एक महीने में पेश हो सैयद सलाहुद्दीन, कोर्ट ने जारी किया नोटिस; PoK में छिपा है हिजबुल चीफ
- प्रधान सत्र न्यायाधीश बडगाम, ओम प्रकाश भगत ने यह आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि सलाहुद्दीन लंबे समय से फरार है और उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस के सभी प्रयास विफल रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले की एक अदालत ने मंगलवार को हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन उर्फ मोहम्मद यूसुफ शाह के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए घोषित अपराधी नोटिस जारी किया है। यह कार्रवाई 2002 में हुए एक हत्याकांड और हथियारों से संबंधित मामले में की गई है। अदालत ने सलाहुद्दीन को एक महीने के भीतर पेश होने का आदेश दिया है, अन्यथा उसके खिलाफ घोषित अपराधी की कार्यवाही शुरू की जाएगी।
प्रधान सत्र न्यायाधीश बडगाम ने यह आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि सलाहुद्दीन लंबे समय से फरार है और उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस के सभी प्रयास विफल रहे हैं। हिजबुल चीफ बडगाम के सोइबुघ के बानपोरा गांव का निवासी है। पुलिस ने कोर्ट को सूचित किया कि सलाहुद्दीन वर्तमान में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में रह रहा है, जिसके कारण उसकी गिरफ्तारी संभव नहीं हो पाई है।
क्या है पूरा मामला
यह नोटिस बडगाम पुलिस स्टेशन में दर्ज FIR नंबर 255/2002 के तहत जारी किया गया है, जिसमें सलाहुद्दीन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 109 (उकसावे) और आर्म्स एक्ट की धारा 7/25 के तहत आरोप लगाए गए हैं। यह मामला 2002 में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के कार्यकर्ताओं पर हुए हमले से संबंधित है, जिसमें तीन पुलिसकर्मियों और एक आतंकवादी की मौत हुई थी। पुलिस का दावा है कि सलाहुद्दीन ने इस हमले की साजिश रची थी।
पुलिस और कोर्ट की कार्रवाई
पुलिस ने बताया कि सलाहुद्दीन 1994 से पीओके में रहकर आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। वह न केवल हिजबुल मुजाहिदीन, बल्कि यूनाइटेड जिहाद काउंसिल (यूजेसी) का भी प्रमुख है, जो पीओके में सक्रिय कई आतंकवादी संगठनों का समूह है। जांच अधिकारी और संबंधित थाना प्रभारी ने कोर्ट में बयान दिया कि सलाहुद्दीन को कश्मीर घाटी में खोजने के सभी प्रयास असफल रहे हैं। इसके बाद कोर्ट ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 512 के तहत यह नोटिस जारी किया।
नोटिस को सलाहुद्दीन के सोइबुघ स्थित आवास पर चस्पा किया गया है, और सार्वजनिक स्थानों पर भी इसे प्रदर्शित किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आदेश की जानकारी व्यापक रूप से फैले। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि सलाहुद्दीन निर्धारित समय के भीतर पेश नहीं होता है, तो उसकी संपत्ति जब्त करने सहित आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।
सलाहुद्दीन का आतंकी इतिहास
71 वर्षीय सलाहुद्दीन को 2017 में अमेरिका ने 'विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी' घोषित किया था। वह भारत में 50 से अधिक आतंकी मामलों में वांटेड है। इनमें हत्या, अपहरण, सुरक्षा बलों पर हमले और हवाला फंडिंग जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं। 1993 से पीओके में रह रहे सलाहुद्दीन पर 2013 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा 80 करोड़ रुपये के आतंकी फंडिंग मामले में भी घोषित अपराधी घोषित किया गया था। इसके अलावा, उसके खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस भी लंबित है।
पुलिस के अनुसार, सलाहुद्दीन ने 2006 में श्रीनगर के लाल चौक में एक पर्यटक बस पर ग्रेनेड हमले की साजिश रची थी, जिसमें कई पर्यटक घायल हुए थे। इसके अलावा, उसने पंचों और सरपंचों को धमकी देने और जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित करने के लिए चुनाव बहिष्कार की अपील करने जैसे कई अपराध किए हैं।
पुलिस की नजर
इस नोटिस के बाद सुरक्षा एजेंसियां सलाहुद्दीन की गतिविधियों पर और करीब से नजर रख रही हैं। एनआईए और अन्य एजेंसियां पहले ही उसके और उसके संगठन से जुड़ी कई संपत्तियों को जब्त कर चुकी हैं। मार्च 2025 में, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक अन्य अलगाववादी नेता की संपत्ति को भी जब्त किया था, जिसे आतंकी गतिविधियों में शामिल माना गया था।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बयान जारी कर कहा कि यह कार्रवाई आतंकवाद और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के खिलाफ उनकी जीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा है। पुलिस ने यह भी चेतावनी दी कि जो भी व्यक्ति राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ काम करेगा, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।