क्रिएटर को नोटिस भेजे बिना कैसे ब्लॉक कर देते हैं चैनल, सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
- सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पहले कहा कि कोई भी पीड़ित व्यक्ति इस मुद्दे पर अदालत का रुख कर सकता है। उसने कहा कि अगर सामग्री प्रसारित करने वाला व्यक्ति पहचान योग्य है, तो उसे नोटिस जारी किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट किसी सोशल मीडिया अकाउंट या उस पर उपलब्ध कंटेंट के मामले पर सुनवाई करने वाला है। क्रिएटर या मूल स्रोत को सुनवाई का मौका दिए बिना ब्लॉक करने के मुद्दे से जुड़ी यह याचिका है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2009 के नियम 16 को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र से जवाब तलब किया। पीठ ने इसे याचिका को लेकर नोटिस भी जारी किया। याचिकाकर्ता सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर की ओर से सीनियर वकील इंदिरा जयसिंह पेश हुए। उन्होंने कहा कि सूचना के स्रोत को कोई नोटिस नहीं दिया गया है और केवल एक्स जैसे मंचों को ही नोटिस भेजा गया है।
इंदिरा जयसिंह ने कहा, 'चुनौती यह नहीं है कि सरकार के पास सामग्री हटाने की शक्ति नहीं है, बल्कि यह है कि कंटेंट हटाते समय उस व्यक्ति को नोटिस जारी किया जाना चाहिए, जिसने उक्त सामग्री को सार्वजनिक मंच पर डाला।' अधिवक्ता पारस नाथ सिंह के माध्यम से दाखिल याचिका में 2009 के नियमों के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी गई है। इसमें कहा गया कि नियम-8 सामग्री के स्रोत को ब्लॉकिंग अनुरोध नोटिस जारी करने को वैकल्पिक बनाता है, जिससे अधिकारियों को यह अनियंत्रित विवेक हासिल होता है कि वे स्रोत को नोटिस जारी करें या नहीं।
याचिकाकर्ता की क्या मांग
पीठ ने पहले कहा कि कोई भी पीड़ित व्यक्ति इस मुद्दे पर अदालत का रुख कर सकता है। उसने कहा कि अगर सामग्री प्रसारित करने वाला व्यक्ति पहचान योग्य है, तो उसे नोटिस जारी किया जाएगा। अगर उसकी पहचान नहीं की जा सकती है, तो मध्यस्थ को नोटिस दिया जाएगा। जयसिंह ने कहा, 'चुनौती यह है कि सामग्री के स्रोत के संबंध में प्राकृतिक न्याय के नियमों का पालन नहीं किया जाता है।' न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि हमें प्रथम दृष्टया लगता है कि नियम को इस तरह से पढ़ा जाना चाहिए कि अगर कोई व्यक्ति पहचान योग्य हो, तो उसे नोटिस दिया जाना चाहिए।
क्रिएटर को भेजा जाए नोटिस
जब जयसिंह ने कहा कि अदालत सोशल मीडिया से परिचित होगी, तो न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि वह किसी भी सोशल मीडिया मंच पर सक्रिय नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'मैं न तो एक्स, न ही वाई और न ही जेड पर हूं।' पीठ ने कहा कि कोई भी पहचान योग्य व्यक्ति, जिसे नोटिस नहीं दिया गया है और जो इससे व्यथित है, वह अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है। याचिका में कहा गया कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां वेबसाइट, एप्लीकेशन और सोशल मीडिया खातों को कोई नोटिस या सुनवाई का मौका दिए बिना ब्लॉक कर दिया गया।