supreme court seeks response of uttarakhand on demolition of dargah registered waqf property दरगाह ध्वस्त; सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड से मांगा जवाब, अवमानना ​​याचिका में क्या दलील?, Uttarakhand Hindi News - Hindustan
Hindi Newsउत्तराखंड न्यूज़supreme court seeks response of uttarakhand on demolition of dargah registered waqf property

दरगाह ध्वस्त; सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड से मांगा जवाब, अवमानना ​​याचिका में क्या दलील?

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देहरादून में गिराई गई एक दरगाह को लेकर दाखिल याचिका पर उत्तराखंड के अधिकारियों से जवाब मांगा है। याचिका में अवमानना की मांग की गई है।

Krishna Bihari Singh भाषा, नई दिल्लीTue, 13 May 2025 07:03 PM
share Share
Follow Us on
दरगाह ध्वस्त; सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड से मांगा जवाब, अवमानना ​​याचिका में क्या दलील?

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में एक रजिस्टर्ड वक्फ संपत्ति को ध्वस्त करने के मामले में एक अवमानना याचिका पर राज्य के अधिकारियों से जवाब मांगा है। याचिका में दलील दी गई है कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को चुनौती देने के मामले में केंद्र की ओर से शीर्ष अदालत को भरोसा दिए जाने के बावजूद देहरादून में दरगाह को बिना किसी नोटिस के ही जमींदोज कर दिया गया। यह घटना 25-26 अप्रैल की मध्यरात को हुई।

सुप्रीम कोर्ट के 17 अप्रैल के आदेश में कहा गया है कि अगली सुनवाई की तारीख तक कोई भी वक्फ न तो अधिसूचित किया जाएगा और न ही उसकी स्थिति में कोई बदलाव किया जाएगा। भले ही वह अधिसूचना के माध्यम से या रजिस्ट्रेशन के माध्यम से घोषित किया गया हो। अब न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष देहरादून में दरगाह गिराए जाने को लेकर अवमानना ​​याचिका सुनवाई के लिए आई।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि धार्मिक स्थल को 1982 में वक्फ संपत्ति के रूप में रजिस्टर्ड किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष केंद्र के भरोसा दिए जाने के बावजूद इसे ध्वस्त कर दिया गया। जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि हम इसे उन मामलों (वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 से संबंधित के साथ सुनवाई के लिए रखेंगे। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड के अधिकारियों को याचिका पर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया।

अब शीर्ष अदालत इस पर 15 मई को वक्फ (संशोधन) अधिनियम को चुनौती देने के मामले के साथ ही सुनवाई करेगी। अधिवक्ता फुजैल अहमद अय्यूबी की ओर से दायर अवमानना ​​याचिका में कहा गया है कि दरगाह हजरत कमाल शाह को 1982 में सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ्स, लखनऊ के साथ वक्फ संपत्ति के रूप में रजिस्टर्ड किया गया था। याचिका में कहा गया है कि यह 150 से अधिक वर्षों से धार्मिक महत्व का एक प्रतिष्ठित स्थल है। यह एक निर्विवाद वक्फ संपत्ति है।

याचिका में सुप्रीम कोर्ट की ओर से पारित 17 अप्रैल के आदेश में दर्ज हलफनामे की कथित रूप से अवहेलना के लिए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई का अनुरोध किया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि उत्तराखंड के अधिकारियों की कार्रवाई 17 अप्रैल के आदेश का सीधा उल्लंघन है, जिसमें सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा दिए गए बयान को दर्ज किया गया था।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।