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रिटायर्ड जजों को क्यों नहीं दी सुविधाएं, सेवानिवृति से पहले भड़के मीलॉर्ड; मुख्य सचिवों को अवमानना नोटिस

जस्टिस अभय एस ओका इसी हफ्ते रिटायर हो रहे हैं। उनकी अगुवाई वाली खंडपीठ ने छह राज्यों के मुख्य सचिवों को अवमानना का नोटिस थमाया है और पूछा है कि उनके पिछले आदेश पर अमल क्यों नहीं किया?

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 21 May 2025 10:37 PM
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रिटायर्ड जजों को क्यों नहीं दी सुविधाएं, सेवानिवृति से पहले भड़के मीलॉर्ड; मुख्य सचिवों को अवमानना नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (21 मई) को विभिन्न हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जजों को चिकित्सा सुविधाओं और अन्य भत्तों से संबंधित अपने आदेशों का पालन नहीं करने के लिए छह राज्यों के मुख्य सचिवों (Chief Secretary) को अवमानना ​​नोटिस जारी किया है। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और दिल्ली ने 18 फरवरी को जारी निर्देशों का पालन नहीं किया।

पीठ ने कहा, ‘‘जहां तक ​​छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और दिल्ली राज्य का सवाल है, उन्होंने इस न्यायालय द्वारा जारी सभी निर्देशों का पालन नहीं किया है। इन राज्यों के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी कर उनसे कारण बताने को कहा जाए कि इन राज्यों के खिलाफ न्यायालय की अवमानना ​​अधिनियम के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की जाए।’’

अब अगली सुनवाई 25 जुलाई को

मामले की अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि फिलहाल मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी जाती है, बशर्ते कोई जिम्मेदार आईएएस अधिकारी व्यक्तिगत रूप से या वर्चुअल रूप से न्यायालय के समक्ष उपस्थित हों। सर्वोच्च न्यायालय जस्टिस (सेवानिवृत्त) वी एस दवे द्वारा दायर अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जो सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के संघ के अध्यक्ष हैं।

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25 मई को रिटायर होंगे जस्टिस ओका

एक अहम बात यह भी है कि जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश ऐसे समय में दिया है, जब वह खुद भी रिटायर होने जा रहे हैं। जस्टिस ओका 25 मई को रिटायर होने जा रहे हैं। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड्स एसोसिएशन (SCAORA) ने उन्हें विदाई दी और अब गुरुवार को यानी 22 मई को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन उनके सम्मान में विदाई समारोह आयोजित करने जा रहा है। जस्टिस ओका ने इच्छा जताई है कि वो अपने कार्यकाल के आखिरी दिन भी परंपरा से हटकर काम करते रहें और फैसला सुनाते रहें। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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