अरावली में बनाए थे अवैध बैंक्वेट हॉल,प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर सब साफ कर दिया
पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप के बेटे विवेक प्रताप ने विरोध प्रदर्शन करने वालों का समर्थन करते हुए अनंगपुर चौक पर पहुंच गए। यहां उन्होंने तोड़फोड़ पर आपत्ति जताई। अनंगपुर गांव के निवासी तोड़फोड़ को गलत बता रहे थे और इन्होंने तोड़फोड़ की कार्रवाई में भेदभाव बरतने का आरोप भी लगाया।

अरावली वन क्षेत्र में बने बैंक्वेट हॉल और अवैध निर्माण के खिलाफ चल रही तोड़फोड़ रविवार को भी जारी रही। बताया जा रहा है कि इस दौरान एक मंत्री और विधायक के अवैध बैंक्वेट हॉल समेत आठ पर वन विभाग का बुलडोजर चला। करीब छह घंटे तक अरावली में तोड़फोड़ चली। तोड़फोड़ के विरोध में अनंगपुर गांव के निवासियों ने सूरजकुंड रोड को जाम कर दिया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जाम खुलवा दिया। करीब 20 मिनट रोड जाम रहा।
पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप के बेटे विवेक प्रताप ने विरोध प्रदर्शन करने वालों का समर्थन करते हुए अनंगपुर चौक पर पहुंच गए। यहां उन्होंने तोड़फोड़ पर आपत्ति जताई। अनंगपुर गांव के निवासी तोड़फोड़ को गलत बता रहे थे और इन्होंने तोड़फोड़ की कार्रवाई में भेदभाव बरतने का आरोप भी लगाया। विरोध प्रदर्शन के चलते तोड़फोड़ की कार्रवाई के दोपहर करीब 3:00 बजे शुरू हो पाई।
पांचवें दिन आठ बैंक्वेट हॉल को तोड़ा गया गया। वन विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, इसमें एक बैंक्वेट हॉल विधायक और बड़े राजनीतिक दल के मंत्री का है। वन विभाग और नगर निगम की संयुक्त टीम गांव अनंगपुर में बने बैक्वेंट हॉल सहित अन्य अवैध निर्माणों को तोड़ने के लिए सुबह 11:00 बजे पहुंच गई थी। तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू होती कि इससे पूर्व ही ग्रामीणों ने सूरजकुंड रोड जाम कर दिया।
इस दौरान पुलिस ने लोगों को काफी समझाने का प्रयास किया,लेकिन कोई भी सुनने को तैयार नहीं था। ग्रामीणों ने करीब 20 मिनट तक रोड जाम किए रखा। इस दौरान राहगीरों को काफी परेशानी हुई। काफी वाहन चालक जाम न खुलता देख दूसरे मार्गों से अपनी मंजिल की ओर बढ़ गए। पुलिस के काफी समझाने के बाद सड़क आक्रोशित लोगों ने जाम खोल दिया।
वर्ष 2021 में नगर निगम ने खोरी गांव स्थित अपनी जमीन पर तोड़फोड़ की कार्रवाई की थी। यह कार्रवाई 22 दिनों तक चली थी। तोड़फोड़ से नाराज लोग एक सामाजिक संस्थान के सहयोग से सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे कराने के आदेश दिए। इसके तहत वन विभाग ने करीब छह हजार अवैध निर्माणों को चिन्हित किया था और तोड़फोड़ क कार्रवाई की जानी थी। वन विभाग को अपनी तोड़फोड़ की कार्रवाई की रिपोर्ट अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट में पेश करनी थी। अप्रैल की रिपोर्ट से सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं था और तोड़फोड़ के लिए तीन महीने का समय देकर दोबारा से रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे। इसके तहत पांच दिनों से तोड़फोड़ की कार्रवाई की जा रही है। अबतक 40 से अधिक अवैध निर्माणों को तोड़ा जा चुका है।
ग्रामीणों का आरोप है कि अरावली वन क्षेत्र में कई बड़े नामचीन शिक्षण संस्थान हैं, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। यह प्रशासन के भेदभाव रवैये को दर्शाता है। लोग बार-बार बीच में आकर तोड़फोड़ की कार्रवाई को बाधित करने का प्रयास करते रहे। इस दौरान पुलिस ने लोगों को बीच से हटाया उसके बाद बैंक्वेट हॉल तोड़े जा सकें। तोड़फोड़ की कार्रवाई के दौरान 300 से अधिक पुलिसकर्मी मौके पर मौजूद रहे। पुलिसबल की मौजूदगी में जब कुछ लोगों ने प्रदर्शन किया तो उन्हें शांत करा दिया गया।
ग्रामीणों का आरोप है कि ऊंचे रसूखदारों के निर्माण को छोड़कर आम जनता को परेशान किया जा रहा है। वह वर्षों इस जमीन पर रह रहे हैं और उनके पास जमीन के कागज भी हैं। इसके बाद भी गलत तरीके से तोड़फोड़ की जा रही है। वहीं, कुछ ग्रामीणों का कहना है कि वह वर्षों से इस जमीन पर काम धंधे कर रहे हैं। अब इस तरह की कार्रवाई की वन विभाग और नगर निगम उनकी आजीविका को छीनने का काम कर रहा है।