPR) हैं। पाकिस्तान की सेना और आतंकियों के बीच का कनेक्शन अब किसी से छिपा नहीं है। जो कसर थी वह हाफिज अब्दुर रऊफ की तस्वीरें सामने आने के बाद पूरी हो गई। आतंकियों के जनाजे में सेना के अफसर भी आंसू बहाते नजर आए। वहीं आतंकियों पर कार्रवाई के बाद पाकिस्तानी सेना को इतनी मिर्ची लगी कि वह युद्ध छेड़ने पर उतारू हो गया। पाकिस्तानी सेना के बड़े से बड़े अफसरों के भी ताल्लुक सीधे आतंकियों से हैं। वहीं लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी के पिता सुल्तान बशीरुद्दीन महमूद का नाम अमेरिका ने आतंकियों की लिस्ट में शामिल किया था। वह अल-कायदा चीफ ओसामा बिन लादेन के करीबी सहयोगियों में से एक थे।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बशीरुद्दीन महमूद परमाणु वैज्ञानिक थे। बाद में उनका रुख आतंकवाद की ओर हो गया और उसने 1999 में उम्मा तामीर-ए-नौ नाम का संगठन बना लिया। अमेरिका ने इस संगठन को 2001 में बैन किया था और महमूद को यूएन ने आतंकियों की लिस्ट में शामिल कर लिया था। अमेरिका ने भी महमूद को वैश्विक आतंकी घोषित किया था।
पाकिस्तानी सेना के टॉप अधिकारी का डीएनए भी आतंकी का है। बशीरुद्दीन महमूद की भूमिका पाकिस्तान के लिए परमाणु बम बनाने में भी मानी जाती है। अमेरिका को इस बात कि चिंता होने लगी कि एक परमाणु वैज्ञानिक अल-कायदा चीफ का सहयोगी हो गया है। अगर अल-कायदा भी परमाणु बम तक पहुंच पाने में सफल हो जाता तो पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा था। सबसे पहला खतरा अमेरिका के लिए ही था। इसीलिए 2001 में अमेरिका पर हुए हमले के बाद महमूद को आतंकियों की लिस्ट में शामिल किया गया।
महमूद उन लोगों में थे जो कि अल-कायदा और तालिबान की पूरी मदद करते थे। लॉजिस्टिक, हथियार,प्लानिंग के मामले में महमूद ओसामा बिन लादेन का दाहिना हाथ थे। 2001 में महमूद ने तालिबान चीफ मुल्ला उमर से भी मुलाकात की थी। ओसामा बिन लादेन के ही एक सहयोगी ने बताया था कि उनके पास न्यूक्लियर मैटेरियल है और वह महमूद से परमाणु हथियार बनवाना चाहते हैं। बशीरुद्दीन महमूद ने उन्हें जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर के बारे में भी जानकारी दी थी। उसने माना कि उसकी मुलाकात ओसामा बिन लादेन से होती थी। बाद में महमूद अपने घर तक ही सीमित हो गया। माना जाता है कि महमूद अब भी इस्लामाबाद में रहता है।