अल्लाह का डर चाहिए; जम्मू-कश्मीर में बनी एक और कट्टरपंथी पार्टी, लड़ेंगे निकाय चुनाव
- एक नेता ने कहा कि हमारे लिए तो राजनीति इबादत की तरह है। उन्होंने कहा, 'जस्टिस फॉर डिवेलपमेंट फ्रंट अल्लाह के डर वाली व्यवस्था चाहता है। ऐसा सिस्टम हो, जिसमें लोग अल्लाह से डरें। हमारा संघर्ष शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक और संवैधानिक तरीके से होगा। हम समाज को खत्म होते नहीं देख सकते।'

जम्मू-कश्मीर में एक और कट्टरपंथी राजनीतिक दल का गठन हो गया है। इसका नाम जस्टिस फॉर डिवेलपमेंट फ्रंट रखा गया है। विधानसभा चुनाव में जमात-ए-इस्लामी के समर्थन से लड़कर चुनाव हारने वाले उम्मीदवारों ने मिलकर इस राजनीतिक दल का गठन किया है। इन लोगों का कहना है कि वे आने वाले निकाय और पंचायत के चुनावों में हिस्सा लेंगे। कुलगाम के चवलगाम में इस राजनीतिक दल का पहला कार्यक्रम हुआ, जिसमें मौजूद नेताओं ने बताया कि उन्होंने चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन करा लिया है। उन्हें स्केल का सिंबल भी मिल गया है। इसके अलावा उन्होंने जल्दी ही श्रीनगर में एक बड़ा कार्यक्रम करने की भी बात कही है। यह राजनीतिक दल जम्मू-कश्मीर में कट्टरपंथी तत्वों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व दे सकता है। इससे पहले राशिद इंजीनियर जैसे कट्टरपंथी नेता को लोकसभा चुनाव में जीत मिल चुकी है।
पार्टी से जुड़े लोगों का कहना है कि हमने पंचायत चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। कार्य़क्रम को संबोधित करते हुए उनका कहना था कि हम बदलाव जमीनी चाहते हैं, जो लंबे समय तक रहे। इसके लिए हम राजनीतिक दल बनाकर जमीनी स्तर पर काम करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि हम वह क्रांति करेंगे, जो स्थायी रहे। जल्दबाजी में उठाए गए कदमों से आए परिवर्तन भी जल्दी ही समाप्त हो जाते हैं।
दरअसल जम्मू-कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध है। उसके समर्थन वाले कुछ उम्मीदवारों ने निर्दलीय ही चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। अब इन लोगों ने अपना अलग राजनीतिक दल बनाने का फैसला लिया है। अब इन लोगों का कहना है कि जमात-ए-इस्लामी का हमें समर्थन है, लेकिन निर्दलीय चुनाव जीतना मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति में अब हम लोग नया दल ही बना रहे हैं। दरअसल 2019 के बाद से ही जमात-ए-इस्लामी पर सरकार का शिकंजा कसा हुआ है।
बीते कुछ सालों में जमात की करोड़ों रुपये की संपत्ति को सीज किया गया है। इसके अलावा उसके कट्टरपंथी विचारक कहे जाने वाले सैयद अब्दुल अला मौदूदी की लिखी किताबों को भी जब्त किया गया है। माना जा रहा है कि अब उससे जुड़े लोग ही अलग राह तलाश रहे हैं। ऐसे में नए राजनीतिक दल में कट्टरपंथी विचारधारा वाले लोगों का एक जमावड़ा हो सकता है।